दिल से होकर गुजरती हैं कई बीमारियां, इसे सही रखना है तो रोज चलें 10 हजार कदम
दिल को स्वस्थ रखना है तो प्रतिदिन कम से कम 10,000 कदम पैदल चलने की आदत डालें। इन दिनों डॉक्टर भी स्वस्थ रहने के लिए यह तरीका अपना रहे हैं।
नई दिल्ली (राज्य ब्यूरो/रणविजय सिंह)। दिल को स्वस्थ रखना है तो प्रतिदिन कम से कम 10,000 कदम पैदल चलने की आदत डालें। इन दिनों डॉक्टर भी स्वस्थ रहने के लिए यह तरीका अपना रहे हैं। कई डॉक्टर तो मोबाइल के एप से अपने हर कदम की गिनती कर अपने परिचितों के मोबाइल पर यह जानकारी शेयर करते हैं कि वे कितने कदम पैदल चले।
संभव है बीमारियों की रोकथाम
डॉक्टर कहते हैं कि पैदल चलने की आदत डालकर ब्लड प्रेशर व दिल की बीमारियों की रोकथाम की जा सकती है। इन दिनों ऐसे अनेक मोबाइल एप उपलब्ध हैं, जो यह बता सकते हैं कि हम दिन भर कितना पैदल चले। डॉक्टर भी इस तरह के एप इस्तेमाल कर रहे हैं। एम्स के भी कई डॉक्टर इसे अपना रहे हैं।
शारीरिक मेहनत नहीं करते हैं लोग
दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के एंटी क्वेकरी सेल के चेयरमैन डॉ. अनिल कुमार बंसल (64) मधुमेह होने के बावजूद प्रतिदिन करीब 18,000 कदम पैदल चलते हैं। उन्होंने कहा कि अब लोग शारीरिक मेहनत नहीं करते। थोड़ी दूर भी जाना हो तो वाहनों का इस्तेमाल करते हैं। इसका असर स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। हाल ही में तीन डॉक्टरों का निधन अचानक हार्ट अटैक से हुआ है। यदि लोग प्रतिदिन कम से कम 10,000 कदम पैदल चलें तो दिल की बीमारियों की आशंकाओं को बहुत हद तक कम किया जा सकता है।
पैदल चलने के फायदे
डॉ. बंसल ने कहा कि निजी वाहनों की जगह आवागमन के लिए मेट्रो में सफर करना बेहतर होगा। क्योंकि मेट्रो पकड़ने के लिए पैदल चलना पड़ता है। पैदल चलने से कमर दर्द की परेशानी नहीं होती और रक्त संचार बेहतर होता है। इसलिए धमनियों में कहीं हल्की रुकावट हो तो वह दूर हो जाती है। मतिष्क की कार्यक्षमता भी अच्छी बनी रहती है।
हार्ट चैलेंज
अपोलो फिटनेस चैलेंज की तर्ज पर हार्ट चैलेंज शुरू किया है। इसमें हिस्सा लेने पर प्रतिदिन 10,000 कदम पूरे करने होंगे। ऐसा कर पाने में सक्षम कोई भी व्यक्ति अस्पताल का एप डाउनलोड कर अपोलो हार्ट चैलेंज में हिस्सा ले सकता है। इसका मकसद लोगों को हृदय की बीमारियों की रोकथाम के प्रति जागरुक करना है।
एप से रखें नजर
मोबाइल एप का इस्तेमाल अब चिकित्सा क्षेत्र में भी तेजी से बढ़ रहा है। बीमारियों की स्क्रीनिंग से लेकर मरीजों को एप के माध्यम से चिकित्सकीय सलाह देने तक के विकल्प तलाशे जा रहे हैं। इसी क्रम में केंद्र सरकार के आरएमएल अस्पताल में ऐसा मोबाइल एप विकसित किया जा रहा है, जो कमजोर दिल का ख्याल रखेगा। डॉक्टर कहते हैं कि हार्ट फेल्योर में दिल की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। कार्यक्षमता कम हो जाती है। इसलिए दिल जरूरत के मुताबिक पंप नहीं कर पाता है। ऐसी स्थिति में मरीज की सांसें फूलने लगती हैं और शरीर में सूजन होने लगती है। कुछ चुनिंदा सरकारी अस्पतालों में ही इसके इलाज की सुविधा है। आरएमएल में कुछ समय पहले हार्ट फेल्योर के मरीजों के लिए विशेष क्लीनिक शुरू किया गया है। अस्पताल के डॉक्टर हृदय प्रत्यारोपण शुरू करने की तैयारी में भी हैं।
एक माह में चालू होगा एप
अस्पताल के कार्डियोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. नीरज पंडित ने कहा कि शोध फंड से अस्पताल में एक मोबाइल एप विकसित किया जा रहा है। करीब एक महीने में यह एप चालू हो जाएगा। इसका फायदा यह है कि इस अस्पताल में पहले से पंजीकृत मरीजों को परेशानी होने पर वे घर बैठे एप के जरिये अपनी बात नर्सो तक पहुंचा सकेंगे। उस एप की मदद से डॉक्टर मरीज को सलाह देंगे कि उसे क्या करनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि देश में हर साल 5.40 करोड़ लोग दिल की बीमारियों से पीड़ित होते हैं। दिल की बीमारियों से हर साल करीब 28 लाख लोगों की मौत हो जाती है।