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पुरानी दिल्ली के मदरसों में बदलाव की बयार, धार्मिक शिक्षा के साथ निखारा जा रहा है हुनर

शमा खान ने कहा कि मदरसे के छात्र बाद में धार्मिक समारोहों में कुरान मजीद पढ़ाकर अपना गुजारा करते हैं, जबकि कुरान का ज्ञान होने के साथ ही उनके पास हुनर भी हो, जिससे वे स्वावलंबी बन सकें।

By Edited By: Updated: Sat, 29 Sep 2018 10:32 PM (IST)
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पुरानी दिल्ली के मदरसों में बदलाव की बयार, धार्मिक शिक्षा के साथ निखारा जा रहा है हुनर

नई दिल्ली (जेएनएन)। पुरानी दिल्ली के मदरसों में बदलाव की बयार है। यहां धार्मिक शिक्षा के साथ स्वावलंबी बनाने के लिए उनके हुनर को निखारा भी जा रहा है। ऐसा ही एक प्रयास आजाद मार्केट के नजदीक स्थित मदरसा इस्लामिया अरबिया तालिमुल कुरान कब्रिस्तान कोम ए राइयान में किया गया। यहां न सिर्फ बच्चों को हस्तशिल्प सिखाया गया, बल्कि उनके बौद्धिक व व्यक्तित्व विकास का भी प्रयास हुआ। इसका आयोजन इंस्टीट्यूट ऑफ लर्निंग मेनिया सोसायटी और माइनॉरिटी रिफा ए आम वेलफेयर एजुकेशन सोसायटी की ओर से किया गया।

दिल और दिमाग दोनों रोशन हो
इस बारे में समाजसेवी व शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी शमा खान ने कहा कि मदरसे के छात्र बाद में धार्मिक समारोहों में कुरान मजीद पढ़ाकर अपना गुजारा करते हैं, जबकि कुरान का ज्ञान होने के साथ ही उनके पास हुनर भी हो, जिससे वे स्वावलंबी बन सकें। हमारी कोशिश है कि इससे उनका दिल और दिमाग दोनों रोशन हो। मदरसे में करीब 60 बच्चे पढ़ते हैं। कौशल विकास के जरिए उन्हें कागज से सजावटी व उपयोगी सामान बनाने का हुनर बताया गया। खेल प्रतियोगिता का भी आयोजन हुआ। इस दौरान बच्चों के चेहरे खुशी से दमक रहे थे।

'हमारा भविष्य हमारे वर्तमान पर निर्भर है'
शमा ने बताया कि दो माह की इस मुहिम से दिल्ली के अन्य मदरसों और स्कूलों को भी जोड़ा जा रहा है। इसमें स्कूली पाठयक्रम से अलग उनकी रुचि को उभारने का प्रयास होगा। इसमें अध्यापकों को भी प्रशिक्षित किया जाएगा। पहली कार्यशाला में बच्चों को फोम से आई मास्क, फ्रेंडशिप बैंड व टोकरी का निर्माण सिखाया गया। इसके साथ ही अंग्रेजी के मुहावरों के अर्थ भी समझाए गए जैसे 'हमारा भविष्य हमारे वर्तमान पर निर्भर है।'

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बच्चों का मानसिक विकास होगा
इस कार्यक्रम में दिल्ली भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के उपाध्यक्ष खालिद कुरैशी व अल्पसंख्यक विकास फेडरेशन के अध्यक्ष सैयद शाहिद राहत की भी मौजूदगी रही। बच्चों के साथ मदरसे के इस प्रयास की सराहना करते हुए खालिद कुरैशी ने कहा कि बच्चों के लिए इस तरह की गतिविधियां होती रहनी चाहिए। इससे बच्चों का मानसिक विकास होगा। शाहिद राहत ने बच्चों से कहा कि वे इस तरह के कार्यक्रमों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लें, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है।

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