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दिल्ली की सरदारी के लिए खिंचीं तलवारें

संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली पंजाब की तरह दिल्ली में भी शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) की अंद

By JagranEdited By: Updated: Thu, 25 Oct 2018 08:28 PM (IST)
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दिल्ली की सरदारी के लिए खिंचीं तलवारें

संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली

पंजाब की तरह दिल्ली में भी शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) की अंदरूनी लड़ाई सतह पर आ गई है। यहां पार्टी के दो वरिष्ठ नेता मनजीत सिंह जीके व मनजिंदर सिंह सिरसा आमने-सामने हैं। सिरसा ने दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीपीसी) के महासचिव का पद छोड़ दिया है। उन्होंने अपने अधिकार संयुक्त सचिव अमरजीत सिंह को दे दिए हैं और पिछले तीन-चार दिनों से दफ्तर भी नहीं आ रहे हैं। इससे पहले डीएसजीपीसी अध्यक्ष जीके ने अपने अधिकार वरिष्ठ उपाध्यक्ष को दे दिए थे। इस लड़ाई ने पार्टी हाईकमान की चिंता बढ़ा दी है। पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल दिल्ली के अकाली नेताओं से मुलाकात कर विवाद सुलझाने की कोशिश में जुट गए हैं।

इस महीने की शुरुआत में जीके ने अध्यक्ष पद छोड़कर अपने अधिकार वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरमीत सिंह कालका को सौंप दिए थे। कहा जा रहा था कि पार्टी हाईकमान के कुछ फैसलों से नाराज होकर उन्होंने यह कदम उठाया था। उस समय वरिष्ठ अकाली नेताओं ने बीच-बचाव कर मामले को किसी तरह से संभाल लिया था और इसे विरोधियों की चाल बताते हुए यह दावा किया गया था कि दिल्ली से बाहर रहने के कारण नियम के अनुसार जीके ने यह कदम उठाया है। वहीं, 23 अक्टूबर को उनके दफ्तर में लौटने से एक दिन पहले ही सिरसा ने भी इसी तरह का कदम उठाया। खास बात यह है कि वह दिल्ली में ही हैं।

सिरसा समर्थकों का कहना है कि जीके पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से वह उनकी टीम में नहीं रहना चाहते हैं। इसके साथ ही वह महिला से छेड़छाड़ के आरोपित कमेटी के महाप्रबंधक हरजीत सिंह सूबेदार की बहाली से भी नाराज बताए जाते हैं। यह मामला पिछले वर्ष का है और जीके के विदेश में होते हुए सिरसा ने सूबेदार को उनके पद से हटा दिया था। बाद में जीके ने आरोपित को बहाल कर दिया था। हालांकि वर्तमान में इस मुद्दे पर पद छोड़ने का तर्क लोगों की समझ से परे है। कई अकाली नेता भी इन वजहों से पद छोड़ने की बात को खारिज कर रहे हैं। उनका मानना है कि दोनों के बीच सरदारी की लड़ाई है। डीएसजीपीसी चुनाव के समय से है दिक्कत : डीएसजीपीसी के चुनाव में भी दोनों की लड़ाई जारी थी और जीत हासिल करने के बाद जीके सिरसा को अपनी टीम में शामिल करने को तैयार नहीं थे। बाद में पार्टी हाईकमान ने किसी तरह से दोनों के बीच सुलह कराई थी, लेकिन उनके दिल नहीं मिले। अगले वर्ष मार्च में डीएसजीपीसी कार्यकारिणी की बैठक में नए अध्यक्ष का चुनाव होगा। जानकार बताते हैं कि दोनों ही नेताओं की इस पद पर नजर है, इसलिए वे पार्टी हाईकमान पर दबाव बना रहे हैं।

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