आयुक्त के ओएसडी को हटाने को लेकर भिड़े पक्ष-विपक्ष
स्थायी समिति की बैठक में पक्ष विपक्ष के पार्षद आयुक्त के ओएसडी डीपीएस तोमर को हटाने जाने को लेकर भिड़ गए। जहां विपक्ष ने सत्ता पक्ष पर आरोप लगाए वहीं सत्ता पक्ष ने विपक्ष पर डील करने का आरोप लगाया। जिससे काफी हंगामा हुआ। मामले में विशेष बात यह है कि विपक्ष की पार्षद रेखा त्यागी पहले तोमर के खिलाफ बनी समिति में सदस्य थीं और उनकी नियुक्ति को गलत ठहराने वाली रिपोर्ट में उनके भी दस्तखत थे।
By JagranEdited By: Updated: Thu, 25 Oct 2018 08:56 PM (IST)
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली :
स्थायी समिति की बैठक में पक्ष विपक्ष के पार्षद आयुक्त के ओएसडी डीपीएस तोमर को हटाने को लेकर भिड़ गए। विपक्ष ने सत्ता पक्ष पर आरोप लगाए, वहीं सत्ता पक्ष ने विपक्ष पर डील करने का आरोप लगाया। इससे काफी हंगामा हुआ। विपक्ष की पार्षद रेखा त्यागी पहले तोमर के खिलाफ बनी समिति में सदस्य थीं और उनकी नियुक्ति को गलत ठहराने वाली रिपोर्ट में उनके भी दस्तखत थे। बैठक में रेखा त्यागी ने आरोप लगाया कि पहले ईमानदार आयुक्त डॉ. रणबीर ¨सह को हटाया गया और फिरओएसडी तोमर को हटा दिया गया, जबकि दोनों ही अधिकारी ईमानदार हैं। तोमर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं लेकिन इसके कोई सुबूत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि दोनों अधिकारियों ने कूड़ा ढोने वाले ट्रकों में गड़बड़ी के मामलों को पकड़ा था और कई ट्रकों को हटा दिया था। इसमें सत्ता पक्ष के लोगों के भी ट्रक थे। इसी का बदला उन्होंने लिया। इस पर राजीव चौधरी ने कहा कि तोमर को आयुक्त ने हटाया है, इसमें सत्ता पक्ष की कोई भूमिका नहीं है। इसके अलावा तोमर की नियुक्ति के खिलाफ बनी उप समिति की रिपोर्ट पर रेखा त्यागी के भी दस्तखत हैं। तोमर पर सत्ता पक्ष ने कभी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया ही नहीं। चौधरी ने कहा कि इस मसले पर जरूर कोई डील हुई है, अन्यथा यह कैसे संभव है कि जो विपक्ष पहले तोमर का विरोधी था वह अचानक उसके समर्थन में आ खड़ा हुआ है।
प्रस्ताव पास नहीं हुआ, लेकिन प्रेस विज्ञप्ति जारी हो गई
निगम के मनोनीत सदस्यों की विपक्ष की भूमिका निभाने के मामले में एक प्रस्ताव सदन में लाया जाना है। गत सोमवार को इस प्रस्ताव को लाया जाना था, लेकिन अन्य विषय पर चर्चा हो जाने की वजह से इस प्रस्ताव को लाया नहीं गया। महापौर व नेता सदन के दस्तखत वाले प्रस्ताव को निगम के प्रेस विभाग की ओर से जारी कर दिया गया। इतना ही नहीं, एक अखबार में इस प्रस्ताव को प्रकाशित भी कर दिया गया, जबकि यह सदन में पेश ही नहीं हुआ था। इस मामले को विपक्ष की सदस्य ने स्थायी समिति में जोर-शोर से उठाते हुए कहा कि सत्ता पक्ष ने इस प्रस्ताव पर कोई चर्चा किए बगैर गुपचुप तरीके से इसे पास कर दिया है। इसको लेकर विपक्ष की सदस्य व नेता सदन के बीच तीखी बहस हुई। नेता सदन निर्मल जैन ने कहा कि इस प्रस्ताव को पास किया जाना था, लेकिन पिछले सदन में समयाभाव की वजह से पेश नहीं किया गया। गलती से इस प्रस्ताव को जारी कर दिया गया। पार्षद प्रवेश शर्मा ने कहा कि यह निगम सचिव कार्यालय की चूक की वजह से ऐसा हुआ है। सत्ता पक्ष की ओर से प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसके अनुसार उपराज्यपाल की ओर से निगम के मनोनीत सदस्य पक्ष विपक्ष के सदस्य नहीं होते, बल्कि उनका मनोनयन विशेषज्ञ के रूप में होता है। उनके बैठने के लिए अलग व्यवस्था होगी, साथ ही उन्हें विपक्ष की ओर से वेल में आकर हंगामा करने का अधिकार भी नहीं होगा।
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