रीढ़ की जन्मजात बीमारी से पीड़ित बच्चे भारत में ज्यादा
-विश्व स्पाइना बाइफिडा दिवस पर आरएमएल व जीबी पंत अस्पताल में हुआ सम्मेलन फोटो-25डीईएल-10
By JagranEdited By: Updated: Thu, 25 Oct 2018 09:09 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली :
विश्व स्पाइना बाइफिडा व हाइड्रोसेफल्स दिवस पर बृहस्पतिवार को आरएमएल व जीबी पंत सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में आयोजित सम्मेलन में डॉक्टरों ने जागरूकता पर जोर दिया। स्पाइना बाइफिडा रीढ़ की जन्मजात बीमारी है जबकि हाइड्रोसेफल्स के कारण मस्तिष्क में पानी भर जाता है। इसलिए मस्तिष्क का आकार बड़ा हो जाता है। सम्मेलन में यह बात सामने आई कि स्पाइना बाइफिडा से पीड़ित बच्चे भारत में अधिक हैं। सम्मेलन में डॉक्टरों ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार एक हजार में एक बच्चा इस बीमारी से पीड़ित होता है। भारत में यह संख्या अधिक है। आरएमएल अस्पताल के न्यूरोलॉजी सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अजय चौधरी ने कहा कि देश में इस बीमारी से पीड़ित बच्चों की संख्या आधे से दो फीसद तक हो सकती है। इस बीमारी का मुख्य कारण फॉलिक एसिड की कमी है। कुछ मामलों में आनुवांशिक कारण होते हैं। इससे पीड़ित होने पर गर्भ में पल रहे बच्चे में रीढ़ की हड्डी का पूरा विकास नहीं हो पाता। रीढ़ से गुजरने वाली नसें बाहर की तरफ आ जाती हैं। इस वजह से कई बच्चों के ब्रेन में पानी भर जाता है। जिसे हाइड्रोसेफल्स कहा जाता है। जो महिलाएं गर्भावस्था के पहले तीन महीने में फॉलिक एसिड का सेवन नहीं करती हैं, उनमें से करीब 70-75 फीसद मामलों में रीढ़ का विकार देखने को मिलता है।
सामान्य तौर पर गर्भधारण के बाद डॉक्टर महिलाओं को कम से कम शुरुआत के तीन महीने में फॉलिक एसिड लेने की सलाह देते हैं, लेकिन कई महिलाओं को गर्भधारण का पता काफी देर से चलता है। इसलिए शादी के बाद से महिलाओं को फॉलिक एसिड की दवा लेनी चाहिए। सम्मेलन में इस बीमारी से पीड़ित 50 बच्चों और उनके परिजनों ने भी हिस्सा लिया। डॉ. अजय चौधरी ने कहा कि इस बीमारी से पीड़ित तीन-चार बच्चों की सर्जरी अस्पताल में प्रतिदिन होती है। उन्होंने कहा कि खानपान में फल व हरी सब्जियों का अधिक इस्तेमाल व फोलिक एसिड की कमी दूर कर इस बीमारी की रोकथाम संभव है।
जीबी पंत अस्पताल के न्यूरो सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ. दलजीत सिंह ने कहा कि कई तरह की जन्मजात बीमारियां हैं। उनमें स्पाइना बाइफिडा व हाइड्रोसेफल्स को मिलाकर सबसे अधिक मामले देखे जाते हैं। देश में एक लाख में 110-120 बच्चे हाइड्रोसेफल्स से पीड़ित होते हैं।
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