अवध की रोशन चौकी से रूहानी हुई दिल्ली की शाम
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली फैजाबाद के नवाबों का खास दरबारी बाजा, जो बादशाहों और बड़
By JagranEdited By: Updated: Fri, 26 Oct 2018 10:47 PM (IST)
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली
फैजाबाद के नवाबों का खास दरबारी बाजा, जो बादशाहों और बड़े-बडे़ अमीरों के खाने के वक्त बजा करता था, उससे दिल्ली की शाम यादगार हो गई। रोशन चौकी रात में शाही महल के इर्द-गिर्द भ्रमण किया करती थी। रोशन चौकी में शहनाई, तबलची, तोरही, ढोल ताशा, करना, सारंगी व अन्य वाद्य यंत्रों के साथ गायकों की जुगलबंदी फैजाबाद की समृद्ध संगीत परंपरा की कहानी बयां करती है। वही चलती-फिरती रोशन चौकी जब दिल्ली स्थित कमानी ऑडिटोरियम पहुंची तो मंच प्रस्तुति के बावजूद दर्शक मानो संगीत की स्वरलहरियों के जरिये परंपरा और संस्कृति के सफर पर निकल पड़े। सफर, जिसमें राम की जीवन यात्रा भी थी और अमीर खुसरो का रंग भी शामिल था। सर्द शाम भक्ति गीतों से रूहानी हो उठी तो सोहर, नकटा, जीरा, बारहमासा, मनरजना से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन भी हुआ।
सोनचिरैया द्वारा आयोजित अवध की रोशन चौकी में अवध के किस्से, नग्मे बखूबी प्रस्तुत किए गए। लेखक यतींद्र मिश्र ने जहां इतिहास के पन्ने पलटे तो वहीं सुप्रसिद्ध गायिका मालिनी अवस्थी ने लोकगीतों को इस तरह प्रस्तुत किया कि दर्शक झूम उठे। चौकी की शुरुआत अवध के इतिहास के शामियाने तले हुई। मालिनी अवस्थी ने कहा कि वह अवध ही क्या, जहां राम न हों। कोई शिशु जन्मे और राम का सोहर न गाया जाए। किसी बन्ने की मौरी सजे और राम का सेहरा, जनेऊ के गीत न गाए जाएं तो बात बेमानी होगी। शुरुआत भगवान राम के सुमिरन से हुई। मालिनी अवस्थी ने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत बधाई गीत से की। उन्होंने जब 'बाजता अवध बधईया..' गाया तो हाल दर्शकों की तालियों से गूंज उठा। राम जन्म आधारित लोकगीत बधाई सुनकर दर्शक भी भाव विभोर हो गए। रोशन चौकी का अगला पड़ाव विवाह था। अवध ही नहीं, भारतीय परंपरा में भी किसी भी शादी में वर हमेशा राम के रूप में देखा जाता है। कन्या को सीताजी की ही मौरी पहनाई जाती है। इसे सुरों में पिरोते हुए मालिनी अवस्थी ने एक सोहर गाया- 'सिया रानी का अचर सुहाग रहे, राजा राम के सिर पर ताज रहे.. '। इस सोहर पर दर्शक वाह-वाह कर उठे। चौकी का अगला पड़ाव शादी के बाद दुल्हन की विदाई थी। इस दौरान अमीर खुसरो की विदाई गीत गाई गई। इसके बाद सावन के गानों ने दर्शकों का दिल जीत लिया। सावन में एक बेटी द्वारा अपनी मां से गहनों की मांग करने, भाई को विदाई के लिए भेजने के लिए कहने की कहानी मालिनी अवस्थी ने गीतों के जरिये सुनाई तो इस तरह के प्रसंग जीवंत हो उठे। उन्होंने नकटा, जीरा सुनाकर दर्शकों को विभोर कर दिया। नकटा दरअसल शादी की परंपरा से जुड़ा है। बारात में युवतियां नहीं जाती थीं, ऐसे में वे घर पर स्वांग रचाती थीं एवं सभी पात्र करते हुए हास्य परिहास करती थीं। जबकि, जीरा बच्चे को पीपल खिलाने की एक परंपरा है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।