भीमा कोरेगांव केसः महाराष्ट्र पुलिस ने सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को किया गिरफ्तार
गौरतलब है कि पुणे की एक विशेष अदालत ने माओवादी कार्यकर्ताओं सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और वर्नन गोंजाल्विस की जमानत अर्जी ठुकरा दी थी।
By JP YadavEdited By: Updated: Sat, 27 Oct 2018 09:57 AM (IST)
फरीदाबाद, जेएनएन। जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : मुंबई के भीमा-कोरेगांव ¨हसा मामले में आरोपित मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं दिल्ली लॉ कॉलेज की विजिटिंग प्रोफेसर सुधा भारद्वाज को पुणे पुलिस ने शनिवार को उनके चार्मवुड विलेज स्थित फ्लैट से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस उन्हें लेकर सीधे पुणे के लिए रवाना हो गई।
बता दें कि एक जनवरी, 2018 को पुणे के पास भीमा-कोरेगांव लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ पर एक समारोह आयोजित किया गया था, जहां हिंसा होने से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। इस मामले में सुधा व उसके चार अन्य साथियों पर भड़काऊ भाषण देकर हिंसा भड़काने का आरोप है। इस मामले में 28 अगस्त को पुणे पुलिस ने सुधा को उनके चार्मवुड विलेज स्थित फ्लैट से गिरफ्तार कर लिया था। तब उनके वकील की तरफ से लगाई याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी और उन्हें घर पर नजरबंद रखने के आदेश दिए थे। वह तभी से फरीदाबाद पुलिस की निगरानी में नजरबंद थीं।शुक्रवार को सुधा ने पुणे अदालत में जमानत याचिका लगाई थी, जो रद हो गई। ऐसे में शुक्रवार रात करीब 12 बजे ही पुणे पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने फरीदाबाद पहुंच गई। रात में ही पुणे पुलिस ने सुधा की नजरबंदी अपने हाथ में ले ली। सुधा के वकीलों ने शुक्रवार को ही सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका लगा दी थी। शनिवार को वह याचिका भी रद हो गई। दोपहर 12.40 बजे पुणे पुलिस ने सुधा को गिरफ्तार कर लिया। यहां सूरजकुंड स्थित डिस्पेंसरी में मेडिकल कराकर पुलिस उन्हें दिल्ली एयरपोर्ट लेकर रवाना हो गई।
गिरफ्तारी के दौरान उनके घर के बाहर समर्थक भी आए थे, उनका कहना है कि सुधा एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और उनका इससे यानी भीमा कोरेगांव से कोई लेना-देना नहीं है।
गौरतलब है कि पुणे की एक विशेष अदालत ने माओवादी कार्यकर्ताओं सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और वर्नन गोंजाल्विस की जमानत अर्जी ठुकरा दी थी। इसके तुरंत बाद अरुण फरेरा एवं वर्नन गोंजाल्विस को गिरफ्तार कर लिया गया थी। कहा भी जा रहा था कि सुधा भारद्वाज की गिरफ्तारी शनिवार को हो सकती हैं।
पुणे के एलगार परिषद मामले में तीनों नजरबंद थे। पुणे पुलिस ने 28 अगस्त को सुधा, फरेरा और गोंजाल्विस के साथ हैदराबाद से वरवर राव एवं दिल्ली से गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इन्हें उनके घरों में नजरबंद कर दिया गया था।
सुधा, अरुण और वर्नन की नजरबंदी 26 अक्टूबर को खत्म हो रही है, इसलिए इन्होंने जमानत याचिका दायर की थी। कोर्ट द्वारा तीनों की जमानत याचिका खारिज करने के बाद बचाव पक्ष के वकीलों ने फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देने के लिए एक हफ्ते का समय मांगा। लेकिन जज के समय देने से इन्कार के बाद तीन में से दो माओवादियों को गिरफ्तार कर लिया गया।
पुणे की जिला एवं सत्र अदालत में विशेष जज केडी वदने ने कहा कि सुधा भारद्वाज नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं। फरेरा वकील व काटरूनिस्ट हैं जबकि वर्नन गोंजाल्विस मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं। तीनों मानवाधिकारों के लिए काम भी करते हैं। लेकिन समाजसेवा एवं मानवाधिकारों के लिए संघर्ष की आड़ में तीनों प्रतिबंधित संगठन (भाकपा-माओवादी) के लिए भी काम करते रहे हैं। उनकी ये गतिविधियां भारत की एकता, अखंडता और सुरक्षा के लिए खतरा बन रही हैं।जांच अधिकारी के इकट्ठा किए गए सबूतों के आधार पर प्रथमदृष्टया यह साबित भी होता है। जज के अनुसार इनकी गतिविधियां, न सिर्फ कानून-व्यवस्था को बिगाड़ सकती हैं, बल्कि देश की एकता-संप्रभुता एवं इसकी लोकतांत्रिक नीतियों के लिए भी खतरा बन सकती हैं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।