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केजरीवाल-चंद्रबाबू व शरद की दिल्ली में मुलाकात, 2019 के लिए तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट

आम आदमी पार्टी (AAP) के मुखिया अरविंद केजरीवाल कई बार पहले भी यह जता चुके हैं कि वे कांग्रेस के साथ नहीं जाएंगे।

By JP YadavEdited By: Updated: Sat, 27 Oct 2018 02:40 PM (IST)
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केजरीवाल-चंद्रबाबू व शरद की दिल्ली में मुलाकात, 2019 के लिए तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट
नई दिल्ली, जेएनएन। 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर एक बार फिर तीसरे मोर्चे की कवायद शुरू हो गई है। बताया जा रहा है कि इस कड़ी में शनिवार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडु ने दिल्ली के आंध्र भवन में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की। चंद्रबाबू नायडु केजरीवाल के अलावा लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव से भी मिले। 

तीनों की मुलाकात के मकसद का पता नहीं चल पाया है, लेकिन बताया जा रहा है कि इस मुलाकात के बहाने तीसरे मोर्च की कवायद एक बार फिर शुरू हो गई है। हालांकि, यह कयास ही है। 

जानकारी सामने आई है कि शनिवार को चंद्रबाबू नायडु को गैर कांग्रेस, गैर भाजपा दलों के नेताओं के साथ मिलकर देश के मौजूदा राजनीतिक मशविरा किया। समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, शनिवार की दोपहर दिल्ली के आंध्र भवन में चंद्रबाबू नायडू और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच मुलाकात हुई। इस मुलाकात के दौरान शरद यादव भी मौजूद थे। बता दें कि कुछ महीने पहले शरद यादव ने नई पार्टी बनाई है, जिसका नाम लोकतांत्रिक जनता दल है। 

बताया जा रहा है कि मुलाकात के दौरान अरविंद केजरीवाल, शरद यादव और चंद्रबाबू नायडु ने ने मौजूदा राजनीतिक हालात पर चर्चा की। बताया यह भी जा रहा है कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रदेश के राज्यपाल से खासा नाराज हैं, जिसके विरोध में वह प्रेस कॉन्फ्रेंस करने दिल्ली आए थे। चंद्रबाबू नायडू इस बात से नाराज है कि जगन मोहन रेड्डी के ऊपर हुए हमले के बाद राज्यपाल ने सीधे डीजीपी को फोन करके जानकारी ली।

बताया जा रहा है कि चंद्रबाबू नायडू इस दौरे पर पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिंहा बीएसपी सुप्रीमो मायावती के साथ-साथ नेशनल कांफ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला से भी मुलाकात कर सकते हैं। 

यहां पर बता दें कि आम आदमी पार्टी (AAP) के मुखिया अरविंद केजरीवाल कई बार पहले भी यह जता चुके हैं कि वे कांग्रेस के साथ नहीं जाएंगे। हालांकि, उन्होंने महागठबंधन के साथ जाने से भी इनकार किया है, लेकिन वे गाहे-बगाहे महागठबंधन के साथ अप्रत्यक्ष रूप से नजर आते रहे हैं। 

यूपी में कुछ महीने पहले हुआ कैराना का लोकसभा चुनाव इसका उदाहरण है, जहां पर आम आदमी पार्टी ने राष्ट्रीय लोक दल (RLD) की प्रत्याशी तबस्सुम हसन का समर्थन किया था।  

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