दिल्ली के पूर्व सीएम मदनलाल खुराना का निधन, AAP सरकार ने की दो दिन शोक की घोषणा
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता मदनलाल खुराना का निधन हो गया। शनिवार रात 11 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। वह पिछले कई वर्षों से बीमार थे।
By JP YadavEdited By: Updated: Sun, 28 Oct 2018 06:42 PM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान पूर्व राज्यपाल मदनलाल खुराना का शनिवार देर रात निधन हो गया। 15 अक्टूबर, 1936 को पाकिस्तान के लायलपुर में जन्में मदनलाल खुराना 82 वर्ष के थे, उन्होंने दिल्ली के कीर्ति नगर स्थित अपने निवास पर अंतिम सांस ली। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना का पार्थिव शरीर रविवार को दोपहर 12 से 2 बजे तक प्रदेश कार्यालय 14 पंत मार्ग में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। इसके बाद रविवार शाम को निगम बोध घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस बीच दिल्ली सरकार ने दो दिन के शोक का एलान किया है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट किया है- 'दिल्ली के चर्चित नेता मदनलाल खुराना के निधन पर दुखी हूं। उनके सम्मान में दिल्ली में दो दिन का शोक होगा।'
काफी समय से राजनीतिक गतिविधियों से दूरे थेबीमारी की वजह से वह लंबे समय से सक्रिय राजनीति से दूर थे। दिल्ली भाजपा में उनकी गिनती कद्दावर नेताओं में होती थी। वह 1993 से लेकर 1996 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे थे। वर्ष 2004 में वह राजस्थान के राज्यपाल बने थे, लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के जाने के बाद उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था।
उनके निधन पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने ट्वीट कर शोक व्यक्त किया है- 'वरिष्ठ राजनेता श्री मदनलाल खुराना जी के दुखद निधन पर शोकाकुल परिजनों, समर्थकों के साथ दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में खुराना जी ने अनेक महत्वपूर्ण उत्तरदायित्वों का सफलता पूर्वक निर्वहन किया।'
दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी व अन्य भाजपा नेताओं ने गहरा शोक जताया है। वहीं, केंद्रीय मंत्री और दिल्ली से सांसद डॉ. हर्षवर्धन ने भी ट्वीट कर मदनलाल खुराना के निधन पर दुख जताया है। उन्होंने ट्वीट में लिखा है- 'आज दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री मदन लाल खुराना जी के निधन पर बहुत दुःख हुआ। पच्चीस साल पहले उनकी छत्रछाया में मैंने राजनीति में क़दम रखा।आज भी मेरे कानों में उनके प्रेरणाभरे शब्द गूँजते हैं। ईश्वर उनकी दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।
ॐ शांति'। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी ट्वीट कर मदनलाल खुराना के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने ट्वीट में लिखा है- 'राजस्थान के पूर्व राज्यपाल और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री श्री मदन लाल खुराना जी के आकस्मिक निधन का समाचार सुन कर बेहद दुःख हुआ। भगवान उनकी आत्मा को शांति दें।' भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने ट्वीट किया कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के पूर्व राज्यपाल श्री मदनलाल खुराना के निधन का दुखद समाचार सुनकर मन बहुत व्यथित है। वहीं, एडवोकेट मुकेश चौहान लिखते हैं कि दिल्ली के विकास में खुराना जी का योगदान हमेशा याद रखा जाएगा। रितिक मनोज ने ट्वीट किया कि 'दिल्ली के शेर' ने जनसंघ और भाजपा में अहम योगदान दिया। पश्चिमी दिल्ली से सांसद प्रवेश साहिब सिंह ने कहा कि दिल्ली में भाजपा को अपनी मेहनत और यशस्वी योगदान से ऊंचाइयों पर पहुंचाने वाले कद्दावर नेता मदनलाल खुराना का निधन अपूरणीय क्षति है।उन्होंने अपनी शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज के अलावा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पूरी की थी। इलाहाबाद में ही उनकी छात्र राजनीति की शुरुआत हुई और इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ के महामंत्री भी चुने गए। 1960 में वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सचिव बने। सक्रिय राजनीति में आने से पहले उन्होंने पीजीडीएवी कॉलेज में अध्यापन किया। वहीं पर प्रोफेसर विजय कुमार मल्होत्रा, केदारनाथ साहनी जैसे नेताओं के साथ मिलकर दिल्ली में जनसंघ को स्थापित किया। वह 1965 से 67 तक जन संघ के महमंत्री रहे। 1984 में जब भारतीय जनता पार्टी की बुरी तरह से हार हुई तब राजधानी दिल्ली में फिर से पार्टी को खड़ा करने में खुराना का बड़ा योगदान था। इसी कारण उन्हें दिल्ली का शेर भी कहा जाता था। केंद्र में जब पहली बार भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनी तो मदन लाल खुराना केंद्रीय मंत्री बने। उन्होंने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की भी जिम्मेदारी निभाई।वर्ष 2005 में लालकृष्ण आडवाणी की आलोचना के कारण उन्हें भाजपा से निकाल दिया गया, लेकिन 12 सितंबर 2005 में ही उन्हें फिर से पार्टी में वापस ले लिया गया। मदनलाल खुराना 1977 से 1980 तक दिल्ली के कार्यकारी पार्षद रहे। उसके बाद दो बार महानगर पार्षद बने। दिल्ली को जब राज्य का दर्जा मिला तो वह 1993 में पहले मुख्यमंत्री चुने गए। इस पद पर वह 1996 तक रहे। 2013 में उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ जिस वजह से सक्रिय राजनीति से दूर हो गए। पिछले लगभग दो वर्षों से वह गंभीर रूप से बीमार थे।मदन लाल खुराना का जन्म 15 अक्तूबर 1936 में पंजाब प्रांत के लयालपुर में हुआ था। अब यह क्षेत्र पाकिस्तान में फैसलाबाद के नाम से जाना जाता है। मदन लाल खुराना की उम्र महज 12 साल की थी जब उनका परिवार बंटवारे के बाद दिल्ली आ गया। उस समय वह परिवार के साथ दिल्ली के कीर्ति नगर की रिफ्यूजी कॉलोनी में रहते थे। प्राथमिक शिक्षा के बाद मदन लाल खुराना ने दिल्ली विश्वविद्याल के नामी कॉलेज किरोड़ीमल कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की थी।
राजनीतिक सफर
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।ॐ शांति'। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी ट्वीट कर मदनलाल खुराना के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने ट्वीट में लिखा है- 'राजस्थान के पूर्व राज्यपाल और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री श्री मदन लाल खुराना जी के आकस्मिक निधन का समाचार सुन कर बेहद दुःख हुआ। भगवान उनकी आत्मा को शांति दें।' भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने ट्वीट किया कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के पूर्व राज्यपाल श्री मदनलाल खुराना के निधन का दुखद समाचार सुनकर मन बहुत व्यथित है। वहीं, एडवोकेट मुकेश चौहान लिखते हैं कि दिल्ली के विकास में खुराना जी का योगदान हमेशा याद रखा जाएगा। रितिक मनोज ने ट्वीट किया कि 'दिल्ली के शेर' ने जनसंघ और भाजपा में अहम योगदान दिया। पश्चिमी दिल्ली से सांसद प्रवेश साहिब सिंह ने कहा कि दिल्ली में भाजपा को अपनी मेहनत और यशस्वी योगदान से ऊंचाइयों पर पहुंचाने वाले कद्दावर नेता मदनलाल खुराना का निधन अपूरणीय क्षति है।उन्होंने अपनी शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज के अलावा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पूरी की थी। इलाहाबाद में ही उनकी छात्र राजनीति की शुरुआत हुई और इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ के महामंत्री भी चुने गए। 1960 में वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सचिव बने। सक्रिय राजनीति में आने से पहले उन्होंने पीजीडीएवी कॉलेज में अध्यापन किया। वहीं पर प्रोफेसर विजय कुमार मल्होत्रा, केदारनाथ साहनी जैसे नेताओं के साथ मिलकर दिल्ली में जनसंघ को स्थापित किया। वह 1965 से 67 तक जन संघ के महमंत्री रहे। 1984 में जब भारतीय जनता पार्टी की बुरी तरह से हार हुई तब राजधानी दिल्ली में फिर से पार्टी को खड़ा करने में खुराना का बड़ा योगदान था। इसी कारण उन्हें दिल्ली का शेर भी कहा जाता था। केंद्र में जब पहली बार भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनी तो मदन लाल खुराना केंद्रीय मंत्री बने। उन्होंने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की भी जिम्मेदारी निभाई।वर्ष 2005 में लालकृष्ण आडवाणी की आलोचना के कारण उन्हें भाजपा से निकाल दिया गया, लेकिन 12 सितंबर 2005 में ही उन्हें फिर से पार्टी में वापस ले लिया गया। मदनलाल खुराना 1977 से 1980 तक दिल्ली के कार्यकारी पार्षद रहे। उसके बाद दो बार महानगर पार्षद बने। दिल्ली को जब राज्य का दर्जा मिला तो वह 1993 में पहले मुख्यमंत्री चुने गए। इस पद पर वह 1996 तक रहे। 2013 में उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ जिस वजह से सक्रिय राजनीति से दूर हो गए। पिछले लगभग दो वर्षों से वह गंभीर रूप से बीमार थे।मदन लाल खुराना का जन्म 15 अक्तूबर 1936 में पंजाब प्रांत के लयालपुर में हुआ था। अब यह क्षेत्र पाकिस्तान में फैसलाबाद के नाम से जाना जाता है। मदन लाल खुराना की उम्र महज 12 साल की थी जब उनका परिवार बंटवारे के बाद दिल्ली आ गया। उस समय वह परिवार के साथ दिल्ली के कीर्ति नगर की रिफ्यूजी कॉलोनी में रहते थे। प्राथमिक शिक्षा के बाद मदन लाल खुराना ने दिल्ली विश्वविद्याल के नामी कॉलेज किरोड़ीमल कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की थी।
राजनीतिक सफर
- 1977 से 1980 तक दिल्ली के कार्यकारी पार्षद
- दो बार महानगर पार्षद
- दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष
- भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
- दिल्ली के मुख्यमंत्री (1993-1993)
- दो बार सांसद
- केंद्रीय पर्यटन मंत्री
- राजस्थान के राज्यपाल