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उत्तरी दिल्ली में प्रदूषण से लोगों का घुटने लगा दम

जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली : बदलते मौसम के बीच स्मॉग से लोगों का सांस लेना मुश्किल हो रह

By JagranEdited By: Updated: Sun, 28 Oct 2018 10:23 PM (IST)
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उत्तरी दिल्ली में प्रदूषण से लोगों का घुटने लगा दम

जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली :

बदलते मौसम के बीच स्मॉग से लोगों का सांस लेना मुश्किल हो रहा है। उत्तरी दिल्ली के कई क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर को पार जा चुका है। इनमें मुंडका, नरेला और उसके आसपास के क्षेत्र शामिल हैं। तापमान में कमी आने से भले ही स्मॉग फैल रहा हो, लेकिन इसमें कई बुनियादी कारण निहित हैं। सड़क पर धूल की बड़ी मात्रा और कारखानों से निकलने वाला धुआं इसकी मुख्य वजह है, जिस पर समय रहते लगाम लगाना आवश्यक हो गया है। गौरतलब है कि मुंडका में एयर इंडेक्स 444 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (एमजीसीएम) पहुंच चुका है। ऐसे में इलाके में प्रदूषण से लोगों का दम घुटने लगा है। जहांगीरपुरी में 464, नरेला 396, रोहिणी 418 और पंजाबी बाग में 450 है।

मुंडका के रानीखेड़ा क्षेत्र में सड़क बनाने से लेकर अन्य दूसरे निर्माण कार्य में उड़ने वाली धूल को खत्म करने के लिए सरकार और स्थानीय एजेंसियों की ओर से कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। यहां की सभी प्रमुख सड़कों पर यहां-वहां फैली धूल लोगों की ¨चता का कारण बनी हुई है। ऐसी ही हालत नरेला की सड़कों की भी है। क्षेत्र के लोगों की ओर से बार-बार इसको लेकर कार्रवाई करने की मांग भी नजरंदाज की जा रही है, जिससे स्थानीय निवासी घर से बाहर निकलने में भी कतराने लगे हैं। लोगों का कहना है कि यदि सड़कों पर उड़ती धूल की रोकथाम के इंतजाम हो जाएं तो प्रदूषित वायु में काफी हद तक कमी आ सकती है। ऐसे में लोग प्रदूषण की रोकथाम के लिए सड़कों की सफाई और धूल को दूर करने की कवायद पर अधिक जोर देने लगे हैं। दूसरी ओर इलाके में मौजूद कारखानों से निकलने वाला सफेद और काला धुआं वायु को काफी प्रदूषित कर रहा है। इसके लिए कोई सख्त और गंभीर प्रयास नहीं हो रहे हैं।

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प्रदूषण का बढ़ता स्तर लोगों के लिए नुकसानदेह है। इससे बच्चों का स्कूल-कॉलेज जाना भी मुश्किल हो गया है। मुंह पर कपड़ा बांधकर चलना मजबूरी है, लेकिन इसका स्थायी उपाय किया जाना जरूरी है।

श्याम लाल शर्मा।

घर से बाहर निकलते ही सड़क की धूल पर हवा में सांस लेने की वजह से लोगों को सांस संबंधी कई समस्याएं हो रही हैं। स्मॉग बढ़ने से हालात और भी बदतर हो रहे हैं। इसलिए समस्या को दूर करने के लिए जल्द प्रयास करना चाहिए।

देवेश मिश्रा।

कारखानों का धुआं तो वर्षो से क्षेत्र को प्रदूषित कर रहा है, लेकिन इस पर नियंत्रण के लिए सख्ती जरूरी है। स्मॉग को ध्यान में रखते हुए भी इन पर एनजीटी के निर्देशों के आधार पर लगाम लगाना होगा।

परमजीत जांगड़ा।

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