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जानें- कौन हैं 'राम' जिनके मोदी भी हुए मुरीद और बनवाई दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति

पीएम नरेंद्र मोदी की प्रतिमा बनाने या डिजाइन करने की चर्चा पर उन्होंने कहा किकलाकार हूं, अगर किसी ने नरेंद्र मोदी की मूर्ति बनवाई तो वह भी बनाऊंगा।

By JP YadavEdited By: Updated: Mon, 29 Oct 2018 11:27 AM (IST)
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जानें- कौन हैं 'राम' जिनके मोदी भी हुए मुरीद और बनवाई दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति
नोएडा [ललित विजय]। 1947 में महाराष्ट्र में पहलवानों को प्रोत्साहित करने के लिए सात फीट के बॉडी बिल्डर की पहली मूर्ति बनाने वाले पद्मभूषण के बचपन का सपना 31 अक्टूबर को पूरा होने जा रहा है। इस दिन दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाने का रिकॉर्ड उनके नाम दर्ज हो जाएगा। इसे लेकर सुतार बेहद उत्साहित हैं। आखिर 93 साल 6 माह की उम्र में बचपन का सपना जो साकार हो रहा है। उनके हाथों डिजाइन लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। इसमें देश-विदेश की तमाम हस्तियां शामिल होंगी। इससे पहले भारत सरकार ने राम वी सुतार को 2016 के टैगोर सांस्कृतिक समरसता पुरस्कार से नवाजने का फैसला भी किया है।

विश्व रिकॉर्ड बनाने जा रहा भारत
स्टैचू ऑफ यूनिटी को बनाने वाले राम सुतार ने नोएडा को अपनी कर्मभूमि बना रखा है। उन्होंने बताया कि 31 अक्टूबर को पटेल की जयंती पर भारत विश्व रिकॉर्ड बनाने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मीटर ऊंची का उद्घाटन करेंगे। यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट भी है। सरदार पटेल से कभी मिलने का अवसर नहीं मिला। इसी कारण मूर्ति बनाने में उनके व्यक्तित्व को पेश करना आसान नहीं था। सबसे ज्यादा परिश्रम उनके चेहरे के भाव को हू-ब-हू पेश करने में करना पड़ा। इसके लिए काफी कुछ पढ़ना पड़ा।

मूर्ति पर रिसर्च करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था की मदद भी ली गई । इसे लेकर भी काफी चर्चा हुई कि चेहरे का भाव सख्त हो या मुस्कुराता हुआ हो। इसका चयन करने के लिए इतिहासकारों और गुजरात के कई लोगों से सरदार पटेल की फोटो मंगाई गई। ढाई हजार फोटो में से एक का चयन हुआ, जिसमें सरदार पटेल थोड़ा मुस्कुरा रहे थे। पहली बार में ही जो चेहरा बनाया गया, उसे मंजूरी मिल गई। उन्होंने बताया कि 31 अक्टूबर को बेटे अनिल सुतार के साथ उद्घाटन में हिस्सा लेने गुजरात जाना है।

गांधी से प्रेरित हैं राम सुतार

महात्मा गांधीजी से काफी प्रभावित राम सुतार का कहना है कि उन दिनों मैं महाराष्ट्र में था। गांधीजी विदेशी कपड़ों के बहिष्कार का आंदोलन चला रहे थे। वह महाराष्ट्र के धुलिया गांव में आए थे। वहीं मुलाकात हुई थी। उनसे प्रेरित होकर मैंने भी अपनी टोपी जला दी थी। इसके बाद दिल्ली आया। यहां उनसे मिलता रहता था। उनके ही माध्यम से पंडित जवाहर लाल नेहरू से मिला। 1961 में जवाहर लाल नेहरू ने प्रधानमंत्री आवास में बुलाया था। वह काफी प्रोत्साहित करते थे। 

उनके मुताबिक, सबसे ज्यादा मूर्ति तो उऩ्होंने गांधीजी की ही बनाई हैं। विश्व के 350 शहरों में मेरे हाथों से बनी गांधीजी की प्रतिमा लगी है। भारत के तकरीबन सभी महापुरुषों की मूर्ति बनाई है।

नरेंद्र मोदी की मूर्ति भी बनाऊंगा!
पीएम नरेंद्र मोदी की प्रतिमा बनाने या डिजाइन करने की चर्चा पर उन्होंने कहा कि हम कारपेंटर फैमिली से हैं। बचपन में गांव में पिता जी के साथ काम करते थे और स्कूल में आर्ट वर्क भी करते थे। उस समय गांव वाले जो बर्तन खरीदते थे, उस पर अपना नाम लिखवाते थे। वह काम भी मैंने किया है। मैंने कभी यह सोचकर मूर्ति नहीं बनाई कि इनकी बनानी है, इनकी नहीं बनानी है। कलाकार हूं, अगर किसी ने नरेंद्र मोदी की मूर्ति बनवाई तो वह भी बनाऊंगा।

पहली बार स्कूल में टीचर के कहने पर मैंने मिट्टी के गणेश बनाए थे। उस समय मैं 7 या 8 साल का था। पहली बार पहलवानों को प्रोत्साहित करने के लिए बॉडी बिल्डर की प्रतिमा बनाई थी। इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा।