'एक पहाड़ी' की वजह से भी बढ़ रहा दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण, जानिये- क्या है पूरा मामला
वायु प्रदूषण का स्तर दिन प्रतिदिन बढ़ने के पीछे एक मुख्य कारण अरावली पहाड़ी की हरियाली में कमी है। अवैध खनन की वजह से क्षेत्र की 10 से अधिक पहाड़ियां गायब हो गईं।
By JP YadavEdited By: Updated: Mon, 29 Oct 2018 02:50 PM (IST)
गुरुग्राम, जेएनएन। अरावली पहाड़ी क्षेत्र के साथ की गई छेड़छाड़ का खामियाजा पूरा एनसीआर भुगत रहा है। वायु प्रदूषण का स्तर दिन प्रतिदिन बढ़ने के पीछे एक मुख्य कारण अरावली पहाड़ी की हरियाली में कमी है। वैध और अवैध खनन की वजह से क्षेत्र की 10 से अधिक पहाड़ियां गायब हो गईं। इनमें से कुछ पहाड़ियों का नामोनिशान तक नहीं बचा है। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद भी अवैध खनन किए जा रहे हैं।
बता दें कि अस्सी के दशक तक अरावली पहाड़ी क्षेत्र हरियाली का प्रतीक था। हर तरफ वन्य जीव दिखाई देते थे। कभी इलाके में बाघ भी थे। अब तेंदुआ, लकड़बग्घा, हिरण, नील गाय, खरगोश सहित कुछ प्रकार के वन्य जीव ही रह गए हैं।शहरीकरण की आंधी तेज होने का सबसे अधिक खामियाजा अरावली पहाड़ी क्षेत्र को भुगतना पड़ा। भू-माफियाओं से लेकर खनन माफियाओं ने जमकर क्षेत्र का दोहन किया। अरावली पहाड़ी क्षेत्र वन क्षेत्र घोषित है, इसके बाद भी अनुमान के मुताबिक 15 हजार एकड़ से अधिक भूमि पर गैर वानिकी कार्य कर दिए गए। न केवल सैंकड़ों फार्म हाउस बन चुके हैं बल्कि स्कूल, गोशाला आदि काफी संख्या में बन चुके हैं। यही नहीं कई सोसायटी तक विकसित कर दी गईं। इसकी वजह से हरियाली काफी कम हो गई। वैध एवं अवैध खनन की वजह से भी काफी हरियाली खत्म हो गई। साथ ही भूमिगत जल स्तर पर भी पाताल में चला गया।
होडल से लेकर नारनौल तक कई पहाड़ी गायब अरावली की 10 से अधिक छोटी पहाड़ियां गायब हो चुकी हैं। होडल के पास पूरी पहाड़ी खनन की वजह से गायब हो गई। नारनौल में नांगल दरगु के नजदीक पहाड़ी खत्म हो गई। सोहना से आगे तीन पहाड़ियां गायब हो गईं। महेंद्र के ख्वासपुर की पहाड़ी काफी हद तक गायब हो चुकी है। इसी तरह कई जगह वैध व अवैध खनन की वजह से पहाड़ी गायब हो गई। इस वजह से जो अरावली पहाड़ी क्षेत्र धूल मिट्टी को अवशोषित करता था वह क्षेत्र अब वायू प्रदूषण का स्तर बढ़ाने में भूमिका निभाता है। हरियाली की वजह से धूल मिट्टी ऊपर नहीं जा पाती थी।
अरावली पहाड़ी क्षेत्र की वजह से होता भूकंप से बचाव गुरुग्राम सहित एनसीआर के अधिकतर इलाके भूकंप के हिसाब से संवेदनशील जोन चार में आते हैं। अरावली पहाड़ी क्षेत्र की वजह से ही बार-बार भूकंप आने के बाद भी विशेष असर नहीं दिखाई देता। अरावली पहाड़ी क्षेत्र काफी ठोस है। पर्यावरण कार्यकर्ताओं का मानना है कि यदि अरावली पहाड़ी क्षेत्र के संरक्षण पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया तो दिल्ली-एनसीआर के लोगों को सांस लेना मुश्किल हो जाएगा। साथ ही भूकंप से भारी नुकसान हो सकता है।
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