10 नवंबर तक नरेला की औद्योगिक इकाइयों पर प्रतिबंध
-रबड़ और प्लास्टिक कचरे में अब भी लग रही आग के बाद लिया गया निर्णय -अगले दस दिनों तक नरेला
-रबड़ और प्लास्टिक कचरे में अब भी लग रही आग के बाद लिया गया निर्णय
-अगले दस दिनों तक नरेला में नहीं चलेगी कोई औद्योगिक इकाई
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली :
दिल्ली में स्मॉग की स्थिति उत्पन्न होते देख पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने सख्त रवैया अख्तियार कर लिया है। सख्ती का परिचय देते हुए ईपीसीए ने एक से 10 नवंबर तक नरेला औद्योगिक क्षेत्र को बंद रखने के निर्देश जारी कर दिए हैं।
दरअसल, नरेला में जूते चप्पल बनाने की फैक्ट्रियां बड़ी संख्या में हैं। इनके सोल में लगने वाले रबर व प्लास्टिक में यहां लगातार आग लगाई जा रही है। इसीलिए ईपीसीए ने यह कदम उठाया है। ईपीसीए के अध्यक्ष डॉ. भूरे लाल ने कहा कि नया औद्योगिक कचरा उत्पन्न न हो, इसीलिए यह कदम उठाया गया है। इन दस दिनों में उत्तरी दिल्ली नगर निगम यहा के सभी ढलाव और सड़कों के किनारे पड़े कूड़े को पूरी तरह साफ करेगी। इसके बाद एरिया की नियमित सफाई होती रहेगी। इस समय अकेले नरेला में ही रोज तकरीबन 350 टन औद्योगिक कचरा सड़कों के किनारे डाला जा रहा है। डलाव घर यहा पूरी तरह से भर चुके हैं। पिछले तीन महीने से यही हाल है। इसी कारण कूड़े में आग लग रही है।
इसके अतिरिक्त तीन नवंबर से हवा की गति में कमी आने के पूर्वानुमान के मद्देनजर एक से 10 नवंबर तक दिल्ली एनसीआर के सभी ईंट-भट्ठों को भी बंद रखने के नए आदेश जारी किए गए हैं। दिल्ली-एनसीआर में सभी तरह की निर्माण संबंधी गतिविधियों पर ईपीसीए पहले ही रोक लगा चुका है। हालांकि इसमें घर दफ्तर की आंतरिक मरम्मत और बिना निर्माण सामग्री के होने वाले काम शामिल नहीं हैं। इस दौरान दिल्ली-एनसीआर के सभी हॉट मिक्स प्लाट और स्टोन क्रेशर भी बंद रहेंगे।
इसके अलावा कोयले और बायोमास से चलने वाली फैक्ट्रियां भी बंद रहेंगी। इसमें एनसीआर के थर्मल पावर प्लाट और वेस्ट टू एनर्जी प्लाट शामिल नहीं हैं। बदरपुर प्लाट भी 15 अक्टूबर से बंद है।
भूरे लाल ने फिर दोहराया है कि ईपीसीए सीपीसीबी की टास्क फोर्स से मिलकर निजी वाहनों के इस्तेमाल को कुछ समय के लिए बंद करने या कम करने के साथ-साथ दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश पर रोक लगाने पर भी विचार कर रहा है। उन्होंने लोगों से अपील भी की है कि वो साथ दें और निजी वाहनों का इस्तेमाल कुछ समय के लिए बंद कर दें। डीजल गाड़ियों का इस्तेमाल तो बिल्कुल न करें ताकि हालत और अधिक खराब न हों।