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श्रेष्ठ भारत की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाया केंद्रीय विद्यालयों के छात्रों ने

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : भारत की एकता और अखंडता का जीता जागता समन्वय एक साथ बच्चों ने प्रस्

By JagranEdited By: Updated: Wed, 31 Oct 2018 10:58 PM (IST)
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श्रेष्ठ भारत की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाया केंद्रीय विद्यालयों के छात्रों ने

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :

भारत की एकता और अखंडता का जीता जागता समन्वय एक साथ बच्चों ने प्रस्तुत किया। केंद्रीय विद्यालय संगठन का तीन दिवसीय 'राष्ट्रीय एकता शिविर-एक भारत श्रेष्ठ भारत' का बुधवार को दिल्ली के विज्ञान भवन के लॉन में शुरू हुआ। यह 2 नवंबर तक चलेगा। इसमें देश भर के 25 रीजन से 1194 स्कूलों के 1600 बच्चों एवं 175 शिक्षकों ने हिस्सा लिया। हर रीजन से 63 बच्चे और 7 शिक्षकों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। 2 नवंबर को विजेताओं को पुरस्कृत किया जाएगा।

इस शिविर की सबसे खास बात यह रही कि यहां पर केरल के बच्चों ने हिमाचल प्रदेश के परंपरागत नृत्य को पेश किया तो चेन्नई के छात्रों ने जम्मू-कश्मीर के लोक गीतों एवं परंपरागत नृत्य को प्रदर्शित किया। नृत्य के दौरान छात्र दूसरे राज्यों के लोक गीतों को गाकर नृत्य प्रदर्शित कर रहे थे।

बुधवार को इस शिविर का उद्घाटन युवा एवं खेल मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने किया। इस अवसर पर केंद्रीय विद्यालय संगठन के आयुक्त संतोष कुमार मल्ल मौजूद थे।

इस अवसर पर राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा कि उनकी स्कूली शिक्षा भी केंद्रीय विद्यालय में ही संपन्न हुई। उन्होंने कहा कि केंद्रीय विद्यालयों में देशभक्ति और राष्ट्रीय एकता की भावना स्वत: विकसित हो जाती है। उन्होंने बच्चों से खेलों से जुड़ने की भी अपील की। राठौर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' की मुहिम के तहत देश के समस्त राज्यों को एक दूसरे को समझने और उनकी संस्कृति को पहचानने की खूबसूरत संकल्पना की गई है।

कैसे पहुंचते हैं राष्ट्रीय स्तर तक छात्र

संगठन के सहायक संपादक सचिन राठौड़ ने बताया कि तीन साल से 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' थीम के तहत राष्ट्रीय शिविर का आयोजन किया जा रहा है। स्कूल, क्लस्टर व रीजनल स्तर पर छात्रों के बीच प्रतियोगिताएं होती हैं। इसके बाद इन्हें राष्ट्रीय शिविर में प्रदर्शन करने का अवसर मिलता है, जहां पर एक राज्य व रीजन के छात्र को दूसरे राज्य व रीजन की संस्कृति , परंपरागत विरासत को पहचानकर उस पर शोध करते हुए नृत्य, कलात्मक रचनाएं, प्रदर्शनी, रचनात्मक लेखन जैसी गतिविधियों में हिस्सा लेना होता है। छात्र इन सबसे जुड़ी कुल 17 एक्टिविटी में हिस्सा लेते हैं।

किसी ने टिशु पेपर की बदौलत ड्रैगन बनाया तो किसी ने एक ही पेंटिंग में पूरे राज्य को समा दिया

दिल्ली रीजन के कुल 45 स्कूलों से चुन कर शिविर में पहुंचे छात्रों को सिक्किम राज्य और मिस्र देश पर शोध करते हुए इनकी सांस्कृतिक विरासत को नृत्य व प्रदर्शनी के माध्यम से प्रस्तुत करना था। इन्होंने सिक्किम की पंरपरा को ध्यान में रखते हुए वहां पर कई प्रकार से ड्रैगन की तस्वीर को प्रदर्शित किया। दिल्ली के छात्रों ने टिशु पेपर के इस्तेमाल से तीन फुट लंबे ड्रैगन को तैयार किया, वहीं बनारस के छात्रों ने त्रिपुरा राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को एक ही पेंटिंग में ढाल कर शानदार पेंटिंग तैयार की।

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