टूरिस्ट ट्रेनों में बेहतर कोच के साथ राजधानी व शताब्दी में पसंदीदा स्नैक्स
राजधानी शताब्दी के नियमित यात्रियों को बेहतर अनुभव कराने के लिए आइआरसीटीसी ने उन्हें बेहतर किस्म के पैकेज्ड स्नैक्स सर्व करना शुरू किया है।
संजय सिंह, नई दिल्ली।आइआरसीटीसी ने अपनी सामान्य टूरिस्ट ट्रेनों के कोच और राजधानी, शताब्दी तथा दुरंतो में खाने की गुणवत्ता सुधारने के नए प्रयास प्रारंभ किए हैं। इनके तहत 14 जनवरी से सिखों के लिए चलाई जाने वाली पंज तख्त एक्सप्रेस में बेहतर कोच लगाने के इंतजाम किए गए हैं। जबकि राजधानी, शताब्दी व दूरंतो ट्रेनों में ब्रेकफास्ट के तौर पर कुछ नए अनोखे स्नैक्स ब्रांड को आजमाया जा रहा है।
पंज तख्त एक्सप्रेस एक स्पेशल टूरिस्ट ट्रेन है, जो बेहद किफायती दर पर सिखों के पांच पवित्र तीर्थस्थलों की सैर कराएगी। इनमें श्री हजूर साहिब, नांदेड़, पटना साहिब-पटना, आनंदपुर साहिब-आनंदपुर साहिब, अकाल तख्त साहिब- अमृतसर तथा दमदमा साहिब-बठिंडा शामिल हैं। दस दिन और नौ रातों का यह पैकेज मात्र 15750 रुपये प्रति व्यक्ति में उपलब्ध कराया जा रहा है। जिसमें थर्ड एसी के रेल किराये के अलावा ठहरने, भोजन और घूमने-फिरने का खर्च शामिल है। आइआरसीटीसी के अधिकारियों के मुताबिक, 'पिछले दिनो चली रामायण एक्सप्रेस के कोच को लेकर कुछ शिकायतें आने के बाद हमने पंज तख्त एक्सप्रेस में बेहतर किस्म के थर्ड एसी कोच लगाने के इंतजाम किए हैं।'
राजधानी, शताब्दी में नए स्नैक्स
इस बीच राजधानी शताब्दी के नियमित यात्रियों को बेहतर अनुभव कराने के लिए आइआरसीटीसी ने उन्हें बेहतर किस्म के पैकेज्ड स्नैक्स सर्व करना शुरू किया है। इनमें कैरामल पॉपकार्न और क्रिस्पी मखाने शामिल हैं। इन्हें श्रेणियों के अनुसार यात्रियों को उपलब्ध कराया जा रहा है। जहां तक सुबह/दोपहर के भोजन का प्रश्न है तो इसके लिए विभिन्न बेस किचन की रियल टाइम ऑनलाइन निगरानी की जा रही है। इससे साफ-सफाई और गुणवत्ता को लेकर शिकायतों में कमी आई है। लेकिन खाने में बुनियादी सुधार के लिए इसकी कीमत में बढ़ोतरी आवश्यक है।
फिलहाल राजधानी व शताब्दी के फर्स्ट एसी में 155 रुपये और सेकंड व थर्ड एसी में 135 रुपये में दोपहर-शाम का खाना उपलब्ध कराया जा रहा है। जबकि दुरंतो के स्लीपर क्लास (दुरंतो) में लंच-डिनर के लिए 85 रुपये वसूले जा रहे हैं। सुबह के नाश्ते की दर क्रमश: 100 रुपये, 80 रुपये और 45 रुपये है।
किराये में शामिल इस रकम में दो तिहाई से ज्यादा राशि कर्मचारियों के मेहनताने, पैकेजिंग, ढुलाई, कांट्रैक्टर के मुनाफे और रेलवे की लाइसेंस फीस आदि में निकल जाती है। जबकि मात्र एक तिहाई रकम खाद्य सामग्री खरीदने के लिए बचती है। इतनी कम राशि में ताजा, गर्म, स्वादिष्ट और विविधतापूर्ण भोजन की नियमित रूप से आपूर्ति करना अत्यंत चुनौतीपूर्ण है। 'हमारे पास बेहद सीमित संसाधन व स्टाफ है। इसके बावजूद हम विविध उपायों के जरिए यात्रियों को संतुष्ट करने का भरसक प्रयास कर रहे हैं।'