राजनीति में छाया भोजपुरी का यह सुपर स्टार, पढ़िए- एक्टर से सांसद बनने की स्टोरी
वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार से चिंतित पार्टी नेतृत्व ने दिल्ली नगर निगम चुनाव के ठीक पहले दिसंबर 2016 में मनोज तिवारी को दिल्ली भाजपा की कमान सौंपी थी।
नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। अभिनेता से नेता बने मनोज तिवारी ने दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के तौर पर दो साल पूरे कर लिए हैं। लीक से हटकर पार्टी आलाकमान द्वारा एक पूरबिया व सियासत में अनुभवहीन समझे जाने वाले चेहरे पर दांव लगाना अब तक सही साबित हुआ है। एक मझे सियासी खिलाड़ी की तरह मनोज तिवारी ने दिल्ली में सियासत की हर दांव चली और इन दो सालों में देश की राजनीति तक में खुद को स्थापित किया है।
पूर्वांचल के साथ ही अन्य वर्गों को साधने में वह कामयाब रहे हैं। यही कारण है कि आज उनकी गिनती भाजपा के सबसे ज्यादा मांग वाले स्टार प्रचारकों में होती है। इसके बावजूद आने वाले महीने उनके लिए बेहद चुनौतीपूर्ण हैं, क्योंकि लोकसभा चुनाव में पार्टी की चमत्कृत जीत को दोहराने का दारोमदार उन्हीं के कंधे पर रहेगा। यदि वह इसमें सफल रहते हैं तो उनका राजनीतिक कद और बढ़ेगा। वहीं असफल होने की स्थिति में विरोधियों को उनपर हावी होने का मौका मिल जाएगा।
वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार से चिंतित पार्टी नेतृत्व ने दिल्ली नगर निगम चुनाव के ठीक पहले दिसंबर 2016 में मनोज तिवारी को दिल्ली भाजपा की कमान सौंपी थी। उनकी लोकप्रियता की वजह से पार्टी की चुनावी सभाओं में भीड़ उमड़ने लगी और उन्होंने भी जमकर दिल्ली की सड़कों पर पसीना बहाया। परिणामस्वरूप पार्टी वर्ष 2017 में तीनों निगमों की सत्ता में वापसी करने में सफल रही।
पार्टी का स्टार प्रचारक होने के नाते विभिन्न राज्यों में चुनाव प्रचार के साथ दिल्ली के संगठन को संभालना आसान नहीं था पर वह इसमें तालमेल बैठाने में सफल कहे जा सकते हैं। पूर्वाचल के लोगों को पार्टी के साथ जोड़ने के लिए उन्होंने झुग्गी बस्तियों में रात्रि प्रवास किया। रामलीला मैदान में पूर्वाचल के लोगों की बड़ी रैली करके उन्होंने विरोधियों को संदेश दे दिया है कि पूरब के लोग अब भाजपा के साथ हैं।
इसके साथ ही दिल्ली सरकार को घेरने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी। सीलिंग से त्रस्त दिल्लीवासियों के साथ खड़े होकर उन्होंने विरोधियों पर बढ़त बनाई। हालांकि, इस मामले में उन्हें सुप्रीम कोर्ट के भी चक्कर लगाने पड़े। इससे पहले कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा में धांधली का आरोप लगाकर प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों के साथ खड़े होकर उन्होंने मोदी विरोधियों से मुद्दा छीनने में सफल रहे थे।
इन उपलब्धियों के बावजूद वह दिल्ली भाजपा में गुटबाजी रोकने में कुछ हद तक असफल रहे हैं। इसलिए उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती सभी नेताओं को एकजुट करके अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सातों सीटों पर कब्जा बरकरार रखने की है।
...इसलिए बनाए गए थे दिल्ली भाजपा अध्यक्ष
मनोज तिवारी दिल्ली समेत देशभर में पूरबियों के बीच खासे चर्चित हैं। गायक और अभिनेता से राजनेता बने मनोज तिवारी ने 2014 के लोकसभा चुनावों में दिल्ली की नॉर्थ-ईस्ट लोकसभा सीट से चुनाव जीता था। दिल्ली में करीब 40 फीसदी वोटर पूर्वांचल के हैं। 70 में से कई सीटों पर पूरबियों का दबदबा है।
भोजपुरी फिल्मों में खेली सफल पारी
भोजपुरी के जाने-माने गायक मनोज तिवारी सांसद बनने से पहले न सिर्फ गाने गाते थे बल्कि अभिनय में भी बेहतरीन प्रदर्शन किया। भोजपुरी फिल्मों और भोजपुरी गानों के अलबम से भी मनोज तिवारी को काफी पहचान मिली है। भोजपुरी के लोकगायक होने के नाते उन्हें पूर्वांचल के लोगों के बीच काफी पसंद किया जाता है। अक्सर जब कार्यक्रमों में उनसे गाना गाने की अपील की जाती है तो वे भोजपुरी ही गाते हैं। छोटे पर्दे पर भी वह काफी ज्यादा छाए रहे।