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मोबाइल डिस्पेंसरी वैन की संख्या दोगुनी की जाएगी : सचिन शर्मा

पूर्वी दिल्ली नगर निगम की स्वास्थ्य व उद्यान समिति की बैठक में संशोधित बजट को पास कर दिया गया। अब इसे स्थायी समिति में चेयरमैन द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा।

By JagranEdited By: Updated: Wed, 26 Dec 2018 08:32 PM (IST)
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मोबाइल डिस्पेंसरी वैन की संख्या दोगुनी की जाएगी : सचिन शर्मा

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : पूर्वी दिल्ली नगर निगम की स्वास्थ्य व उद्यान समिति की बैठक में संशोधित बजट को पास कर दिया गया। अब इसे स्थायी समिति में चेयरमैन द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा।

स्वास्थ्य समिति के चेयरमैन सचिन शर्मा ने कहा कि पूर्वी दिल्ली नगर निगम क्षेत्र में 64 वार्ड हैं, लेकिन मोबाइल डिस्पेंसरी वैन की संख्या सिर्फ आठ है, इसे बढ़ाकर आगामी बजट में इसकी संख्या 16 की जाएगी। जिससे हर विधानसभा पर एक मोबाइल डिस्पेंसरी रहे। उन्होंने कहा कि यमुनापार के कई ऐसे इलाके हैं, जहां स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं हैं। इन जगहों पर मोबाइल डिस्पेंसरी से लोगों को काफी फायदा होता है। अभी इन जगहों पर सप्ताह में एक दिन या कुछ घंटों के लिए मोबाइल डिस्पेंसरी जाती है। इसकी संख्या बढ़ने पर उन सभी जगहों पर मोबाइल डिस्पेंसरी भेजी जा सकेगी, जहां इसकी जरूरत है। उन्होंने दवा की खरीद में भी बजट की अधिक व्यवस्था करने पर बल दिया, जिससे मोबाइल डिस्पेंसरी वैन के साथ अस्पतालों व डिस्पेंसरी में दवा की कमी न रहे।

बजट बैठक में उन्होंने जन स्वास्थ्य विभाग, अस्पताल, डिस्पेंसरी व वेटनरी विभाग में खाली पदों पर शीघ्र भर्ती की सिफारिश की। शर्मा ने कहा कि खाली पदों भरना आवश्यक है। कर्मचारियों व चिकित्सकों के अभाव में कई कार्य बाधित हो रहे हैं। करावल नगर स्थित वीर सावरकर ब्लॉक अस्पताल में कई जांच की सुविधा नहीं है, जिससे मरीजों को परेशानी होती है। इस अस्पताल में आधुनिक लैब शुरू करने के लिए उन्होंने सिफारिश की। रेहड़ी-पटरी वालों को अस्थायी लाइसेंस देने को भी हरी झंडी दे दी गई। शर्मा ने कहा कि अनधिकृत कॉलोनियों में स्वास्थ्य व्यापार लाइसेंस नहीं दिए जाते हैं, लेकिन निगम कर्मियों द्वारा समय-समय पर अवैध वसूली की शिकायतें मिलती रहती हैं। इस कारण नए नियम और शर्ते बनाकर इन क्षेत्रों में भी अस्थायी लाइसेंस प्रदान करने की व्यवस्था की जाए, इससे राजस्व में वृद्धि होगी। होटल, रेस्टोरेंट व ढाबों द्वारा अवैध रूप से कब्जा किए जगहों पर प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से शुल्क वसूला जाए, जिससे निगम की आय बढ़ेगी।

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