विदेशी पर्यटकों की आड़ में दिल्ली में कर डाला लाखों का घोटाला, एक गलती से खुला राज
स्मारक स्थल पर तैनात एक अधिकारी 22 दिसंबर को निकास द्वार का निरीक्षण कर रहे थे। उसी समय एक विदेशी पर्यटक का टोकन सिस्टम में फंस गया। इसके बाद पूरे मामला का खुलासा हो गया।
By Edited By: Updated: Thu, 27 Dec 2018 10:09 AM (IST)
नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। दिल्ली में हुमायूं का मकबरा देखने आने वाले विदेशियों को भारतीय टोकन थमाकर डाटा ऑपरेटरों ने लाखों रुपये का घोटाला कर दिया। घोटाला तब पकड़ में आया जब एक विदेशी का टोकन मशीन में फंस गया। अधिकारी ने जब जांच करवाई तो पता चला कि पांच दिनों से यह खेल चल रहा था। घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने टोकन बिक्री करने वाले आठ डाटा ऑपरेटरों को बर्खास्त कर दिया है।
वहीं, घपला किए गए पौने तीन लाख रुपये भी संबंधित कंपनी से जमा कराकर आरोपितों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी है। हालांकि संबंधित कंपनी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे एएसआइ के अधिकारियों पर भी सवाल उठ रहे हैं।यहां बता दें कि हुमायूं के मकबरे में टोकन वितरण का काम नवंबर माह में एक निजी कंपनी को सौंपा गया था। हालांकि यहां टोकन वितरण का काम कंपनी ने पुराने कर्मचारियों को ही सौंप दिया था। स्मारक में भारतीयों के प्रवेश के लिए 35 रुपये और विदेशी पर्यटकों के लिए 550 रुपये का टोकन है। 17 दिसंबर को यहां तैनात डाटा |ऑपरेटरों ने विदेशी पर्यटकों के लिए 200 नए टोकन स्टोर से इश्यू कराए। इनमें से 50 टोकन से घपला कर रहे थे। विदेशी और भारतीय पर्यटकों को दिए जाने वाले टोकन में चिप और रंग अलग-अलग होता है।
इस तरह किया घपला
डाटा ऑपरेटरों ने इन 550 रुपये वाले 50 टोकन को 17 दिसंबर को ही विदेशी पर्यटकों को बेच दिया। पहचान के लिए इन पर एक विशेष निशान बना दिया। इसके बाद इन टोकन को विदेशी पर्यटकों को 35 रुपये से रिचार्ज करके थमाने लगे। सिस्टम में ऐसी व्यवस्था है कि नए टोकन को जिस राशि से रिचार्ज किया जाता है। भविष्य में भी वह उसी राशि को स्वीकार करता है। ऐसे में विदेशी पर्यटकों के आने पर एएसआइ के खाते में 35 रुपये जा रहे थे, जबकि 515 रुपये ऑपरेटरों के खाते में जा रहे थे।विदेशी का टोकन फंसा तो पकड़े गए
स्मारक स्थल पर तैनात एक अधिकारी 22 दिसंबर को निकास द्वार का निरीक्षण कर रहे थे। उसी समय एक विदेशी पर्यटक का टोकन सिस्टम में फंस गया। पर्यटक की मदद के लिए अधिकारी ने देखा तो टोकन विदेशियों वाला था, लेकिन सिस्टम के डिस्प्ले बोर्ड पर इंडियन लिखा आ रहा था। जांच कराने पर 50 टोकनों में इस तरह की गड़बड़ी मिली। एएसआइ ने 2018 के शुरू में दिल्ली सहित देश के नौ स्मारकों में टोकन सिस्टम लगाया था। इसमें दिल्ली के स्मारक कुतुबमीनार, लालकिला, पुराना किला व हुमायूं का मकबरा में टोकन से प्रवेश की व्यवस्था की गई है। इस व्यवस्था के तहत टिकट की जगह टोकन से प्रवेश मिलता है।
डाटा ऑपरेटरों ने इन 550 रुपये वाले 50 टोकन को 17 दिसंबर को ही विदेशी पर्यटकों को बेच दिया। पहचान के लिए इन पर एक विशेष निशान बना दिया। इसके बाद इन टोकन को विदेशी पर्यटकों को 35 रुपये से रिचार्ज करके थमाने लगे। सिस्टम में ऐसी व्यवस्था है कि नए टोकन को जिस राशि से रिचार्ज किया जाता है। भविष्य में भी वह उसी राशि को स्वीकार करता है। ऐसे में विदेशी पर्यटकों के आने पर एएसआइ के खाते में 35 रुपये जा रहे थे, जबकि 515 रुपये ऑपरेटरों के खाते में जा रहे थे।विदेशी का टोकन फंसा तो पकड़े गए
स्मारक स्थल पर तैनात एक अधिकारी 22 दिसंबर को निकास द्वार का निरीक्षण कर रहे थे। उसी समय एक विदेशी पर्यटक का टोकन सिस्टम में फंस गया। पर्यटक की मदद के लिए अधिकारी ने देखा तो टोकन विदेशियों वाला था, लेकिन सिस्टम के डिस्प्ले बोर्ड पर इंडियन लिखा आ रहा था। जांच कराने पर 50 टोकनों में इस तरह की गड़बड़ी मिली। एएसआइ ने 2018 के शुरू में दिल्ली सहित देश के नौ स्मारकों में टोकन सिस्टम लगाया था। इसमें दिल्ली के स्मारक कुतुबमीनार, लालकिला, पुराना किला व हुमायूं का मकबरा में टोकन से प्रवेश की व्यवस्था की गई है। इस व्यवस्था के तहत टिकट की जगह टोकन से प्रवेश मिलता है।
सभी स्मारकों में जांच के आदेश
टोकन बिक्री में घोटाला सामने आने के बाद एएसआइ ने दिल्ली सहित देश के सभी स्मारकों में जांच के आदेश दिए हैं। माना जा रहा है कि जांच से टोकन बिक्री में घोटाले का खेल लाखों से करोड़ों तक पहुंच सकता है। बताया जा रहा है कि एएसआइ में डाटा ऑपरेटर की नौकरी पाने के लिए आवेदकों ने एक-एक लाख तक की रिश्वत दी थी।
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