जानिये- कहां है देश की सबसे बड़ी जिला अदालत, यहां रोजाना आते हैं 40 हजार लोग
यह अदालत वर्ष 1990 में बननी शुरू हुई। थी। वर्ष 1993 में फेस वन के तहत इसका पहला ब्लॉक बनकर पूरा हुआ। कई सालों बाद 2010 में इसका काम पूरा हुआ।
By JP YadavEdited By: Updated: Thu, 27 Dec 2018 01:36 PM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। कड़कड़डूमा कोर्ट देश की सबसे बड़ी जिला अदालत है। अपनी भव्यता के साथ ही यह अपनी खूबियों के लिए भी जानी जाती है। जब हमें इस अदालत को डिजाइन करने का काम मिला तब बताया गया कि यहां रोजाना 40 हजार से अधिक लोग आते हैं। इनमें फरियादी से लेकर वकील व कोर्ट के अधिकारी तक होते हैं। कोर्ट में जजों से लेकर अंडरट्रायल कैदियों के साथ ही हजारों वकीलों की सुरक्षा के लिहाज से इसके ढांचे का निर्माण हमारे लिए काफी चुनौतीपूर्ण था।
इस अदालत का काम शुरू करने से पहले हमने कई कोर्ट परिसर, जेल व थानों के लॉकअप आदि देखकर उनका अध्ययन किया। उन सबकी कमियों और विशेषताओं को नोट किया ताकि इस परिसर में वे कमियां न रहें। यह अदालत वर्ष 1990 में बननी शुरू हुई। थी। वर्ष 1993 में फेस वन के तहत इसका पहला ब्लॉक बनकर पूरा हुआ, जिसमें 32 कोर्ट तैयार हो गए थे। इसके बाद 42 कोर्ट और बनकर तैयार हुए। फिर लॉयर्स चैंबर्स बनाए गए। वर्ष 2010 में इसका काम पूरा हुआ। समय व जरूरत के अनुसार अदालत में सुविधाएं बढ़ाई गईं।
खूब चौड़े हैं गलियारे
आज कोर्ट में बेसमेंट समेत छह मंजिला कार पार्किंग हैं। इसमें करीब एक हजार कार खड़ी हो सकती हैं। 759 लॉयर्स चैंबर्स और 100 कोर्ट रूम वाली इस जिला अदालत का भवन हर किसी को आकर्षित करता है। खास बात यह है कि कोर्ट के हर सेक्शन में रास्ते और गलियारे इतने चौड़े बनाए गए हैं कि कहीं भी आवागमन की समस्या नहीं होती है। किसी आपात स्थिति में भी यहां से आराम से निकला जा सकता है। अदालतों में अंडरट्रायल कैदियों पर अक्सर हमला हो जाता है। इसे देखते हुए सुरक्षा के लिहाज से भी इस कोर्ट परिसर को चाक-चौबंद बनाया गया है।
धूप न बारिश में परेशानी
करीब 63 एकड़ में फैले इस कोर्ट परिसर में फरियादियों को न तो धूप में समस्या होती है और न ही उन्हें बारिश में भीगना पड़ता है। कोर्ट परिसर में ही न्यायिक अधिकारियों का आवासीय परिसर भी है। इसमें टाइप-2 से लेकर टाइप-6 तक फ्लैट्स शामिल हैं। पर्याप्त आकार का प्रतीक्षालय, बैंक, पोस्ट ऑफिस हैं। कोर्ट के ज्यादातर कमरों में सूरज की रोशनी पहुंचने के लिए इसका विशेष डिजाइन तैयार किया गया है।
(यह स्टोरी आरके वत्स (आर्किटेक्ट) से अरविंद कुमार द्विवेदी से बातचीतपर आधारित है)
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