ऐसे पहचाने, कहीं आप भी तो नहीं हो रहे मोबाइल एडिक्शन के शिकार
बच्चों के केस में मोबाइल पर घंटों गेम्स खेलने की वजह से हिंसा के मामले सामने आ रहे हैं। कुछ मोबाइल गेम्स की वजह से तो बच्चों की जान भी गई है।
By Edited By: Updated: Fri, 28 Dec 2018 07:35 PM (IST)
गाजियाबाद, [शोभित शर्मा] । दिन में कई बार मोबाइल चेक करते हैं, सोने से पहले मोबाइल देखते हैं, सुबह उठते ही मोबाइल चेक करते हैं, मोबाइल न मिले तो बैचेनी रहती है और गुस्सा भी बहुत तेज आता है, अगर इस तरह से कुछ आपके साथ हो रहा है तो सावधान हो जाइए, यह उस सुविधा के साइड इफेक्ट हैं जो हर पल आपके पास है।
तेजी से बढ़ रहा मोबाइल एडिक्शन
मनोचिकित्सकों की मानें तो हर उम्र के लोगों में मोबाइल एडिक्शन तेजी से बढ़ रहा है जो लोगों को बीमार कर रहा है। एक सर्वे के अनुसार एक आम भारतीय रोज मोबाइल से तीन घंटे चिपका रहता है और एक हजार बार तक चेक करता है।जाने-अनजाने पहुंच रहा नुकसान
उन्हें इसके बारे में पता ही नहीं होता है। इससे होने वाली परेशानी के बारे में भी लोगों को आभास नहीं है। जाने-अनजाने में मोबाइल पर दिन भर लगे रहना नुकसान भरा साबित हो रहा है। बच्चों, युवाओं और बुर्जुगों में भी मोबाइल का अत्यधिक प्रयोग करने के दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं।
मनोचिकित्सकों की मानें तो हर उम्र के लोगों में मोबाइल एडिक्शन तेजी से बढ़ रहा है जो लोगों को बीमार कर रहा है। एक सर्वे के अनुसार एक आम भारतीय रोज मोबाइल से तीन घंटे चिपका रहता है और एक हजार बार तक चेक करता है।जाने-अनजाने पहुंच रहा नुकसान
उन्हें इसके बारे में पता ही नहीं होता है। इससे होने वाली परेशानी के बारे में भी लोगों को आभास नहीं है। जाने-अनजाने में मोबाइल पर दिन भर लगे रहना नुकसान भरा साबित हो रहा है। बच्चों, युवाओं और बुर्जुगों में भी मोबाइल का अत्यधिक प्रयोग करने के दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं।
मोबाइल एडिक्शन से इंटरनेट एडिक्शन
मोबाइल एडिक्शन से इंटरनेट एडिक्शन, सेल्फी लेना (खतरनाक स्थानों पर, जहां जान का खतरा भी है) वर्चुअल वर्ल्ड में रहना (जिसमें बिना जान-पहचान के लोगों से बात करना, घंटों चैटिंग में लगे रहना) भी बढ़ रहे हैं। यह सब चीजें सामाजिक और सामान्य जीवन के लिए खतरनाक साबित हो रही हैं। मोबाइल एडिक्शन को छुड़ाने के लिए ही मुम्बई में बाकायदा इसके क्लीनिक भी खोले गए हैं।
मोबाइल एडिक्शन से इंटरनेट एडिक्शन, सेल्फी लेना (खतरनाक स्थानों पर, जहां जान का खतरा भी है) वर्चुअल वर्ल्ड में रहना (जिसमें बिना जान-पहचान के लोगों से बात करना, घंटों चैटिंग में लगे रहना) भी बढ़ रहे हैं। यह सब चीजें सामाजिक और सामान्य जीवन के लिए खतरनाक साबित हो रही हैं। मोबाइल एडिक्शन को छुड़ाने के लिए ही मुम्बई में बाकायदा इसके क्लीनिक भी खोले गए हैं।
मोबाइल एडिक्शन के दुष्परिणाम
मनोचिकित्सक आर चंद्रा कहते हैं मोबाइल के अत्याधिक प्रयोग से पति और पत्नी के बीच झगड़े के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। पत्नियों की शिकायत रहती है कि पति मोबाइल पर ही रहते हैं और बात नहीं करते, कुछ केस में पतियों को भी ठीक ऐसी ही शिकायत पत्नियों से रहती है। इस वजह से झगड़े बढ़ रहे हैं और रिश्तों में बिखराव तक की नौबत आ रही है। खुद पर कंट्रोल करना जरूरी
बच्चों के केस में मोबाइल पर घंटों गेम्स खेलने की वजह से हिंसा के मामले सामने आ रहे हैं। कुछ मोबाइल गेम्स की वजह से तो बच्चों की जान भी गई है। मोबाइल एडिक्शन अगर किसी व्यक्ति को है तो यह कोशिश करना बेकार है कि वो एकदम ही मोबाइल छोड़ दे और मोबाइल को छोड़ा भी नहीं जा सकता है। इससे होने वाली परेशानियों से बचने के लिए खुद पर कंट्रोल करना जरूरी है। इस बात का ख्याल रखा जाए कि जब सुविधा जिंदगी पर हावी होने लगे तो उसकी लत को कम करने का प्रयास करें। मोबाइल के अलावा लाइफ के गोल पर ज्यादा फोकस करें दूसरी चीजों में खुद को व्यस्त रखने की कोशिश करें।
डॉ. संजीव त्यागी, वरिष्ठ मनोचिकित्सक
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- बच्चों में चिड़चिड़ापन बढ़ना
- हिंसा करना
- युवाओं में एकाकीपन बढ़ना
- सिर का भार गर्दन पर पड़ने से सर्वाइकल की समस्या
- रात में घंटों मोबाइल पर रहने से तनाव
- पर्सनल और सोशल लाइफ पर असर
- परिवार में झगड़े बढ़ना
- कम्यूनिकेशन गैप का बढ़ना
मनोचिकित्सक आर चंद्रा कहते हैं मोबाइल के अत्याधिक प्रयोग से पति और पत्नी के बीच झगड़े के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। पत्नियों की शिकायत रहती है कि पति मोबाइल पर ही रहते हैं और बात नहीं करते, कुछ केस में पतियों को भी ठीक ऐसी ही शिकायत पत्नियों से रहती है। इस वजह से झगड़े बढ़ रहे हैं और रिश्तों में बिखराव तक की नौबत आ रही है। खुद पर कंट्रोल करना जरूरी
बच्चों के केस में मोबाइल पर घंटों गेम्स खेलने की वजह से हिंसा के मामले सामने आ रहे हैं। कुछ मोबाइल गेम्स की वजह से तो बच्चों की जान भी गई है। मोबाइल एडिक्शन अगर किसी व्यक्ति को है तो यह कोशिश करना बेकार है कि वो एकदम ही मोबाइल छोड़ दे और मोबाइल को छोड़ा भी नहीं जा सकता है। इससे होने वाली परेशानियों से बचने के लिए खुद पर कंट्रोल करना जरूरी है। इस बात का ख्याल रखा जाए कि जब सुविधा जिंदगी पर हावी होने लगे तो उसकी लत को कम करने का प्रयास करें। मोबाइल के अलावा लाइफ के गोल पर ज्यादा फोकस करें दूसरी चीजों में खुद को व्यस्त रखने की कोशिश करें।
डॉ. संजीव त्यागी, वरिष्ठ मनोचिकित्सक