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घरवालों की मौत के बाद बहराइच की बच्‍ची को मौसी ने दिल्‍ली में बेचा, जज ने पहुंचाया घर

महिला उससे घर का सारा काम कराती और मारपीट करती थी। उसे फर्श पर ही सुलाया जाता था। एक दिन मौका पाकर वह ट्रेन में बैठ कर रेवाड़ी आ गई।

By Edited By: Updated: Fri, 28 Dec 2018 09:49 PM (IST)
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घरवालों की मौत के बाद बहराइच की बच्‍ची को मौसी ने दिल्‍ली में बेचा, जज ने पहुंचाया घर
धारूहेड़ा/रेवाड़ी, जेएनएन। मां-बाप की मौत के बाद उस बच्‍ची की क्‍या हालत हुई होगी जिसकी सगी मौसी ने उसे दिल्ली में किसी के हाथों बेच दिया। अपनों के सितम से बचने के लिए वह दिल्‍ली से भागती तो जरूर है मगर फिर वह पहुंच जाती है अनाथालय। ऐसी दुख की घड़ी में एक जज उसके लिए भगवान बन कर आए और उसे उसके घर को खोज निकाला। पढ़ें रोचक स्‍टोरी।

चंद घंटों में खोज निकाला गांव
जो काम पुलिस और संबंधित विभाग के अधिकारी नहीं कर पाए उसे एक न्यायाधीश ने कुछ घंटों की मेहनत से कर दिखाया। मामला एक बच्ची के लापता होने से जुड़ा है जो धारूहेड़ा में बेसहारा बच्चों के लिए बनाए गए आश्रम आशा किरण में रह रही है।

निरीक्षण में चला पता
आशा किरण में निरीक्षण के लिए पहुंचे अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मोहित अग्रवाल ने अपने प्रयासों से न सिर्फ बच्ची के गांव का बल्कि उसके घर तक का पता लगा लिया। बच्ची के माता-पिता की मौत हो चुकी है तथा वह अपनी मौसी के साथ रह रही थी। मौसी ने बच्ची को किसी व्यक्ति के हाथों बेच दिया तथा खुद उसका पुश्तैनी मकान बेचकर गायब हो गई।

इंटरनेट पर सर्च कर ढूंढा गांव
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मोहित अग्रवाल बृहस्पतिवार को औद्योगिक कस्बा स्थित आशा किरण में निरीक्षण के लिए पहुंचे थे। न्यायाधीश को वहां मालुम चला कि एक 11 वर्षीय बच्ची हाल ही में एक दिसंबर को आशा किरण में आई है। बच्ची यहां आने के बाद से ही गुमसुम थी।

काउंसिलिंग में बताया उत्‍तर प्रदेश
न्यायाधीश द्वारा की गई काउंसिलिंग के बाद बच्ची ने उत्तर प्रदेश में अपने गांव का नाम बता दिया। न्यायाधीश ने इंटरनेट पर बच्ची द्वारा बताया गया गांव सर्च करना शुरू किया, तो यह उत्तर प्रदेश के जिला बहराइच में मिला।

दो पुलिसकर्मियों को भेजा तब खुला मामला
उत्तर प्रदेश के संबंधित थाने में संपर्क कर उन्होंने दो पुलिसकर्मियों को बच्ची के गांव में भेजा। बच्ची द्वारा बताए गए नाम के पते पर पहुंचने के बाद पुलिसकर्मियों ने एक मकान व ग्रामीणों की फोटो भी वाट्सऐप पर भेजी। फोटो में बच्ची ने अपने घर व पड़ोस में रहने वाले लोगों को पहचान लिया। पुलिसकर्मियों ने न्यायाधीश को बताया कि बच्ची के घर को बेचा जा चुका है।

बच्ची से होती थी मारपीट
बच्ची ने बताया कि उसके माता-पिता की मौत हो चुकी है। बड़ी बहन शादीशुदा है तथा एक भाई रिक्शा चलाता है व दूसरा ढाबे पर काम करता है। माता-पिता की मौत के बाद वह अपनी मौसी के पास रहती थी तथा गांव के मदरसे में पढ़ती थी। एक दिन उसकी मौसी ने काम सिखाने के लिए एक व्यक्ति के साथ उसे दिल्ली भेज दिया। दिल्ली आने के बाद वह व्यक्ति उसे दिल्ली में एक रोजी नाम की महिला के पास छोड़ कर चला गया।

मौका देखकर भाग निकली
महिला उससे घर का सारा काम कराती और मारपीट करती थी। उसे फर्श पर ही सुलाया जाता था। एक दिन मौका पाकर वह ट्रेन में बैठ कर रेवाड़ी आ गई। एक दिसंबर को बच्ची रेवाड़ी रेलवे स्टेशन पर लावारिस हालत में मिली थी। इसके बाद उसे धारूहेड़ा स्थित अनाथालय भेजा गया। बच्ची के भाई से भी मोबाइल पर संपर्क करने का प्रयास किया जा रहा है।

फोटो देख कर पहचाना गांव
बच्ची ने फोटो में अपने मकान को पहचान लिया है तथा पड़ोस में रह रहे कई लोगों से बात भी की है। उसके बड़े भाई को इस संबंध में सूचना भेजी गई है, ताकि वह धारूहेड़ा आकर उसे अपने पास ले जा सके। अगर पहले बच्ची की काउंसिलिंग हो जाती तो वह अब तक अपने परिजनों के पास होती।
मोहित अग्रवाल, एसीजेएम रेवाड़ी।

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