Move to Jagran APP

34 साल बाद ऐसे सलाखों के पीछे पहुंचे सज्जन कुमार, जानें- सिख विरोधी दंगों में कब क्या हुआ

ये केस सटीक उदाहरण है कि कैसे प्रभावशाली लोग अपनी पहुंच के बल पर सालों कानून से आंख-मिचौनी खेलते रहते हैं। बावजूद अंत में जीत इंसाफ की ही होती है।

By Amit SinghEdited By: Updated: Mon, 31 Dec 2018 08:11 PM (IST)
Hero Image
34 साल बाद ऐसे सलाखों के पीछे पहुंचे सज्जन कुमार, जानें- सिख विरोधी दंगों में कब क्या हुआ

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। वर्ष 2018 का सूरज डूबने के साथ इंसाफ की एक लंबी लड़ाई भी अपने अहम पड़ाव पर पहुंच गई। 34 वर्ष। के लंबे संघर्ष और कानूनी आंख-मिचौनी के बाद आखिरकार 1984 के सिख विरोधी दंगों के आरोपी वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सज्जन कुमार सलाखों के पीछे पहुंच चुके हैं। 1984 में हुए सिख विरोधी दंगे में आजीवन कारावास की सजा पाए वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद सज्जन कुमार ने सोमवार दोपहर दो बजे के बाद दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में सरेंडर कर दिया। सरेंडर की प्रक्रिया पूरी होने के बाद उन्हें मंडोली जेल भेजा दिया गया। आइये जानते हैं सिख विरोधी दंगों में कब क्या हुआ और सज्जन कुमार कैसे कानून से बचते रहे।

31 अक्टूबर 1984 - तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उन्हें के दो सिख सुरक्षा गार्डों ने उनके आवास पर ही गोली मारकर हत्या की।
1-2 नवंबर 1984 - इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पूरे देश में सिख विरोधी दंगे भड़क गए। इस दौरान दिल्ली के कैंट एरिया में राज नगर में पांच सिखों समेत पूरे देश में हजारों बेगुनाह लोग मारे गए।
मई 2000 - दंगे से संबंधित केशों की जांच के लिए गिरीश ठकोरलाल नानावटी आयोग गठित किया गया।
दिसंबर 2002 - दिल्ली के सत्र न्यायालय ने एक मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को बरी किया।
24 अक्टूबर 2005 - सीबीआइ ने जीटी नानावटी आयोग की सिफारिश पर फिर से एफआइआर दर्ज कर जांच शुरू की।
01 फरवरी 2010 - ट्रायल कोर्ट ने मामले में आरोपी बनाए गए सज्जन कुमार समेत बलवान खोखर, महेंद्र यादव, कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल, कृष्ण खोखर, माहा सिंह और संतोष रानी को सम्मन जारी किया।
24 मई 2010 - ट्रायल कोर्ट ने छह आरोपियों पर हत्या, डकैती, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, दंगा भड़काने, आपराधिक साजिश रचने और अन्य धाराओं में आरोप तय किए।
30 अप्रैल 2013 - कोर्ट ने सज्जन कुमार, बलवान खोखर, गिरधारी लाल, भागमल को हत्या का दोषी करार दिया। महेंद्र यादव व कृष्ण खोखर को दंगे का दोषी पाया गया।
09 मई 2013 - कोर्ट ने खोखर, भागमल और लाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और यादव व कृष्ण खोखर को तीन साल की सजा सुनाई। मामले में सज्जन कुमार एक बार फिर बरी हो गया।
19 जुलाई 2013 - सीबीआइ ने सज्जन कुमार को सजा दिलाने के लिए हाई कोर्ट में अपील दायर की।
22 जुलाई 2013 - हाई कोर्ट ने सीबीआइ की याचिका पर सज्जन कुमार को नोटिस जारी किया।
29 अक्टूबर 2018 - केस की सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा।
17 दिसंबर 2018 - हाई कोर्ट ने सज्जन कुमार समेत खोखर, भागमल और लाल को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके अलावा यादव और कृष्ण खोखर को 10 साल की सजा सुनाई गई। कोर्ट ने 31 दिसंबर तक आत्म समर्पण करने का आदेश दिया।
20 दिसंबर 2018 - सज्जन कुमार ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर आत्म समर्पण के लिए 30 जनवरी तक का समय मांगा।
21 दिसंबर 2018 - हाई कोर्ट ने सज्जन कुमार की याचिका खारिज की।
22 दिसंबर 2018 - हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सज्जन कुमार सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।
31 दिसंबर 2018 - सज्जन कुमार ने दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट के समक्ष आत्म समर्पण किया। वहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।