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लोगों से आंख भी नहीं मिला सके सज्जन और महेंद्र यादव

1984 का वो मंजर शायद ही सिख समुदाय कभी भूला पाए, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सड़कों पर चलते और घरों में बैठे सिखों की हत्या की गई थी। दिल्ली हाई कोर्ट से सिख विरोधी दंगे में सजा पाने के बाद कांग्रेस के दिग्गज नेता कहे जाने वाले पूर्व सांसद सज्जन कुमार और पूर्व विधायक महेंद्र यादव ने सोमवार को कड़कड़डूमा कोर्ट की पांचवी मंजिल पर बनी 73 नंबर कोर्ट में आत्मसमर्पण तो कर दिया, लेकिन वह आम लोगों से आंख भी नहीं मिला पाए।

By JagranEdited By: Updated: Mon, 31 Dec 2018 09:36 PM (IST)
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लोगों से आंख भी नहीं मिला सके सज्जन और महेंद्र यादव

शुजाउद्दीन, पूर्वी दिल्ली : 1984 का वो मंजर शायद ही सिख समुदाय कभी भूला पाए, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सड़कों पर चलते और घरों में बैठे सिखों की हत्या की गई थी। दिल्ली हाई कोर्ट से सिख विरोधी दंगे में सजा पाने के बाद कांग्रेस के दिग्गज नेता कहे जाने वाले पूर्व सांसद सज्जन कुमार और पूर्व विधायक महेंद्र यादव ने सोमवार को कड़कड़डूमा कोर्ट की पांचवी मंजिल पर बनी 73 नंबर कोर्ट में आत्मसमर्पण तो कर दिया, लेकिन वह आम लोगों से आंख भी नहीं मिला पाए।

खुद को बेगुनाह कहने वाले सज्जन और महेंद्र को जिस वक्त महानगर दंडाधिकारी अदिति गर्ग ने मंडोली जेल भेजने का आदेश दिया तो इतनी सर्दी में भी दोनों के माथे पर पसीने आ गए। कोर्ट की कार्रवाई पूरी होने तक सज्जन कुमार दंडाधिकारी के सामने सिर झुकाए खड़े रहे, वहीं महेंद्र यादव (67) की आंखों से कोर्ट रूम में आंसू टपकने लगे। कोर्ट के बाहर बड़ी संख्या में खड़े दंगा पीड़ितों व सिख समुदाय के लोग रब का शुक्रिया अदा करते रहे। महेंद्र के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि उनके मुवक्किल की उम्र 67 साल है, वह काफी बीमार हैं। बिना छड़ी का सहारा लिए वह चल नहीं पाते हैं और आंखों की रोशनी भी कम हैं, लिहाजा कोर्ट उन्हें जेल में छड़ी और चश्मा ले जाने की अनुमति दे। कोर्ट ने दलील को स्वीकारते हुए महेंद्र यादव को दोनों चीजें जेल में ले जाने की अनुमति दी। कोर्ट रूम से निकलने के बाद अपने लड़खड़ाते कदमों से महेंद्र छड़ी व एक साथी के कंधे का सहारा लेकर पुलिस वैन तक गए।

वहीं सज्जन कुमार कोर्ट रूम से निकलने के बाद अपने दोनों हाथ पकड़े रहे और सिर झुकाए पुलिस वैन की ओर बढ़ते गए। मीडिया ने जब उनसे पूछा कि कोर्ट से मिली सजा पर क्या कहेंगे तो वह खामोश रहे। पीड़ितों ने कहा कि पाप का घड़ा एक दिन भरता जरूर है, रब के घर में देर है, लेकिन अंधेर नहीं।

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