EXCLUSIVE: शादी में फूटे पटाखे तो दूल्हे के साथ उसके पिता भी जाएंगे जेल
शिकायत की टेलीफोन से भी सूचना दी जा सकती है। सूचना मिलते ही पुलिस शादी समारोह स्थल पर पहुंचकर दूल्हा और उसके पिता को गिरफ्तार करेगी।
नोएडा [धर्मेंद्र चंदेल]। दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर जिले में अब विवाह समारोह में आतिशबाजी होने पर दूल्हा और उसके पिता को कम से कम 15 दिन के लिए जेल भेजा जाएगा। आम लोग शादी समारोह के दौरान पटाखे फोड़ने की तस्वीरें भेजते हैं तो पुलिस-प्रशासन को वीडियो भेजते हैं तो उस पर रिपोर्ट दर्ज की जाएगी। गौतमबुद्ध नगर जिलाधिकारी बीएन सिंह ने पुलिस को सुप्रीम कोर्ट के आदेश को अमल में लाने का निर्देश दिया है।
जिलाधिकारी ने लोगों से अपील की है कि वे शादी समारोह में होने वाली आतिशबाजी का वीडियो बनाकर पुलिस-प्रशासन को भेज दें। वीडियो भेजने वाले का नाम गोपनीय रखा जाएगा। टेलीफोन से भी सूचना दी जा सकती है। सूचना मिलते ही पुलिस शादी समारोह स्थल पर पहुंचकर दूल्हा और उसके पिता को गिरफ्तार करेगी। आतिशबाजी करने वाले लोगों को भी तत्काल जेल भेजा जाएगा।
चढ़त के दौरान आतिशबाजी होने पर लड़की के पिता के खिलाफ भी जुर्माने की कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा शादी समारोह में रात दस बजे के बाद तेज संगीत बजाने वाले, दूल्हा व उसके पिता को धारा-151 में 15 दिन के लिए जेल भेजा जाएगा। साथ ही लड़की के पिता के खिलाफ भी कार्रवाई होगी।
जिलाधिकारी ने मीडिया से भी आग्रह किया है कि यदि उसे कहीं शादी समारोह में आतिशबाजी दिखे या तेज संगीत बजता मिले तो खबर प्रकाशित करे। खबर पर तत्काल कार्रवाई होगी।
गौरतलब है कि ब्राह्म्ण, गुर्जर और यादव समाज कई बार पंचायतें कर लोगों से शादी-विवाह में फिजूल खर्ची रोकने के लिए आतिशबाजी और तेज संगीत बजाने पर प्रतिबंध का आग्रह कर चुका है।
बता दें कि पटाखों से होने वाले नुकसान को लेकर कई तरह के शोध हो चुके हैं। पटाखों से निकलने वाली जहरीली गैस तो खतरनाक है ही लेकिन इससे होने वाली तेज रोशनी और धमाकेदार आवाज भी लोगों के लिए बहुत खतरनाक हो सकती है। तेज आवाज वाले पटाखे किसी-किसी को हमेशा के लिए बहरा भी बना सकते हैं।
आम तौर पर शादी समारोह या दिवाली के दौरान पटाखों के शोर को डेसीबल में नहीं नापा जा सकता है, लेकिन इस बात अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सामान्य बातचीत में आदमी की आवाज औसतन 60 डेसीबल होती है और हेडफोन पर गाने सुनने पर आवाज 100-110 डेसिबल होती है। वहीं, सामान्य पटाखों से कम से कम 140-200 डेसिबल आवाज निकलती है, जो कान के लिए नुकसानदायक हो सकती है।
बच्चों के लिए ज्यादा खतरा
आतिशबाजी से जहां वातावरण में प्रदूषण फैलता है, वहीं बच्चों के लिए पटाखों का शोर बहरनेपन की वजह बन सकता है। हमारे कान सामान्य तौर पर 40 से 50 डेसीमल तक आवाज बर्दाश्त कर सकते हैं, लेकिन दीपावली पर पटाखों की आवाज 100 डेसीमल तक शोर पैदा करती है। इतनी तेज आवाज होने पर सुनने की शक्ति कम हो सकती है। बच्चों के कान के पर्दे फट सकते हैं और उनमें बहरापन की शिकायत हो सकती है।
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