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कंप्यूटर निगरानी के खिलाफ याचिका पर तुरंत नहीं होगी सुनवाई

सरकार की 20 दिसंबर की अधिसूचना के अनुसार, सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत 10 केंद्रीय एजेंसियों को कंप्यूटर की निगरानी और उसके विवरण का विश्लेषण करने के लिए अधिकृत किया गया है।

By Prateek KumarEdited By: Updated: Thu, 03 Jan 2019 07:40 PM (IST)
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कंप्यूटर निगरानी के खिलाफ याचिका पर तुरंत नहीं होगी सुनवाई
नई दिल्ली, प्रेट्र। उच्चतम न्यायालय ने किसी भी कंप्यूटर से सूचनाएं निकालने और उनकी निगरानी के लिए 10 केंद्रीय एजेंसियों को अधिकृत करने को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर तुरंत सुनवाई से इन्कार कर दिया है। अदालत ने कहा है कि इस मामले में सरकारी अधिसूचना को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर वह आवश्यकता पड़ने पर सुनवाई करेगा।

प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ के समक्ष अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने अपनी जनहित याचिका का उल्लेख करते हुए इस पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया। गुरुवार को पीठ ने कहा कि हम आवश्यकता पड़ने पर मामले को सूचीबद्ध करेंगे।

सरकार की 20 दिसंबर की अधिसूचना के अनुसार, सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत 10 केंद्रीय एजेंसियों को कंप्यूटर की निगरानी और उसके विवरण का विश्लेषण करने के लिए अधिकृत किया गया है। इन एजेंसियों में खुफिया ब्यूरो, मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, राजस्व खुफिया निदेशालय, केंद्रीय जांच ब्यूरो, राष्ट्रीय जांच एजेंसी, रॉ, सिग्नल खुफिया निदेशालय (जम्मू कश्मीर, पूर्वोत्तर और असम में सक्रिय) और दिल्ली के पुलिस आयुक्त शामिल हैं।

शर्मा ने अपनी याचिका में सरकार की अधिसूचना को गैरकानूनी, असंवैधानिक और कानून के विपरीत बताया है। उन्होंने इन जांच एजेंसियों को इस अधिसूचना के आधार पर किसी भी व्यक्ति के खिलाफ जांच करने से रोकने का अनुरोध न्यायालय से किया है।

दूसरी ओर, केंद्र सरकार का कहना है कि कंप्यूटर की निगरानी से संबंधित नियम कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने ही 2009 में तैयार किया था। उसने तो सिर्फ उन अधिकृत एजेंसियों को अधिसूचित किया है, जो इस तरह की कार्रवाई कर सकती हैं।

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