जानें सोने और प्लेटिनम से बनी 12 फीट लंबी भगवद गीता के बारे में, वजन भी है 800 किलो
जानकारी के मुताबिक, इटली से दिल्ली लाने के बाद श्रीमद भगवद् गीता 15 फरवरी को दिल्ली के चर्चित इस्कॉन मंदिर में स्थापित किया जाएगा। इसका लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।
नई दिल्ली, जेएनएन। 'श्रीमद भगवद् गीता' दुनिया के चंद ग्रंथों में से एक है, जिसे आज भी सबसे ज्यादा पढ़ा जाता है। इटली में 670 पेज में बनी 12 फीट लंबी और 9 फीट चौड़ी किताब गीता दिल्ली पहुंच गई है। इस्कॉन के संस्थापक आचार्य श्रीमद् एसी भक्ति वेदांत स्वामी श्रील प्रभुपाद ने इसे बनवाया है। इसे गीता प्रचार के 50 साल पूरे करने के उपलक्ष्य में बनवाया गया है।
यह एक महीने का सफर तय कर समुद्र के रास्ते गुजरात होती हुई दिल्ली पहुंची है। पुस्तक की लंबाई और चौड़ाई के हिसाब से इसके पन्ने पलटने में कम से कम चार लोग लगते हैं। इस पुस्तक को तैयार करने में सिंथेटिक कागज के अलावा सोना, चांदी और प्लेटिनम का खासतौर से इस्तेमाल किया गया है। इस महाग्रंथ का वजन 800 किलोग्राम है और इसे बनाने में डेढ़ करोड़ रुपये की लागत आई है।
पीएम मोदी 15 फरवरी को करेंगे लोकार्पण
जानकारी के मुताबिक, इटली से दिल्ली लाने के बाद 'श्रीमद भगवद् गीता' 15 फरवरी को दिल्ली के चर्चित इस्कॉन मंदिर में स्थापित किया जाएगा। इसका लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। इस मौके पर एक बड़ा आयोजन भी किया जाएगा, इसमें पीएम मोदी अपना संबोधन भी देंगे।
इस्कॉन मंदिर ने उठाया पुस्तक छपवाने का पूरा खर्च
इस्कॉन मंदिर की संस्था ने ही भगवद् गीता को छपाया/बनवाया है। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि इस पुस्तक को छपवाने में संस्थान को तकरीबन तीन साल का वक्त लगा है। गीता को इटली के मिलान शहर से समुद्री मार्ग के जरिये पहले गुजरात के मुंद्रा लाया गया फिर इसे 20 जनवरी को दिल्ली लाया गया।
विश्व की सबसे बड़ी भागवत गीता इटली में हुई तैयार
श्रीमदभागवत गीता को लेकर कई रिकॉर्ड दुनिया भर में बने हैं। एक और रिकॉर्ड इसके साथ जुड़ गया है। इस्कॉन संस्था ने विश्व की सबसे बड़ी गीता तैयार की है।
विश्व की सबसे ज्यादा वजनी है यह पुस्तक
करीब ढाई साल में इसकी छपाई हुई है। दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे वजनी यह गीता फिलहाल दिल्ली में ही रहेंगी। अभी यह इटली में ही आकर्षण का केंद्र बनी थी। कुरुक्षेत्र में बन रहे श्रीकृष्ण-अर्जुन मंदिर में वर्ष 2020 के बाद इसे स्थापित किया जा सकता है। तब तक इसे दिल्ली इस्कॉन मंदिर में ही देखा जा सकेगा।
11 नवंबर को मिलान में हुआ था प्रदर्शन
इस्कॉन के संस्थापक स्वामी प्रभुपाद की ओर से गीता प्रचार के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में यह प्रकाशित कराई गई है। संस्था से जुड़े वेदांत बुक ट्रस्ट ने इसकी छपाई की है। छपाई पर आया खर्च इस्कॉन के हर सेंटर से एकत्रित किया गया था। 11 नवंबर को इसी मिलान में प्रदर्शित किया गया था।
इस गीता में हैं 670 पृष्ठ
इस गीता में 670 पृष्ठ हैं, जिनका साइज 2.84 गुणा 2.0 मीटर है। इन्हें पलटने के लिए तीन से चार व्यक्तियों की जरूरत पड़ती है। यह सिंथेटिक के मजबूत कागज से तैयार की गई हैं। माना जा रहा है कि इन पर कई प्रकार की धातु लगाई गई हैं, जिनमें प्लेटिनम, सोना और चांदी मुख्य हैं। कवर को स्वर्णिम धातु से तैयार किया गया है।
चीन से आएंगे 45 फीट के घोड़े, इस मंदिर में होगी स्थापना
इस्कॉन प्रचार समिति की ओर से ज्योतिसर में श्रीकृष्ण-अर्जुन मंदिर का निर्माण करवाया गया है। इस पर 120 करोड़ रुपये ज्यादा की लागत आएगी। यह मंदिर 2020 तक बनकर तैयार होगा। इसके बाद यह गीता यहां लाई जा सकती है। इसके लिए कुरुक्षेत्र इस्कॉन प्रभारी साक्षी गोपालदास ने अभी से प्रयास शुरु कर दिए हैं। श्रीकृष्ण-अर्जुन मंदिर का निर्माण एक रथ की भांति किया जा रहा है। इसके आगे चार घोड़े खड़े किए जाएंगे और रथरूपी मंदिर को खींचते नजर आएंगे। 45-45 फीट के यह घोड़े चीन में बनवाए जा रहे हैं।
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