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लाल किले में आज से कीजिए ऐतिहासिक संग्रहालयों का दीदार, जानें क्‍या है खास

लाल किला में सुभाष चंद्र बोस संग्रहालय के अलावा 1857 में हुई आजादी की पहली लड़ाई से संबधित संग्रहालय, आजादी के दीवाने संग्रहालय व जलियांवाला बाग पर आधारित याद-ए-जलियां शामिल हैं।

By Prateek KumarEdited By: Updated: Fri, 01 Feb 2019 01:58 PM (IST)
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लाल किले में आज से कीजिए ऐतिहासिक संग्रहालयों का दीदार, जानें क्‍या है खास

नई दिल्ली, जेएनएन। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा लाल किला में अत्याधुनिक तकनीक से तैयार किए गए चार संग्रहालयों का दीदार आज से आम जनता कर सकेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में 23 जनवरी को मुख्य रूप से लाल किला में तैयार किए गए सुभाष चंद्र बोस के संग्रहालय का उद्घाटन किया था।लाल किला में सुभाष चंद्र बोस संग्रहालय के अलावा 1857 में हुई आजादी की पहली लड़ाई से संबधित संग्रहालय, आजादी के दीवाने संग्रहालय व जलियांवाला बाग पर आधारित याद-ए-जलियां शामिल हैं।

संग्रालय के दीदार के लिए टिकट लेना होगा। इसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में संग्रहालय के दीदार में खास छूट दी है। सार्क देश (अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल, म्यांमार, पाकिस्तान व श्रीलंका) के नागरिकों के टिकट का मूल्य सामान्य रूप से भारतीय लोगों के टिकट के मूल्य के बराबर है। इसमें नकद भुगतान करने पर 30 रुपये अदा करने होंगे।

वहीं, यदि आप डेबिट या क्रेडिट कार्ड से भुगतान करते हैं तो इसमें आपको नौ रुपये की छूट मिलेगी। यानि तब आपका टिकट 21 रुपये का लगेगा। वहीं, अन्य देशों के नागरिकों को संग्रहालय का दीदार करने के लिए 350 रुपये अदा करने होंगे।

कार्ड से भुगतान करने पर वही टिकट 320 रुपये का पड़ेगा। संग्रहालय के दीदार के लिए टिकटों का यह मूल्य लाल किला के दीदार की टिकट से अलग लेना होगा। वहीं, 15 साल से कम उम्र के बच्चों का टिकट नहीं लगेगा।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस संग्रहालय

कलोनियल बिल्डिंग बी-3 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस और इंडियन नेशनल आर्मी के बारे में जानकारी मिलेगी। कहा जाता है इसी इमारत में इंडियन नेशनल आर्मी (आइएनए) के सैनिकों पर अंग्रेजों ने मुकदमा चलाया था।

1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय

इस संग्रहालय में आजादी की पहली लड़ाई से जुड़ी चीजें होंगी। 1857 में मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को हराकर अंग्रेजों ने लाल किले पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद उन्हें रंगून निर्वासित कर दिया गया था।

याद-ए-जलियां

इस संग्रहालय में जलियांवाला बाग से जुड़ी यादें होंगी। इसी साल इस हृदय विदारक घटना के 100 साल पूरे हो रहे हैं। 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में निहत्थे लोगों पर अंग्रेज सैनिकों ने अंधाधुंध गोली चलाई थी। इसमें सैकड़ों लोगों की जान चली गई थी। साथ ही इसमें पहले विश्व युद्ध में जान गंवाने वाले भारतीय सैनिकों के बारे में जानकारी होगी।

आजादी के दीवाने

आजादी की लड़ाई में अनगिनत लोगों ने अपनी जान गंवाई। इसमें से बहुत कम लोगों के बारे में जानकारी है। ऐसे बहुत से सेनानी थे, जिन्हें लोग आज भी नहीं जानते। ऐसे ही लोगों के बारे में यह संग्रहालय बताएगा। इसी इमारत में ब्रिटिशकाल से अब तक की चुनिंदा पेंटिंग्स लोगों को देखने को मिलेंगी। यह पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत तैयार किया गया है। इसे एएसआइ ने दिल्ली आर्ट गैलरी के साथ मिलकर इसे तैयार किया है।

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