जन्म लेने के चंद घंटों में हुई अनाथ और रात बीतने से पहले मिल गई नई मां
रात के अंधेरे में कूड़े के ढेर से बच्चे की रोने की आवाज सुनकर इकराम हक्के-बक्के रहे गए। जिसके बाद इकराम ने मोबाइल की टॉर्च जलाकर देखा तो कपड़े में लिपटी एक नवजात बच्ची पड़ी हुई रो रही थी।
By Edited By: Updated: Thu, 21 Feb 2019 05:26 PM (IST)
गाजियाबाद [मुरादनगर], जेएनएन। किसी अज्ञात ने नवजात बच्ची को मुरादनगर के आर्यनगर कॉलोनी स्थित प्लॉट में पड़े कूड़े के ढेर में कपड़े में लपेटकर लावारिस हालत में छोड़ दिया। इसी दौरान वहां से गुजर रहे एक व्यक्ति को बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी और वह बच्ची को घर ले आया। जिसके बाद पत्नी के साथ जाकर नवजात बच्ची को उपचार के लिए स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराकर इसकी सूचना पुलिस को दी।
पति-पत्नी कर रहे देखभाल
हालांकि बच्ची अब पूरी तरह स्वास्थ्य है और दंपती की देखरेख में है। आर्यनगर कॉलोनी में इकराम चौधरी पुत्र अली मोहम्मद अपने परिवार के साथ रहते हैं। उनके परिवार में पत्नी रिहाना के अलावा दो पुत्र अनस (14) व अयान (7) हैं। पेशे से इलेक्ट्रीशियन हैं और उनकी दुकान रावली रोड पर है। इकराम ने बताया कि वह मंगलवार रात करीब 8 बजे अपनी दुकान बंद कर पैदल ही घर वापस लौट रहे थे। जब वह घर के पास वाली गली में पहुंचे, तभी इकराम को वहां एक प्लॉट में पड़े कूड़े के ढेर से एक बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी।
हालांकि बच्ची अब पूरी तरह स्वास्थ्य है और दंपती की देखरेख में है। आर्यनगर कॉलोनी में इकराम चौधरी पुत्र अली मोहम्मद अपने परिवार के साथ रहते हैं। उनके परिवार में पत्नी रिहाना के अलावा दो पुत्र अनस (14) व अयान (7) हैं। पेशे से इलेक्ट्रीशियन हैं और उनकी दुकान रावली रोड पर है। इकराम ने बताया कि वह मंगलवार रात करीब 8 बजे अपनी दुकान बंद कर पैदल ही घर वापस लौट रहे थे। जब वह घर के पास वाली गली में पहुंचे, तभी इकराम को वहां एक प्लॉट में पड़े कूड़े के ढेर से एक बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी।
रात में सुनी बच्ची की आवाज
रात के अंधेरे में कूड़े के ढेर से बच्चे की रोने की आवाज सुनकर इकराम हक्के-बक्के रहे गए। जिसके बाद इकराम ने मोबाइल की टॉर्च जलाकर देखा तो कपड़े में लिपटी एक नवजात बच्ची पड़ी हुई रो रही थी। जिसके बाद इकराम बच्ची को लेकर तुरंत अपने घर पहुंचे और अपनी पत्नी रिहाना को सारी बात बताई। जन्म के कुछ ही देर बाद किसी ने उसे छोड़ दिया था
दंपति के अनुसार बच्ची कुछ देर पहले ही जन्मी थी। जिसके चलते इकराम व उनकी पत्नी रिहाना बच्ची को लेकर स्थानीय अस्पताल पहुंचे और उसका उपचार कराकर इस घटना की जानकारी पुलिस को दी। प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टरों ने बच्ची को अस्पताल से छुट्टी दे दी। नवजात बच्ची अब बिल्कुल स्वास्थ्य है और मुस्लिम दंपती उसकी देखभाल कर रहे हैं।
रात के अंधेरे में कूड़े के ढेर से बच्चे की रोने की आवाज सुनकर इकराम हक्के-बक्के रहे गए। जिसके बाद इकराम ने मोबाइल की टॉर्च जलाकर देखा तो कपड़े में लिपटी एक नवजात बच्ची पड़ी हुई रो रही थी। जिसके बाद इकराम बच्ची को लेकर तुरंत अपने घर पहुंचे और अपनी पत्नी रिहाना को सारी बात बताई। जन्म के कुछ ही देर बाद किसी ने उसे छोड़ दिया था
दंपति के अनुसार बच्ची कुछ देर पहले ही जन्मी थी। जिसके चलते इकराम व उनकी पत्नी रिहाना बच्ची को लेकर स्थानीय अस्पताल पहुंचे और उसका उपचार कराकर इस घटना की जानकारी पुलिस को दी। प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टरों ने बच्ची को अस्पताल से छुट्टी दे दी। नवजात बच्ची अब बिल्कुल स्वास्थ्य है और मुस्लिम दंपती उसकी देखभाल कर रहे हैं।
समय रहते नजर पड़ने से बची नवजात बच्ची की जान
जिस समय इकराम की नजर नवजात बच्ची पर पड़ी, उस समय रात के करीब 8 बजे थे। अगर समय रहते कॉलोनी निवासी इकराम की नजर बच्ची पर नहीं पड़ती तो शायद उसे गली के आवारा कुत्ते नोंच डालते या फिर वह रात भर कड़कड़ाती ठंड में तड़पकर अपना दम तोड़ देती।अधिकारी का पक्ष
फिलहाल बच्ची के देखरेख की जिम्मेदारी इकराम व उसकी पत्नी को सौंपी गई है। इस संबंध में चाइल्ड केयर को सूचना दे दी गई। उक्त दंपती ने बच्ची की परवरिश करने की इच्छा जाहिर की है। वैधानिक प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही नवजात बच्ची की सुपुर्दगी दी जाएगी।
उमेश बहादुर सिंह, एसएचओ मुरादनगर।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।जिस समय इकराम की नजर नवजात बच्ची पर पड़ी, उस समय रात के करीब 8 बजे थे। अगर समय रहते कॉलोनी निवासी इकराम की नजर बच्ची पर नहीं पड़ती तो शायद उसे गली के आवारा कुत्ते नोंच डालते या फिर वह रात भर कड़कड़ाती ठंड में तड़पकर अपना दम तोड़ देती।अधिकारी का पक्ष
फिलहाल बच्ची के देखरेख की जिम्मेदारी इकराम व उसकी पत्नी को सौंपी गई है। इस संबंध में चाइल्ड केयर को सूचना दे दी गई। उक्त दंपती ने बच्ची की परवरिश करने की इच्छा जाहिर की है। वैधानिक प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही नवजात बच्ची की सुपुर्दगी दी जाएगी।
उमेश बहादुर सिंह, एसएचओ मुरादनगर।