इमरजेंसी की सूचना मिलने पर कुछ पल में पहुंचेगी मदद, देश में विकसित हो रही तकनीक
प्रो. अमिता सिंह ने कहा कि आज के दौर में हमारे स्मार्ट फोन का इस्तेमाल बेहद बढ़ गया है। इसमें भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) का इस्तेमाल हो रहा है उसी तर्ज पर यह भी विकसित होगी।
By JP YadavEdited By: Updated: Thu, 21 Feb 2019 03:26 PM (IST)
नई दिल्ली [राहुल मानव]। देश में जल्द ही ऐसी तकनीक विकसित कर ली जाएगी, जिससे किसी भी जगह पर आपदा की सूचना अथॉरिटी तक कुछ ही पल (सेकेंड) में पहुंच जाए। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के स्पेशल सेंटर फॉर डिजास्टर रिसर्च (एससीडीआर) की तरफ से इस दिशा में काम किया जा रहा है। एससीडीआर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिये एक प्रणाली तैयार कर रहा है। साथ ही इस परियोजना के लिए जेएनयू में 11 से 13 मार्च तक एससीडीआर की ओर से वर्ल्ड सिपोजियम का आयोजन किया जा रहा है।
इसमें देश समेत विदेशों से भी कई विशेषज्ञ पहुंचेंगे। इसमें चर्चा होगी कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सरकारी तंत्र आपदा प्रबंधन के लिए किस तरह का सहयोग कर सकता है। एससीडीआर की अध्यक्ष प्रो. अमिता सिंह ने बताया कि वर्ल्ड सिपोजियम का सबसे पहला अधिवेशन मीडिया से होगा। इसमें नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत, अमेजॉन रोबोटिक्स के डॉ. केशव सूद , जेएनयू में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विशेषज्ञ प्रो टी.वी.विजय कुमार मौजूद रहेंगे।
17 सेकेंड में तैयार होगा मैप
प्रो. अमिता सिंह ने कहा कि आज के दौर में हमारे स्मार्ट फोन का इस्तेमाल बेहद बढ़ गया है। इसमें भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) का इस्तेमाल हो रहा है। ठीक इसी तरह से हमारी तरफ से ऐसी प्रणाली विकसित करने पर काम किया जा रहा है, जिससे इस एआइ के जरिये किसी भी तरह की आपदा की जानकारी सेकेंडों में अथॉरिटी तक पहुंच जाए। एआइ का आपदा प्रबंधन में बहुत बड़ा महत्व है। इससे आपदा का पुर्वानुमान जानने में भी बेहद मदद मिल सकती है।
आमतौर पर जब भी कोई आपदा आती है तो वहां से लोगों को बचाने के लिए एक मैप अथॉरिटियो की तरफ से तैयार किया जाता है। इसको तैयार करने में सात दिनों से दस दिनों तक का समय लग जाता है, जबकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से यह मैप महज 17 सेकेंडों में तैयार हो जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की टीम हो रही तैयार
प्रो. अमिता ने बताया कि हमारी तरफ से अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की टीम तैयार की जा रही हैं। एआइ से आपदा प्रबंधन की प्रक्रिया को बहुत तेजी से तैयार किया जा सकेगा। हमारा प्रयास यह भी है कि इस क्षेत्र में भारतीय मूल के विदेशों के विशेषज्ञों को भारत में लाया जाए।