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पाकिस्तान में बैठे खूंखार आतंकी भारत में क्यों कर रहे फोन, पढ़िए- ये सनसनीखेज स्टोरी

दिल्ली और मुंबई समेत अन्य महानगरों में लापता हुए हाइप्रोफाइल लोगों के परिजनों को पाकिस्तान से कॉल की गईं थीं। ये कॉल आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाने के लिए की गई थी।

By JP YadavEdited By: Updated: Sat, 23 Feb 2019 01:57 PM (IST)
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पाकिस्तान में बैठे खूंखार आतंकी भारत में क्यों कर रहे फोन, पढ़िए- ये सनसनीखेज स्टोरी
गाजियाबाद, जेएनएन। आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाने के लिए सीमा पार में बैठे दहशतर्दों ने एक नया तरीका अपनाया है। भारत में लापता लोगों के बारे में जानकारी जुटाकर उनके परिजनों को फोन कॉल की जाती है। इसके बाद अपहरण का दावा कर उनके करीबी की जान के एवज में पैसा मांगा जाता है।

गाजियाबाद से एक किशोर के अपहरण और फिरौती के मामले में जांच में जुटी पुलिस के सामने यह सनसनीखेज तथ्य आया है। किशोर के अपहर्ता दिल्ली-यूपी के थे, लेकिन घरवालों के पास फिरौती के लिए इंटरनेट कॉल आई। उस कॉल की जांच की गई तो आइपी एड्रेस पाकिस्तान से जुड़ा पाया गया। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, यह कॉल आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाने के लिए की गई थी।

ट्रांसफर किए थे बिटकॉइन

एसपी सिटी ने बताया कि इससे पहले भी दिल्ली और मुंबई समेत अन्य महानगरों में लापता हुए हाइप्रोफाइल लोगों के परिजनों को पाकिस्तान से कॉल की गईं थीं। एक साल पूर्व एक मुंबई से लापता हुए युवक के भाई ने जान से मारने की धमकी के बाद बिटकॉइन ट्रांसफर कर दिए थे। बाद में भाई लौटा तो पता चला कि उसका अपहरण नहीं हुआ था।

मुंबई आई कॉल ने खोला आवाज का राज

मुंबई में की गई कॉल और गाजियाबाद की कॉल की रिकॉर्डिंग सुनी गई तो दोनों रिकॉर्डिंग में आवाज के साथ भाषा और शब्द एक ही जैसे पाए गए। गाजियाबाद में इंटरनेट से आई कॉल के नंबर का कंट्री कोड हर बार अलग होता था। इसी कारण परिजनों को शक हुआ। बच्चा बरामद होने के बाद भी कॉल की गई थी, लेकिन परिजनों ने बच्चे की बरामदगी के बारे में नहीं बताया।

श्लोक कुमार (एसपी सिटी) ने बताया कि इंटरनेट से आई कॉल पाकिस्तान से की गई थी। दिल्ली-मुंबई में इसी तरह से फिरौती के लिए फर्जी कॉल की गई थीं। मुंबई के एक युवक को उसके भाई के अपहरण का डर दिखाकर डिजिटल करंसी ट्रांसफर कराने का मामला भी सामने आया है। मामले की रिपोर्ट आइबी को भी भेज दी गई है।

पाकिस्तान की आतंकी संगठन चैरिटी के जरिए कश्मीर में आतंकवाद को मुहैया कराते हैं धन
गौरतलब कि मार्च, 2017 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (National Investigation Agency) के एक अधिकारी ने खुलासा किया था कि पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन अपने चैरिटी संगठनों के जरिये करोड़ों रुपये का चंदा जुटा कर जम्मू कश्मीर में आतंकियों को धन के साथ हथियार भी मुहैया कराते हैं।

एनआइए सूत्रों के मुताबिक, आतंकी संगठन जमात उद दावा (जेयूडी) और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) द्वारा संचालित 'फलह ए इंसानियत फाउंडेशन' (एफआईएफ) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) द्वारा समर्थित अल रहमत ट्रस्ट (एआईटी) कश्मीर में आतंकवाद का समर्थन कर रहा है और कोष मुहैया कर रहा है। इतन ही नहीं, एनआइए जेयूडी, एलईटी और जेईएम की गतिविधियों तथा पड़ोसी देश में उससे संबद्ध ट्रस्टों के कामकाज पर भी गौर कर रहा है। 

यह भी खुलासा हुआ है कि अल रहमत ट्रस्ट खासकर ईद के दौरान पशुओं की कुर्बानी देने के लिए कोष जुटाने को लेकर पर्चे बांटता है और धन जुटाने के बाद वे लोग आतंकवाद को पोषित करते हैं। पाकिस्तान में तेजी से बढ़ते एनजीओ एफआइएफ भी लोगों से धन जुटाता है और उसका इस्तेमाल आतंकियों को मुहैया करने में करता है।

यह भी पता चला है कि तहरीक-ए-आजादी जम्मू कश्मीर के नाम से एफआईएफ अभियान चलाता है और अवैध रूप से चंदा मांगता है। एफआइएफ ऑनलाइन कोष भी मांगता है। 

यहां पर बता दें कि जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में 14 फरवरी को जैश-ए-मुहम्मद के एक भीषण फिदायीन हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 40 से  अधिक जवान शहीद हो गए थे और कई अन्य बुरी तरह घायल हो गए थे। जैश के आतंकी ने विस्फोटकों से लदे वाहन से सीआरपीएफ जवानों को ले जा रही बस को टक्कर मार दी, जिसके बाद घटनास्थल पर कोहराम मच गया था। यह 2016 में हुए उरी हमले के बाद सबसे भीषण आतंकवादी हमला है।

घटना के दौरान केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 2500 से अधिक कर्मी 78 वाहनों के काफिले में जा रहे थे। इनमें से अधिकतर अपनी छुट्टियां बिताने के बाद अपनी ड्यूटी पर लौट रहे थे। जम्मू कश्मीर राजमार्ग पर अवंतिपोरा इलाके में लाटूमोड पर इस काफिले पर अपराह्न करीब साढ़े तीन बजे घात लगाकर हमला किया गया।  

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