IIT छात्र के इस छोटे से आइडिया से सर्जरी का खर्च हुआ आधे से कम, ऐसे उठा सकते हैं लाभ
आइआइटी छात्र पंकज मित्तल ने 12 बड़े सर्जन के साथ मिलकर बनाया है आनंद भव। गुरुग्राम के अस्पताल में शुरू की गई इस व्यवस्था के तहत अब तक 400 मरीज सर्जरी के लिए पंजीकरण करा चुके हैं।
नई दिल्ली [मनु त्यागी]। सरकारी अस्पताल में सर्जरी करानी है तो तारीख पर तारीख मिलने से परेशानी बढ़ जाती है। वहीं, निजी अस्पताल में जाओ तो मोटे बिल के बारे में सोचकर ही घबराहट होने लगती है। सरकार के आंकड़े के अनुसार हर साल तकरीबन चार करोड़ लोग सर्जरी कराने की कतार में खड़े हो जाते हैं। जरा सोचिए यदि ऑपरेशन निजी अस्पतालों की अपेक्षाकृत बजट से 70 फीसद कम तक में हो जाए तो?
आइआइटी के छात्र ने की शुरुआत
ऐसे में आइआइटी कानपुर के पूर्व छात्र पंकज मित्तल ने 12 बड़े सर्जन के साथ मिलकर बनाया है एबी यानी आनंद भव प्रोग्राम। गुरुग्राम के अस्पताल में शुरू की गई इस व्यवस्था के तहत 400 मरीज सर्जरी के लिए पंजीकरण करा चुके हैं। तकरीबन 100 मरीजों की सर्जरी की जा चुकी है। अब ये सुविधा देशभर में लागू होगी।
70 फीसद तक कम हो जाती है सर्जरी की कीमत
पंकज बताते हैं कि हमारे साथ 12 डॉक्टर्स की टीम है जो सर्जरी करती है। इसमें गंगाराम अस्पताल, पुष्पावती सिंघानिया रिसर्च इंस्टीट्यूट, कोलंबिया एशिया सहित कई अस्पतालों के सर्जन शामिल हैं। हमने किसी सर्जरी करने की प्रक्रिया को तकनीकी रूप से व्यवस्थित किया है। इसे चार चरण में समझ सकते हैं।
ऐसे करते हैं बिल कम
पंकज के अनुसार बिल कम करने के लिए पहला हम कई मरीजों की एक साथ सर्जरी करते हैं। दूसरा सर्जरी के लिए सारे यंत्रों को एक साथ व्यवस्थित करते हैं। तीसरा अस्पताल में प्रति मरीज बेड आदि पर होने वाला निवेश, चौथा सर्जरी होने की प्रक्रिया में जो 200 स्टैप होते हैं, उन्हें हमने ऑटोमेट कर दिया है। ऐसे में निजी अस्पतालों में लगभग 80 हजार में होने वाली पित्ताशय सर्जरी हमारे यहां 21,800 रुपये में हो जाती है।
सर्जरी के बिल ने डॉक्टर हो गए दुखी
आनंद भव से जुड़े डॉक्टर डॉ. संदीप बताते हैं कि मैं जब एक निजी अस्पताल में सर्जन था तो एक बार मैंने एक मरीज की गॉल ब्लाडर की सर्जरी की। इसके लिए मरीज का सवा लाख रुपये का बिल बना। मैं बहुत आहत हुआ। मैंने अस्पताल में सर्जरी करना छोड़ दिया। इसके बाद मैंने और पंकज ने मिलकर इसकी शुरुआत की और अब हमारे साथ बहुत सारे डॉक्टर्स शामिल हैं।
जल्द-से-जल्द ज्यादा जिलों में मिलेगी सुविधा
पंकज बताते हैं अभी फिलहाल सिर्फ एक अस्पताल में ऐसा कर रहे हैं जल्द ही यह ज्यादा से ज्यादा जिलों तक यह सुविधा शुरू करेंगे। इसके लिए विभिन्न अस्पतालों में सर्जन्स के पास सर्जरी के लिए मरीज आते हैं या अस्पतालों में संपर्क करते हैं। ऐसे जरूरतमंद मरीजों का डाटा जुटाकर फिर सामूहिक सर्जरी करेंगे।
बॉडी पर नहीं, अब करें वचरुअल रियलिटी
पंकज बताते हैं कि फिल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस में आपने मुन्नाभाई को डॉक्टरी की पढ़ाई सीखने के लिए डॉक्टर द्वारा एक मानवीय शरीर (बॉडी) लाने की बात देखी सुनी होगी। दरअसल, देश में सर्जन बनने की प्रक्रिया भी बड़ी लंबी है। क्योंकि यह मेडिकल किताबों और प्रैक्टिस पर निर्भर करती है। प्रैक्टिस के लिए मानवीय शरीर की जरूरत होती है, जो कि मेडिकल छात्रों और सर्जन के लिए काफी मुश्किल होता जा रहा है। चूंकि मैं तकनीक बैकग्राउंड से रहा हूं मैंने एक आभासी वास्तविकता (वचरुअल रियलिटी) से तकनीक तैयार की है।
क्या है वचरुअल रियलिटी
इसके जरिए मेडिकल के छात्र और सर्जन बनने के लिए उस पर प्रैक्टिस की जा सकती है। मसलन सर्जन द्वारा कोई क्रिटिकल सर्जरी की जा रही है उसमें किसी तरह के कांप्लीकेशन आ गई तो ऐसी परिस्थितियों को कैसे संभालेंगे। इसे मेडिकल के छात्र और सर्जरी प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर्स इसे आभासी वास्तविकता के जरिए सीख सकते हैं। हमने अभी तक एक साल में 100 सर्जरी की हैं इसमें जितनी सर्जरी में जटिलताएं आई हैं उनके वीडियो तैयार किए गए हैं। इसे आभासी वास्तविकता तकनीक पर खुद भी कर सकते हैं।