Move to Jagran APP

बर्बादी के सैलाब के सामने खड़ा था पेड़ का एक दरख्त, पढ़िए- कैसे बची लोगों की जान

एक समय लगा कि बिल्डिंग का मलबा इमारत को जमींदोज कर देगा। दोनों बिल्डिंगों के बीच खड़े पेड़ में झुक रही बिल्डिंग फंस गई और फिर करीब दस मिनट में धीरे-धीरे पूरा मलबा जमीन पर आ गया।

By JP YadavEdited By: Updated: Thu, 28 Feb 2019 11:09 AM (IST)
Hero Image
बर्बादी के सैलाब के सामने खड़ा था पेड़ का एक दरख्त, पढ़िए- कैसे बची लोगों की जान

नई दिल्ली [किशन कुमार]। ढाई साल से अपने सामने की बिल्डिंग में जो दरार हम देख रहे थे। बुधवार को वह तबाही का सैलाब लेकर आ रही थी। हालांकि, इस सैलाब को मलबे के ढेर में पास ही खड़े दरख्त ने तब्दील कर दिया। इससे न सिर्फ मेरी बिल्डिंग बच गई, बल्कि कई परिवारों के लोगों की जान पर आया खतरा भी टल गया। यह कहना है बिमला देवी का जो धराशाई हुई बिल्डिंग के बिल्कुल सामने रहती हैं। आंखों के सामने गुजरे खौफ के इस मंजर से वह बेहद सहमी हुई दिखीं। यदि दोपहर में इमारत गिरती तो हादसे में कई लोगों की जान जा सकती थी।

बिमला देवी ने बताया कि घटनास्थल के बिल्कुल सामने की बिल्डिंग में दूसरी मंजिल पर पति व बेटों के साथ वे रहती हैं। पहली मंजिल पर एक अन्य परिवार भी रहता है। वहीं, भूतल पर क्लीनिक सहित अन्य दुकानें हैं। उन्होंने बताया कि बुधवार की सुबह आठ बजे के करीब बाहर शोर सुनाई दिया। इस पर वह दौड़कर बालकनी में पहुंची। यहां बाहर का नजारा देख उनके होश उड़ गए। सामने वाली बिल्डिंग धीरे-धीरे उनके मकान की तरफ झुक रही थी। वहीं बिल्डिंग के आसपास के लोग व रेहड़ी लगाने वाले इधर-उधर भाग रहे थे। एक समय लगा कि बिल्डिंग का मलबा उनकी इमारत को भी जमींदोज कर देगा। इसी बीच दोनों बिल्डिंगों के बीच खड़े पेड़ में झुक रही बिल्डिंग फंस गई और फिर करीब दस मिनट में धीरे-धीरे पूरा मलबा जमीन पर आ गया।

फाइलों को खंगालने में जुटा उत्तरी दिल्ली निगम

करोल बाग हादसे के बाद अभी तक उत्तरी निगम के अधिकारी यह स्पष्ट नहीं बता पा रहे हैं कि धराशाई हुई इमारत जर्जर थी या फिर नहीं। अधिकारी फिलहाल जांच के नाम पर फाइलें खंगाने के दावे तक ही सिमटे हुए हैं। हालांकि स्थानीय लोगों का दावा है कि छह माह पूर्व निगम की तरफ से इमारत पर एक नोटिस चस्पा किया गया था। वह नोटिस किस संबंध में था यह स्पष्ट नहीं हो सका है।

जर्जर इमारतों का कराया जाएगा सर्वे

दिल्ली की जर्जर इमारतें हादसे का सबब बन रही हैं। ऐसी इमारतों को चिह्न्ति करने के लिए उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने अब सर्वे कराने की योजना बना रहा है, ताकि समय रहते इन इमारतों खाली कराने के साथ ही ध्वस्त करने की कार्रवाई की जा सके।

सूत्रों के मुताबिक यह सर्वे निजी कंपनी द्वारा कराया जा सकता है। सर्वे की खास बात यह होगी कि यह पुरानी दिल्ली व करोल बाग के उस स्पेशल एरिया की इमारतों का होगा जहां पर सबसे अधिक खतरनाक इमारतें हैं।

हालांकि यह सर्वे निगम पहली बार नहीं करा रहा है। हर मानसून से पहले निगम अपने स्तर पर जर्जर इमारतों की पहचान कर उन्हें गिराने या खाली करने के आदेश देता है, लेकिन निगम कर्मचारी इस तरह के सर्वे में सिर्फ कागजों को पेट भरते रहे हैं। यही वजह है कि इस बार दक्षिणी निगम निजी कंपनी से सर्वे कराने पर विचार कर रहा है, जिससे जमीनी हकीकत सामने आ सके।

उपायुक्त को रिपोर्ट देने के आदेश

उत्तरी दिल्ली नगर निगम की आयुक्त वर्षा जोशी ने करोल बाग में इमारत गिरने की घटना को लेकर जांच के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि उपायुक्त कपिल रस्तोगी को यह रिपोर्ट बृहस्पतिवार शाम तक सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।

दिल्ली-एनसीआर की महत्वपूर्ण खबरें पढ़ें यहां, बस एक क्लिक पर

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।