आम्रपाली ग्रुप के सीएमडी अनिल शर्मा समेत दो डायरेक्टर गिरफ्तार
Supreme Court directs arrest of Amrapali CMD Anil sharma निवेशकों से पैसे लेने के बावजूद उन्हें उनके फ्लैट नहीं देने के मामले में कोर्ट ने आम्रपाली के मुख्य प्रबंध निदेशक को गिरफ्तार कर लिया गया है।
नई दिल्ली, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को सुनवाई के दौरान आम्रपाली ग्रुप को करारा झटका दिया है। निवेशकों से पैसे लेने के बावजूद उन्हें उनके फ्लैट नहीं देने और वित्तीय अनियमितता के मामले में कोर्ट ने आम्रपाली के मुख्य प्रबंध निदेशक (Chief Managing Director) को गिरफ्तार करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने तीनों को सुप्रीम कोर्ट से ही गिरफ्तार कर लिया। इसी के साथ सीएमडी अनिल शर्मा का दक्षिण दिल्ली स्थित बंगला और अन्य दो निदेशकों की भी संपत्तियों को भी अटैच करने के आदेश दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने फोरेंसिक ऑडिटरों को भी 22 मार्च से पहले आम्रपाली समूह द्वारा ट्रांसफर और होम बॉयर्स के पैसे के लेनदेन में की गई हेराफेरी पर अपनी विस्तृत जांच पूरी करने का निर्देश दिया है। मामले में अगली सुनवाई के लिए 26 मार्च निर्धारित किया गया है।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आम्रपाली ग्रुप को 200 करोड़ रुपये 31 मार्च तक जमा कराने का आदेश दिया है। कोर्ट ने इस मामले में कंपनी की तरफ से हलफनामा मांगा है और पूछा कि वह बताए कि अब तक किस प्रोजेक्ट में कितने पैसे लगाए गए हैं? और किस कंपनी के कौन-कौन डायरेक्टर हैं? ग्रुप को अब बताना होगा कि शुरू से लेकर अब तक कंपनी के कौन-कौन डायरेक्टर रहे हैं। इसी मामले में बृहस्पतिवार को सुनवाई हुई।
यहां पर बता दें कि आम्रपाली ग्रुप पर आरोप है कि उसने खरीदारों के फ्लैट अब तक नहीं दिए हैं। पिछली सुनवाई के दौरान भी कोर्ट ने ग्रुप के पांच सितारा होटल, FMCG कंपनी और मॉल को अटैच करने का आदेश दिया था।
गौरतलब है कि आम्रपाली ग्रुप का नोएडा और ग्रेटर नोएडा में करीब 170 टावर का प्रोजेक्ट हैं। करीब 46 हजार खरीददारों ने यहां निवेश किया है। आम्रपाली ग्रुप का कहना है कि अब तक वह इन प्रोजेक्ट्स में करीब 10 हजार करोड़ रुपये का निवेश कर चुका है।
पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा था कि ग्रुप के एक पांच सितारा होटल सहित मौके की दो संपत्तियों के नीलामी में नहीं बिकने में मिलीभगत हो सकती है। कोर्ट ने यह सवाल भी किया था कि क्या बैंक इस मिलीभगत में शामिल हैं। साथ ही कहा था कि यह हैरान और परेशान करने वाला है कि बैंकर्स संपत्तियों पर ऋण देने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं।