जानिए- कैसे ये तीन नौजवान 'थूक' से बनाएंगे खाद, पढ़िए- ये रोचक स्टोरी
आज हमारे पास 18 देशों के 300 से अधिक बड़े थोक खरीदार हैं। हर माह दुनियाभर से 25 हजार से अधिक लोग हमसे इन उत्पादों को लेकर व्यावसायिक संपर्क करते हैं।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय मैगजीन फोर्ब्स द्वारा हाल ही जारी ‘30 अंडर 30’ सूची में जगह बनाने वाले होनहार भारतीय युवाओं की मानें तो सिर्फ पैसे कमाना उनका मकसद नहीं। इनका ध्येय इससे कहीं बड़ा है। सामाजिक उद्यमिता की श्रेणी में इस वर्ष दो यंग स्टार्टअप्स को फोर्ब्स ने सूची में जगह दी है, जिन्हें दुनिया सराह रही है। फोर्ब्स इंडिया हर वर्ष 30 अंडर 30 सूची जारी करती है, जिसमें 30 वर्ष से कम आयु के ऐसे 30 होनहार युवाओं को चुना जाता है, जिन्होंने अलग-अलग विधाओं में अनुकरणीय कार्य कर दिखाया हो।
इस सूची में सामाजिक उद्यमिता (सोशल आंत्रप्रेन्योरशिप) की श्रेणी में दो यंग स्टार्टअप्स ‘ईजी स्पिट’ और ‘लाल10’ ने जगह बनाई है। न केवल आइडिया और इम्पैक्ट को लेकर बल्कि इनके युवा फाउंडर्स के जज्बे को भी वैश्विक स्तर पर सराहा जा रहा है। ‘ईजी स्पिट’ के संस्थापकों में महाराष्ट्र निवासी 29 वर्षीय प्रतीक हरडे, 28 वर्षीय प्रतीक मल्होत्रा और 24 वर्षीय ऋतु मल्होत्रा शामिल हैं। वहीं, ‘लाल10’ स्टार्टअप के संस्थापकों में दिल्ली निवासी 29 साल के मनीत गोहिल, 29 के ही संचित गोविल और 27 साल के आल्बिन जोस शामिल हैं। इंजीनियरिंग करने के बाद इन युवाओं ने स्टार्टअप की राह चुनी, लेकिन केवल पैसे कमाना इनका मकसद नहीं था, लिहाजा सामाजिक उद्यमिता की कठिन डगर पकड़ ली। कहते हैं, डगर भले कठिन सही, लेकिन लक्ष्य भी उतना ही बड़ा है।
हर हाथ को काम
मनीत, संचित और आल्बिन कहते हैं, हमने जनजातीय समुदायों के हस्तशिल्प को नया आयाम देकर उन्हें वैश्विक बाजार मुहैया कराने का काम किया है। कम आय वर्ग वाले आठ राज्यों के सैकड़ों ऐसे गांवों, जिन्हें हमने आर्ट विलेज के रूप में चिन्हित किया, वहां आज 1200 से अधिक युवा पारंपरिक हैंडक्राफ्ट में हमसे उच्चतम कौशल अर्जित कर अति लघु उद्यम की सक्रिय इकाई के रूप में काम कर रहे हैं।
जुड़ रहे कई युवा
हर इकाई से उस गांव के कई युवा जुड़ते हैं। हम इनके हस्तशिल्प को वैश्विक बाजार की डिमांड के अनुरूप बेहतर और खरा बनाने में इनकी मदद करते हैं। हमारी डिजाइन टीम प्रशिक्षण देती है और जरूरी मदद मुहैया कराती है। आज हमारे पास 18 देशों के 300 से अधिक बड़े थोक खरीदार हैं। हर माह दुनियाभर से 25 हजार से अधिक लोग हमसे इन उत्पादों को लेकर व्यावसायिक संपर्क करते हैं। आज इस पूरी प्रक्रिया के चलते हम छह हजार से अधिक ग्रामीण आदिवासी परिवारों को जीविका मुहैया कराने में सफल हुए हैं। प्रत्येक कारीगर को हम न्यूनतम 15 हजार रुपये की मासिक आय सुनिश्चित कर सके हैं।
जल और जीवन की खातिर
प्रतीक हरडे, ऋतु और प्रतीक मल्होत्रा कहते हैं, हमने ईजी स्पिट की शुरुआत जल संरक्षण और स्वस्थ समाज जैसे बड़े सरोकारों को साथ लेकर की है। हम ईजी स्पिट पाउच और ईजी स्पिट बिन बना रहे हैं, जो थूक और पीक सहित अन्य लिक्विड वेस्ट को पल भर में जैविक खाद में तब्दील कर देते हैं। सालभर में हमारे पास इनके तीन करोड़ रुपये के ग्लोबल ऑर्डर हैं और हमारा लक्ष्य अगले तीन साल में इसे 200 करोड़ के पार ले जाने का है।
हर जगह नहीं होती है थूकने की व्यवस्था
दुनिया को यह उत्पाद पसंद आए हैं क्योंकि स्पिट यानी थूकने की सर्वसुलभ व्यवस्था कहीं नहीं है। लोग इधर-उधर थूकते हैं, जिससे संक्रामक बीमारियां फैलती हैं और दाग-धब्बों को साफ करने में बेजा पानी खर्च होता है। हमने इन दोनों समस्याओं का सस्ता समाधान प्रस्तुत कर दिखाया है...। बता दें कि जनवरी में ‘उम्मीदें-2019’ संपादकीय शृंखला में जागरण ने इस स्टार्टअप पर विस्तृत स्टोरी प्रकाशित की थी। जिसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने भी सार्वजनिक मंच से इस स्टार्टअप की सराहना की।
सामाजिक उद्यमिता की डगर वाकई कठिन है, लेकिन हमने इसे चुना है। जो भी अतिरिक्त लाभ अर्जित हो रहा है, उससे बस इस पूरी प्रक्रिया का प्रबंधन ही हो पाता है। बेशक यह बिजनेस है, लेकिन हर हाथ को काम देना इसका ध्येय है। बिजनेस नहीं होगा तो हम किसी को काम कैसे देंगे। यही हमारा फलसफा है। फोर्ब्स की सूची में स्थान मिलना सम्मान की बात है, लेकिन केवल इससे कुछ नहीं होगा, हमें अपनी सरकार से इसमें सहयोग की दरकार है।
- मनीत गोहिल, को-फाउंडर एंड सीईओ, लाल10
फोर्ब्स की 30 अंडर 30 लिस्ट में जगह बनाने से पहले ही हमें और हमारे इस काम को दैनिक जागरण ने सशक्त परिचय दिलाने का काम किया था। इसके लिए दैनिक जागरण को बहुत बहुत धन्यवाद। निश्चित ही हमारे काम को सराहना मिल रही है, लेकिन सरकार यदि हमारे उत्पादों को सार्वजनिक स्थलों, अस्पतालों और सरकारी कार्यालयों में इस्तेमाल करे तो इससे स्वच्छ भारत अभियान, जल और स्वास्थ्य संरक्षण अभियान को बल्कि हमारे जैसे यंग स्टार्टअप को निश्चित ही गति मिलेगी क्योंकि हमारा मकसद बिजनेस नहीं सामाजिक उद्यमिता है।
- प्रतीक हरडे, को-फाउंडर एंड सीईओ