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आम्रपाली समूह को झटका, SC का आदेश कल तक दें धौनी के साथ हुए लेन-देन की जानकारी

सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली को आदेश दिया है कि वह 1 मई तक भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी के साथ हुए सभी लेन-देन का ब्योरा पेश करे।

By Ayushi TyagiEdited By: Updated: Wed, 01 May 2019 08:11 AM (IST)
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आम्रपाली समूह को झटका, SC का आदेश कल तक दें धौनी के साथ हुए लेन-देन की जानकारी

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली समूह से बुधवार को भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी महेंद्र सिंह धौनी के साथ आर्थिक लेनदेन और समझौते के बारे में बताने के लिए कहा है। क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान 2009 से 2015 के बीच इस फर्म के ब्रांड अंबेसडर रहे थे। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि उसके सामने पूरी तस्वीर पेश की जाए। इसके साथ ही क्रिकेटर के साथ हर लेनदेन और सौदे की व्याख्या भी हो। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि समूह ने पूर्व कप्तान के साथ धोखाधड़ी की होगी, यही कारण है कि कुछ मीडिया घरानों ने इस मामले की खबर दी है।

जस्टिस अरुण मिश्र और जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने फर्म से बुधवार को यह ब्योरा सौंपने के लिए कहा कि आम्रपाली समूह और धौनी के बीच कितना लेनदेन हुआ। पीठ ने कहा, ‘बुधवार तक हम अपने सामने पूरी तस्वीर देखना चाहते हैं। आपके और धौनी के बीच कितने रुपये का लेनदेन हुआ है और उनके साथ आपकी व्यवस्था क्या थी। विज्ञापन के लिए आपने कितना भुगतान किया। हम पूरा ब्योरा चाहते हैं। संभव है कि आपने उन्हें धोखा दिया होगा, नहीं तो मीडिया हाउसों ने हाल ही में इस मामले के बारे में खबर क्यों दी।’ शुरू में शीर्ष कोर्ट द्वारा नियुक्त फोरेंसिक आडिटर पवन अग्रवाल और रवि भाटिया ने पीठ से कहा कि उन्होंने आम्रपाली समूह और मेसर्स रहिति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के बीच 24 लेनदेन हुआ पाया है। यही कंपनी धौनी के विज्ञापन अधिकार की स्वीकृति का प्रबंधन करती है।
अग्रवाल ने पीठ को बताया कि एक लेनदेन करीब 25 करोड़ का है जो आम्रपाली ने धौनी को दिया था। इसके अलावा विभिन्न समूह की कंपनियों के बीच लेनदेन हुए हैं।
घर खरीदारों की ओर से पेश वकील एमएल लाहौटी ने कहा कि धौनी की पत्नी साक्षी समूह की पूर्व निदेशक हैं। आम्रपाली की ओर से पेश वकीलों गीता लूथरा और गौरव भाटिया से पीठ ने बुधवार तक ब्योरा सौंपने के लिए कहा।

आयकर, ईओडब्ल्यू देख सकेंगे आम्रपाली की फोरेंसिक रिपोर्ट

आम्रपाली समूह ने घर खरीदारों के 3500 करोड़ रुपये विभिन्न परियोजनाओं में निवेश कर दिए। फोरेंसिक आडिटरों ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी। शीर्ष कोर्ट ने आयकर विभाग और ईओडब्ल्यू को ताजी रिपोर्ट देखने की अनुमति दी है।
जस्टिस अरुण मिश्र और जस्टिस यूयू ललित ने दोनों फोरेंसिक आडिटरों पवन अग्रवाल और रवि भाटिया से कहा कि उन्हें आयकर विभाग और आर्थिक अपराध शाखा से आडिट रिपोर्ट की मांग वाली नोटिस मिली है। इसके साथ ही उन्हें इसकी व्याख्या करने के लिए हाजिर रहने के लिए कहा गया है। शीर्ष कोर्ट ने रिपोर्ट स्वीकार करते हुए फोरेंसिक आडिटरों को जांच एजेंसी से प्रति साझा करने को कहा।
पीठ ने कहा, ‘हमारे ध्यान में आया है कि पुलिस आयुक्त आर्थिक अपराध शाखा को फोरेंसिक आडिटरों की रिपोर्ट की जरूरत है। हम फोरेंसिक आडिटरों को आर्थिक अपराध शाखा को रिपोर्ट सौंपने की अनुमति देते हैं। लेकिन उन्हें किसी अन्य उद्देश्य से समन नहीं किया जा सकता।’
शीर्ष कोर्ट ने कहा कि मामले को आज के आलोक में देखने की जरूरत है। कोर्ट ने आम्रपाली समूह से फोरेंसिक आडिटरों की ओर से सौंपी गई रिपोर्ट पर एक या दो दिनों में अपना जवाब सौंपने के लिए कहा।

जानें, कब खरीदा था फ्लैट 

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान ने विवादों में घिरे आम्रपाली समूह से साल 2009 में नोएडा सेक्टर 45 स्थित फाइव बीएचके और फैमिली लाउंज वाले पेंटहाउस महज 20 लाख रुपये में खरीदा था। जिसका बाजार मूल्य सवा करोड़ था। सुपीम कोर्ट के ऑडिटर रवि भाटिया और पवन कुमार ने पाया कि धौनी उन 655 लोगों में शामिल है, जिन्होंने करोड़ों का फ्लैट महज 20 लाख में खरीदा है। 

ऑडिटर ने धौनी और कंपनी दोनों से इस मामले पर पूछताछ की। भारतीय खिलाड़ी ने बताया कि ना तो उन्हें और ना ही उनके परिवार के किसी सदस्य को कंपनी की तरफ से किसी तरह का कोई फंड नहीं दिया गया है। धौनी ने कहा कि आम्रपाली उन्हें कई करोड़ रुपये का बकाया भुगतान करने में विफल रही है और साथ ही कहा कि कंपनी का ब्रांड एंबेसडर होने के कारण उन्हें फ्लैत की कीमत में रियायत दी गई थी।

30 अप्रैल से 2 मई तक अहम सुनवाई 
सुप्रीम कोर्ट ने 30 अप्रैल मंगलवार से आम्रपाली की परियोजनाओं के आवास खरीदारों की याचिका पर सुनवाई शुरू कर दी है। दरअसल इस मामले में कोर्ट यह देखेगा की क्या घर खरीदारों को संपत्ति का मालिकाना हक दिया जा सकता है?

नोएडा प्राधिकरण को वसूलने है आम्रपाली समूह से करोड़ रुपये 
जानकारी के लिए बता दें कि नोएडा प्राधिकरण को आम्रपाली समहू से 1930 करोड़ रुपये वसूलने हैं। अभी तक आम्रपाली समूह को कंपनी एक पैसे का भुगतान नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट में 30 अप्रैल से दो मई तक होने वाली सुनवाई में यह पैसा प्राधिकरण के खाते में कैसे जमा हो? आम्रपाली की अधूरी परियोजना का निर्माण कैसे किया जाए? साथ ही निवेशकों का भविष्य कैसे सुरक्षित किया जाए? इन सभी सवालों के जवाब प्राधिकरण को देना है।

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