मां-पिता के लिए जरूरी खबर, बच्चों के दूध की बोतल व सिप्पर कप में खतरनाक रसायन
यह एक हानिकारक रसायन है और इसके प्रभाव से बच्चों में आगे चलकर अलग-अलग तरह की कई बीमारियां होने का खतरा रहता है।
नई दिल्ली, जेएनएन। बच्चों के दूध की बोतल और सिप्पर कप में भी रसायन की मात्र मिल रही है। देश के अलग-अलग हिस्सों से एकत्र किए गए नमूनों के आधार पर दिल्ली आधारित संस्था टॉक्सिक लिंक ने अपनी अध्ययन रिपोर्ट में इसका दावा किया है।
बच्चों को कई तरह की बीमारी दे सकता है यह रसायन
संस्था द्वारा मंगलवार को जारी की गई ‘बॉटल्स कैन बी टॉक्सिक पार्ट 2’ नाम की इस रिपोर्ट में कहा है कि बच्चों के दूध की बोतल और सिप्पर कप में एक खास किस्म का रसायन बिस्फेनॉल-ए पाया गया है। यह एक हानिकारक रसायन है और इसके प्रभाव से बच्चों में आगे चलकर अलग-अलग तरह की कई बीमारियां होने का खतरा रहता है।
टॉक्सिक लिंक की अध्ययन रिपोर्ट में सामने आया तथ्य
संस्था के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. प्रशांत राजंकर ने बताया कि इस अध्ययन के लिए गुजरात, राजस्थान, केरल, आंध्र प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, मणिपुर और दिल्ली से अलग-अलग कंपनियों द्वारा बनाई गई बोतलों और सिप्पर कप के नमूने एकत्र किए गए थे।
इनकी जांच इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी गुवाहाटी में कराई गई। यहां से मिली रिपोर्ट के विश्लेषण के आधार पर ही उक्त दावा किया जा रहा है। गौरतलब है कि टॉक्सिक लिंक इसी विषय पर एक रिपोर्ट पहले भी जारी कर चुका है।
बच्चा छोटा है और आप उसे बोतल से दूध पिलाते हैं तो सावधान हो जाएं। प्लास्टिक की बोतल से दूध पिलाना बच्चे की सेहत के लिए घातक है। बोतल के निर्माण में इस्तेमाल होने वाला रसायन बच्चे के लिए हानिकारक होता है।
स्तनपान को लेकर जोर दिया जाता है। मां का दूध अमृत के समान माना गया है पर कुछ मजबूरी तो कुछ अन्य कारणों से स्तनपान के बजाय बच्चे को बोतल से दूध पिलाना जरूरी समझते हैं। प्लास्टिक की बोतल से बच्चे को दूध पिलाने वाली माएं नहीं जानती कि इसके निर्माण में बिस्फेनाल-ए नामक रसायन का प्रयोग किया जाता है।
सस्ती और घटिया कंपनी वाली बोतलों को भी इस केमिकल की कोटिंग उन्हें मुलायम रखती है। साथ ही बोतल लंबे समय तक खराब नहीं होती है। चिकित्सकों का कहना है कि जब बोतल में गर्भ दूध या पानी डालकर बच्चे को पिलाया जाता है। तो यह रसायन भी घुलकर बच्चे के शरीर में चला जाता है।
चिकित्सकों का कहना है कि इससे पेट और आंतों के बीच का रास्ता बंद हो जाता है। जिससे कभी कभी जान का भी खतरा बन जाता है। यही नहीं काफी दिनों तक दूध के सहारे शरीर में रसायन पहुंचने के कारण ह्रदय, गुर्दे, लिवर और फेफड़ों की बीमारी हो सकती है।
मेडिकेडेट बोतल का करें इस्तेमाल
वैसे तो चिकित्सकों का कहना है कि बच्चे को स्तनपान ही कराएं और अगर किसी कारण से ऐसा नहीं करा पाते हैं तो मेडिकेडेट बोतल का इस्तेमाल करें। गुणवत्ता वाली बोतलें मेडिकल स्टोरों पर उपलब्ध होती हैैं।
हर सूरत में है हानिकारक
प्लास्टिक की बोतल में दूध पिलाना बच्चों की सेहत के लिए हानिकारक है। बाल रोग विशेषज्ञों की मानें तो बोतल से लगातार दूध पिलाने से बच्चे के गले में सूजन आ जाती है। उसे उल्टी दस्त भी हो सकते हैं। डायरिया भी हो जाता है। लिवर और गुर्दे की बीमारी हो जाती है।