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त्रिकोणीय मुकाबले में दिलचस्प हुई चांदनी चौक की जंग

देश के विभिन्न भागों से होते हुए चुनाव का खुमार चांदनी चौक पहुंच गया है। मुगलकालीन इस पुरानी बसावट में चुनावी नारे गूंजने लगे हैं। नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक की आमद होने लगी है। रमजान का महीना भी नजदीक आ गया है। सो पाक माह की तैयारियों के बीच मतदान के लिए मिजाज भी बनाया जाने लगा है। दुकानों पर चुनावी चर्चे तेज हैं।

By JagranEdited By: Updated: Sat, 04 May 2019 06:23 AM (IST)
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त्रिकोणीय मुकाबले में दिलचस्प हुई चांदनी चौक की जंग

चांदनी चौक। देश की राजधानी दिल्ली के दिल में बसी मुगलकालीन बसावट। यहां चुनावी चर्चे तेज हैं, इस बार लड़ाई दिलचस्प है। कांग्रेस से जेपी अग्रवाल और आम आदमी पार्टी से पंकज गुप्ता पूरे दमखम से चुनाव लड़ रहे हैं। दोनों मतदाताओं को यह भरोसा दिलाने में जी-जान से लगे हुए हैं कि भाजपा को तो केवल वही टक्कर दे रहे हैं। असल में कांग्रेस खोई जमीन पाने के लिए लड़ रही है। वहीं, आप दिल्ली की सरकार बचाए रखने के लिए। उसे पता है कि इस चुनाव में पटखनी मिली तो अगले वर्ष होने वाला विधानसभा चुनाव आसान नहीं होगा। इन सबके बीच वर्तमान सांसद व भाजपा उम्मीदवार डॉ. हर्षवर्धन खुद को लड़ाई में आगे मान रहे हैं। चांदनी चौक का सरताज कौन बनेगा यह तो 23 मई को पता चलेगा लेकिन फिलहाल यहां मुकाबला दिलचस्प है। सियासी समीकरण पर नेमिष हेमंत की एक रिपोर्ट:-

जिसने चांदनी चौक जीता उसकी बनी केंद्र में सरकार

आजादी के आंदोलन के प्रमुख केंद्रों में से एक चांदनी चौक की अहमियत आज भी बरकरार है। यह देश की उन प्रतिष्ठित सीटों में शुमार है, जिनसे केंद्र का भाग्य तय होता है। कुछ अपवादों को छोड़ दें तो चुनावी नतीजों का इतिहास बताता है कि जिस दल को यहां के लोगों का प्यार मिला उसकी देश में सरकार बन गई। इसलिए राजनीतिक दल इस सीट को हल्के में नहीं लेते। बल्कि यहां से दमदार राजनीतिक पहलवानों को लोकसभा के चुनावी दंगल में उतारा जाता है। मौजूदा दौर में तो पांच बार से जीते प्रत्याशी केंद्रीय मंत्री बन रहे हैं। भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे डॉ हर्षवर्धन मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री हैं। वहीं वर्ष 2004 व 2009 के चुनाव में जीते कपिल सिब्बल मनमोहन सरकार में केंद्रीय मंत्री थे। इसी तरह वर्ष 1998 व 1999 में जीत दर्ज करने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता विजय गोयल वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे थे। इस बार कांग्रेस पार्टी ने कपिल सिब्बल की जगह चांदनी चौक की सियासत के महारथी जयप्रकाश अग्रवाल पर भरोसा जताया है। जयप्रकाश तीन बार चांदनी चौक से सांसद रहे हैं।

दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रह चुके जयप्रकाश का खुद का जनाधार है। उनका चांदनी चौक से पुराना नाता है। वह बाहरी बनाम स्थानीय के साथ पूर्ववर्ती शीला सरकार की उपलब्धियों को गिना रहे हैं। वहीं, सीलिग का मुद्दा जोरशोर से उठाकर दुकानदारों व उद्यमियों के दुखती रग पर हाथ भी रख रहे हैं। आप के प्रत्याशी पूर्ण राज्य के मुद्दे को लेकर हमलावर हैं। इसके साथ ही वह राज्य में सत्तारूढ़ केजरीवाल सरकार में कई उपलब्धियों का दावा करते हुए उसके सहारे वोट मांग रहे हैं। मुगलकालीन चांदनी चौक में मिली-जुली धार्मिक संस्कृति व जाति समुदाय इसके गंगा-यमुना तहजीब को पुख्ता करता है। वैसे, वैश्य समुदाय की बहुलता है। यहां से नौ बार वैश्य उम्मीदवार जीते हैं। इस बार भी प्रमुख तीनों राजनीतिक दलों (भाजपा, कांग्रेस पार्टी व आप) ने इसी समुदाय के उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारा है। यह सीट अपनी विविधताओं के लिए भी जानी जाती है। एक तरफ सैकड़ों वर्ष पुरानी संस्कृति, रवायत व मिजाज के साथ स्वाद को भी संभाले चांदनी चौक की संकरी गलियां हैं तो शालीमार बाग, व आदर्श नगर जैसे पॉश कालोनियां भी हैं। प्रसिद्ध जामा मस्जिद के साथ गौरीशंकर मंदिर, शीशगंज गुरुद्वारा, बापिस्ट चर्च के साथ प्रसिद्ध जैन लाल मंदिर भी यहीं स्थित है। मटियामहल, बल्लीमारान, चांदनी चौक व सदर बाजार विधानसभा सीट पर मुस्लिम मतदाता प्रभावी है। जो कांग्रेस पार्टी व आम आदमी पार्टी (आप) को लेकर उधेड़बुन में है। इसी तरह 30 फीसद में जैन धर्म व व्यापारी प्रभावी भूमिका में है। जिन्हें भाजपा का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है। चांदनी चौक देश का प्रमुख कारोबारी हब है, जिसमें लाखों की संख्या में व्यापारी, कर्मचारी व मजदूर आते हैं। इसलिए उनसे जुड़े मुद्दे चुनावों में जोर पकड़ता है। इस बार भी सीलिग, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और नोटबंदी की चर्चा ज्यादा है। तो केंद्र सरकार के प्रदर्शन के बीच राष्ट्रवाद का रंग चटख है।

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अलका बढ़ा रहीं मुश्किल आप की मुश्किल

चांदनी चौक की विधायक अलका लांबा का बागी रुख आप की मुश्किलें बढ़ा रही है। वह चुनाव प्रचार में हिस्सा नहीं ले रही है। हालांकि, आप ने चुनाव के ठीक पहले मटियामहल के बागी विधायक आसिम अहमद खान को मना लिया है। कांग्रेस से गठबंधन न हो पाने से पार्टी की राहें कठिन हो गई है। इसलिए भी मुख्यमंत्री अरविद केजरीवाल तक मुस्लिम मतदाताओं से कांग्रेस को मतदान न करने की अपील कर रहे हैं। तो कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार जय प्रकाश के पुरानी दिल्ली के लोगों से पुराने संबंध काम आ सकते हैं।

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लोस क्षेत्र पर एक नजर्र

(दस विधानसभा क्षेत्र है)

आदर्श नगर

शालीमार बाग

शकूर बस्ती

त्री नगर

वजीरपुर

मॉडल टाउन

सदर बजार

चांदनी चौक

मटियामहल

बल्लीमारान

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प्रमुख इलाके व बाजार

सदर बाजार, चांदनी चौक, फतेहपुरी, खारी बावली, कूचा महाजनी, कूचा चौधरी, कूचा लट्टू शाह, दरीबा कला, किनारी बाजार, कूचा रहमान, नई सड़क, जामा मस्जिद, दरियागंज, दिल्ली गेट, अजमेरी गेट, कश्मीरी गेट, लाहौरी गेट, तुर्कमान गेट, शालीमार बाग, त्री नगर, सिविल लाइंस, मोरी गेट

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कुल मतदाता : 15,62,268

पुरूष :8,483,03

महिला :7,133,93

थर्ड जेंडर: 132

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इस बार प्रत्याशी

डॉ हर्षवर्धन (भाजपा)

जय प्रकाश अग्रवाल (कांग्रेस)

पंकज गुप्ता (आप)

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पिछली बार के नतीजे वर्ष 2014

वर्ष 2014 के नतीजे (चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र)

कुल मत-1,447,230

पड़े मत- 9,15,762

हर्षवर्धन- (भाजपा) 4,37,938

आशुतोष (आप) 3,01,618

कपिल सिब्बल 1,76,206

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प्रमुख मुद्दे :

- पार्किंग की समस्या प्रमुख समस्याओं में से एक है। आजादपुर गांव, त्रीनगर में मूलभूत सुविधाओं का अभाव।

- मटियामहल, बल्लीमारान व चांदनी चौक के साथ अन्य विधानसभा क्षेत्रों में अवैध निर्माण। लोकसभा क्षेत्र में कई जगह सड़कें टूटी है।

- इस लोकसभा क्षेत्र में 30 फीसद व्यापारी वर्ग है तो यहां वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), नोटबंदी के साथ सीलिग का मुद्दा गरमाया हुआ है।

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प्रत्याशी

-डॉ हर्षवर्धन, भाजपा

मजबूती

-जमीनी नेता हैं। संगठन में अच्छी पकड़ है।

-प्रचार में अपनी उपलब्धियों से ज्यादा मोदी का नाम ले रहे हैं।

-ईमानदार छवि है, ज्यादा दिखावे पर विश्वास नहीं करते। कमजोरी

-सीलिग को लेकर व्यापारियों, उद्यमियों के साथ निवासियों में नाराजगी।

-कुछ मतदाता उनके क्षेत्र में कम समय देने का आरोप लगाते हैं।

-नए कारोबारी हब विकसित करने का वादा भी पूरा नहीं हो सका है।

::::::::::::::::::::::::::: -पंकज गुप्ता, आप

मजबूती

-सभी 10 विधायक आम आदमी पार्टी से, इसका फायदा मिल रहा

-शांत स्वभाव के व टेक्नोसेवी हैं। मतदाताओं को यह पसंद आ सकता है।

-आप सरकार के कामकाज का भी फायदा मिल रहा

कमजोरी

कांग्रेस से गठबंधन न हो पाने की कीमत वोटों के बिखराव से चुकानी पड़ सकती है।

-पार्टी के भीतर टकराव है। विधायक के साथ ही पदाधिकारियों का पूरा साथ नहीं मिल रहा है।

-पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। नया चेहरा हैं। पहचान की भी दिक्कत है।

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जय प्रकाश अग्रवाल, कांग्रेस

मजबूती

यह चांदनी चौक के निवासी हैं। स्थानीय होने का फायदा

-संगठन के साथ ही मतदाताओं में में अच्छी पकड़।

-सौम्य व मिलनसार होने से मतदाताओं में अच्छी छवि। कमजोरी

-आप ने परंपरागत वोट बैंक के साथ संगठन में भी सेंध लगाई है।

-युवाओं को साधने में मुश्किल आ रही, कमजोर संगठन

-आप से गठबंधन को लेकर ऊहापोह से कार्यकर्ताओं में सुस्ती।

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इतिहास एक नजर में

आजादी के बाद से ही यह राजनीतिक दलों के लिए दिलचस्प सीट रही है। यहां से राधारमन और शामनाथ जैसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सांसद चुने गए थे, तो भारतीय जनसंघ का दीपक भी 1967 के चुनाव में यहीं जला था। सुभद्रा जोशी व सिकंदर बख्त जैसे दिग्गज नेता भी यहां से सांसद रहे हैं। पहले इस लोकसभा का क्षेत्र पुरानी दिल्ली की मुगलकालीन दीवारों के भीतर होती थी। तब चांदनी चौक, बल्लीमारान व मटियामहल इसमें आता था। परिसीमन के बाद इसमें सदर बाजार, समेत समेत पांच अन्य विधानसभा जुड़े। कुल 26 प्रत्याशी हैं मैदान में

चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र पर कुल 26 प्रत्याशी भाग्य आजमा रहे हैं। बसपा से शाहिद अली, राष्ट्रीय समरसता पार्टी से इंद्रसेन, एकता समाज पार्टी से मोहम्मद इरफान जावेद कुरैशी, आपकी अपनी पार्टी (पीपुल्स) से विरेंद्र प्रताप सिंह वहीं निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जुगल किशोर, पंकज गुप्ता, रविकुमार जैसे प्रत्याशी शामिल है।

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