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हरियाणा के खिलाफ एनजीटी में जाएगी दिल्ली सरकार: मोहनिया

दिल्ली जल बोर्ड ने हरियाणा क्षेत्र में यमुना पर अवैध बांध बनाने का आरोप लगाया है। शनिवार को जल बोर्ड के उपाध्यक्ष दिनेश मोहनिया ने यमुना पर बने कच्चे बांध के स्थान पर जाकर स्थिति का जायजा लिया। इसके बाद उन्होंने कहा कि जल बोर्ड की शिकायत के बावजूद हरियाणा सरकार ने अब तक अवैध बांध को नहीं हटाया है। इसलिए दिल्ली में पेयजल संकट का खतरा बरकरार है। उन्होंने इस मामले पर हरियाणा सरकार से जल्द कार्रवाई करने की मांग की है। साथ ही कहा है कि यदि बांध ध्वस्त नहीं किया गया तो दिल्ली सरकार नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) का दरवाजा खटखटाएगी।

By JagranEdited By: Updated: Sun, 05 May 2019 06:27 AM (IST)
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हरियाणा के खिलाफ एनजीटी में जाएगी दिल्ली सरकार: मोहनिया

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : यमुना नदी में बांध बनाकर दिल्ली का पानी रोके जाने के मामले में हरियाणा के खिलाफ दिल्ली सरकार नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में जाएगी। यह बात दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष दिनेश मोहनिया ने कही है। इससे पहले उन्होंने यमुना पर बने कच्चे बांध वाले स्थान पर जाकर स्थिति का जायजा लिया।

शनिवार को मोहनिया ने कहा कि शिकायत के बावजूद यमुना नदी में बनाए गए अवैध बांध को अब तक हरियाणा सरकार ने हटाया नहीं है। इसलिए दिल्ली में पेयजल संकट गहराने का खतरा बना हुआ है। उन्होंने इस मामले पर हरियाणा सरकार से जल्द कार्रवाई करने की मांग की है। साथ ही कहा है कि यदि बांध ध्वस्त नहीं किया गया तो दिल्ली सरकार एनजीटी का दरवाजा खटखटाएगी।

उन्होंने आरोप लगाया कि यमुना पर अवैध बांध बना कर दिल्ली का पानी रोकने की साजिश की जा रही है। पानी रोके जाने से वजीराबाद जलशोधन संयंत्र से पानी आपूर्ति ठप हो सकती है। यदि ऐसा हुआ तो दिल्ली में पेयजल संकट बढ़ जाएगा। हालांकि, जल बोर्ड के अनुसार अभी तक दिल्ली में यमुना से पानी आपूर्ति पर असर नहीं हुआ है। इसलिए जल बोर्ड अपनी क्षमता के अनुरूप पानी आपूर्ति कर रहा है। यमुना पर यह बांध कौन और कैसे बना रहा है, अभी तक यह स्थिति भी स्पष्ट नहीं हो पाई है।

उल्लेखनीय है कि हरियाणा में ताजेवाला बैराज से 17 किलोमीटर पहले अवैध बांध बनाए जाने का मामला सामने आया है। जल बोर्ड के अधिकारी शुक्रवार को यमुना में पानी के बहाव की निगरानी के लिए ताजेवाला बैराज गए थे। इस दौरान उन्होंने यह बांध देखने का दावा किया है। इस संबंध में जल बोर्ड ने केंद्र सरकार, हरियाणा सरकार, दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव और उपराज्यपाल को पत्र लिखकर इसकी शिकायत की थी।

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