कुपोषण से खराब हो रहा बच्चों का कूल्हा व घुटना
एक उम्र के बाद बड़े लोगों में कूल्हा व घुटना खराब होने की बीमारी देखी जाती है। खासतौर पर बुजुर्ग इसके सबसे अधिक शिकार होते हैं। बड़े लोगों में ज्वाइंट खराब होने पर उसे बदलकर कृत्रिम कूल्हा व घुटना प्रत्यारोपित कर दिया जाता है पर चिताजनक यह है कि संक्रमण की बीमारी से बच्चों के कूल्हे व घुटने भी खराब हो रहे हैं। सफदरजंग अस्पताल के ऑर्थोपेडिक विभाग की ओपीडी में ऐसी बीमारी से पीड़ित बहुत बच्चे इलाज के लिए पहुंचते जिनमें से कई बच्चों का ज्वाइंट खराब हो चुका होता है। दिक्कत यह है कि बच्चों का ज्वाइंट बदला भी नहीं जा सकता। ऐसी स्थिति में पीड़ित बच्चे दिव्यांगता के शिकार हो रहे हैं। डॉक्टर इसका बड़ा कारण कुपोषण को बता रहे हैं।
By JagranEdited By: Updated: Sun, 26 May 2019 06:39 AM (IST)
-सफदरजंग अस्पताल में इलाज के लिए पहुंच रहे हैं ऐसे बच्चे
-कुपोषित बच्चों में अधिक देखी जा रही है हड्डियों में संक्रमण की बीमारी राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : कूल्हा और घुटना खराब होने की बीमारी अब तक बुजुर्गो में ही देखी जाती थी। लेकिन, अब संक्रमण की वजह से बच्चों के कूल्हे व घुटने भी खराब हो रहे हैं। सफदरजंग अस्पताल के ऑर्थोपेडिक विभाग की ओपीडी में बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे पहुंच रहे हैं। इनमें से कई बच्चे ज्वाइंट खराब होने की वजह से दिव्यांगता के भी शिकार हो रहे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक बच्चों में इस बीमारी का बड़ा कारण कुपोषण है। डॉक्टर बताते हैं कि सफदरजंग अस्पताल की ओपीडी में हड्डियों की बीमारी से पीड़ित बच्चों में से करीब 15 फीसद बच्चे ऐसे होते हैं, जो संक्रमण से पीड़ित होते हैं। इस वजह से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और धीरे-धीरे गलने लगती हैं। इससे बच्चों के ज्वाइंट खराब हो जाते हैं। सफदरजंग अस्पताल में बच्चों के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. विकास गुप्ता के मुताबिक हड्डियों की बीमारी को लेकर लोगों में जागरूकता का बहुत अभाव है। यदि संक्रमण के कारण हड्डियों की बीमारी से पीड़ित बच्चे इलाज के लिए शुरुआती स्टेज में अस्पताल पहुंचे तो सर्जरी से बेहतर इलाज संभव है, लेकिन यह देखा जाता है कि ज्यादातर बच्चे देर से इलाज के लिए पहुंचते हैं। वह बताते हैं कि हर ओपीडी में दो से चार ऐसे बच्चे इलाज के लिए जरूर पहुंचते हैं, जिनका कूल्हा, कोहनी या घुटना खराब हो चुका होता है। हाल ही में नेपाली मूल का एक बच्चा इलाज के लिए लाया गया था, जिसके कूल्हे का बॉल बिल्कुल गल गया था। इस वजह से वह बच्चा दिव्यांगता का शिकार हो गया। उसे कैलिपर का सहारा देना पड़ा, ताकि वह ठीक से चल पाए। पिछले सोमवार को भी ओपीडी में ऐसे चार बच्चे इलाज के लिए पहुंचे थे, जिनकी हड्डियां संक्रमण के कारण खराब हो गई हैं। पोषण अच्छा नहीं होने से रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। इसलिए कुपोषित बच्चों में संक्रमण का खतरा अधिक रहता है। दिक्कत यह है कि बड़े लोगों की तरह बच्चों का घुटना व कूल्हा बदला नहीं जा सकता। इसलिए पीड़ित बच्चे कई बार दिव्यांगता के शिकार हो जाते हैं।
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