Move to Jagran APP

हरनंदी में ऑक्सीजन की मात्रा जीरो, यूपी की इस नामी नदी को लेकर RTI में हुआ खुलासा

आरटीआइ के जवाब में बोर्ड ने वर्ष 2014 से 2018 तक हरनंदी के पानी में प्रदूषण के स्तर की रिपोर्ट उपलब्ध कराई है।

By Edited By: Updated: Sun, 26 May 2019 06:40 AM (IST)
Hero Image
हरनंदी में ऑक्सीजन की मात्रा जीरो, यूपी की इस नामी नदी को लेकर RTI में हुआ खुलासा
नोएडा [सुरेंद्र राम]। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की शिवालिक पहाड़ियों से निकलकर नोएडा होते हुए यमुना नदी में मिलने वाली हरनंदी का पानी बेहद प्रदूषित हो चुका है। आलम यह है कि नदी में मौजूद प्रदूषित पानी में डिजॉल्व ऑक्सीजन (डीओ) की मात्रा शून्य स्तर पर पहुंच गई है। इस कारण जलीय जीवों का जीवन खतरे में है। गाजियाबाद छिजारसी पुल से ग्रेटर नोएडा तक के पानी में मत्स्य प्रजाति के जीवों के जीवन की संभावना खत्म हो गई है। अब तो इस पानी का इस्तेमाल कुछ खास फसलों की सिंचाई के लिए ही उपयुक्त है। यह दावा ग्रेटर नोएडा निवासी पर्यावरणविद् विक्रांत तोंगड़ ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से आरटीआइ के जरिए मिले जवाब के आधार पर किया है।

क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहायक वैज्ञानिक सुशील कुमार ने बताया कि जलीय जीवों को जीवित रहने के लिए पानी में डिजॉल्व ऑक्सीजन की मात्रा चार मिलीग्राम प्रतिलीटर होनी चाहिए। जब पानी अधिक प्रदूषित हो जाता है और उसमें डिजॉल्व ऑक्सीजन की मात्रा बिल्कुल शून्य हो जाती है व में जलीय जीवों के जीवित रहने की संभावना खत्म हो जाती है। हरनंदी का पानी गाजियाबाद और नोएडा में सबसे अधिक प्रदूषित है, जिसके चलते पानी में डीओ का स्तर शून्य हो गया है।

छिजारसी पुल से नोएडा तक तीन साल से डीओ स्तर शून्य
क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हर महीने नदी में प्रदूषण की मात्रा की जांच करता है। आरटीआइ के जवाब में बोर्ड ने वर्ष 2014 से 2018 तक हरनंदी के पानी में प्रदूषण के स्तर की रिपोर्ट उपलब्ध कराई है। रिपोर्ट के मुताबिक, गाजियाबाद छिजारसी पुल से नोएडा तक हरनंदी के पानी में प्रदूषण का स्तर काफी भयावह है। वर्ष 2014 व 15 में हरनंदी के पानी में डिजॉल्व ऑक्सीजन का स्तर 0.1 मिलीग्राम प्रति लीटर था, जिसमें कुछ खास जलीय जीव ही जीवित रह सकते हैं। वहीं, वर्ष 2016, 17 व 18 में हरनंदी के पानी में डिजॉल्व ऑक्सीजन का स्तर शून्य है। जनवरी 2019 से अप्रैल तक हरनंदी के पानी की चार बार जांच की गई है और उसमें भी डीओ स्तर शून्य है।

हरनंदी के पानी के इस्तेमाल से कैंसर का खतरा
पर्यावरणविद् विक्रांत तोंगड़ का कहना है कि हरनंदी में कई फैक्ट्रियों का केमिकल युक्त गंदा पानी मिलता है। इस केमिकल में कैंसर कारक तत्व होते हैं, इसलिए नदी के किनारे स्थित गांवों में रहने वाले लोग पीने के लिए हैंडपंप के पानी का इस्तेमाल नहीं करते हैँ। प्रदूषित पानी में कैंसर कारक तत्व घुले होने के कारण किसान फसलों की सिंचाई भी नहीं कर पा रहे हैं। ऑक्सीजन नहीं होने के कारण हरनंदी के पानी से मछली पालन नहीं हो सकता है। इसके साथ वनस्पति का भी विकास नहीं हो सकता है।

फसलों को नुकसान पहुंचाता है हरनंदी पानी
पहले यहां तरबूज, खरबूज जैसी फसलें होती थीं, जो अब नहीं हो रही हैं। अब गेहूं, ज्वार, बाजरा व गन्ने की फसल की जा रही है, लेकिन हरनंदी का प्रदूषित पानी ¨सचाई के योग्य नहीं होने के कारण अब यह फसलें कम उगाई जा रही हैं। उन्होंने बताया कि वह हरनंदी के पानी में प्रदूषण कम करने की लड़ाई लड़ रहे हैं, जिससे किसानों को फायदा हो सके। हरनंदी में प्रदूषण कम करने को लेकर एक कमेटी भी बनी है, जो काम कर रही है। अभी कुछ दिन पहले ही मोमनाथल गांव के पास हरनंदी के पानी के उपर काले रंग का तेल तैरता पाया गया था। इसका प्रदूषण विभाग ने नमूना लेकर जांच के लिए भेजा है। वह इसकी रिपोर्ट एनजीटी के सामने रख कर कार्रवाई की मांग करेंगे।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।