केजरीवाल ने खोया जनता और विधायकों का विश्वास: विजेंद्र
आम आदमी पार्टी (आप) की विधायक अलका लांबा के बहाने भाजपा ने भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविद केजरीवाल पर निशाना साधा है। उसका कहना है कि आप के वाट्सएप ग्रुप से लांबा को बाहर करने से स्पष्ट हो गया है कि आप में जनप्रतिनिधियों को भी अपनी बात रखने का कोई अधिकार नहीं है। आप नेतृत्व से असहमति जताने वाले नेताओं व विधायकों को प्रताड़ित किया जाता है। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि लोकसभा चुनाव में शर्मनाक हार के बाद आप में अंतर्कलह शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री न तो जनता की उम्मीदों पर खरे उतरे और न ही पार्टी के लोगों में विश्वास बनाकर रख सकें। आप विधायक कह रहे हैं इस पार्टी में अब उनका दम घुट रहा है।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी (आप) की विधायक अलका लांबा के बहाने भाजपा ने भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविद केजरीवाल पर निशाना साधा है। उसका कहना है कि आप के वाट्सएप ग्रुप से लांबा को बाहर करने से स्पष्ट हो गया है कि आप में जनप्रतिनिधियों को भी अपनी बात रखने का कोई अधिकार नहीं है। आप नेतृत्व से असहमति जताने वाले नेताओं व विधायकों को प्रताड़ित किया जाता है। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि लोकसभा चुनाव में शर्मनाक हार के बाद आप में अंतर्कलह शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री न तो जनता की उम्मीदों पर खरे उतरे और न ही पार्टी के लोगों में विश्वास बनाकर रख सकें। आप विधायक कह रहे हैं कि इस पार्टी में अब उनका दम घुट रहा है। उन्होंने कहा कि लांबा ने ट्वीट करके बताया है कि विधायकों की पार्टी के अंदर सुनी नहीं जाती है और बाहर वे बोल नहीं सकते हैं, बस घुट रहे हैं। आप विधायक ने दिल्ली में फिर से जीत हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री को अपनी सुनने के बजाय विधायकों व कार्यकर्ताओं की सुनने की नसीहत दी है। इससे पहले भी उनका एक ट्वीट आया था कि उन्हें आप के वाट्सएप ग्रुप से निकाल दिया गया है। एक और ट्वीट के माध्यम से उन्होंने बताया है कि चुनाव प्रचार के दौरान लोग विधायकों से दिल्ली में पानी की किल्लत को लेकर जवाब तलब कर रहे थे। जल विभाग मुख्यमंत्री के पास है, लेकिन दिल्ली में पानी की परेशानी दूर नहीं हो रही है।
गुप्ता ने कहा कि आप विधायक के ट्वीट से यह स्पष्ट होता है कि केजरीवाल अपने विधायकों को न तो काम करने देते हैं और न ही उन्हें बोलने की इजाजत देते हैं। जो मुख्यमंत्री अपने विधायकों की नहीं सुनता है वह जनता के काम को लेकर कितना चितित होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद काम करने के बजाय मुख्यमंत्री सिर्फ झूठ का सहारा लेते रहे हैं। वह कभी केंद्र पर काम न करने देने का झूठ फैलाते हैं तो कभी नेता प्रतिपक्ष के ऊपर जान से मारने का झूठा आरोप लगाते हैं। प्रधानमंत्री पर भी बेबुनियाद आरोप लगाकर वह भ्रम फैलाने की कोशिश कर चुके हैं।