चुनाव में खर्च किया जाता है गुरुद्वारा कमेटी का फंड: जीके
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीपीसी) और शिरोमिण अकाली दल (शिअद-बादल) के पूर्व अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने धर्म को राजनीति से अलग करने की मांग की है। इसके लिए वह अभियान भी चलाएंगे। उनका आरोप है कि राजनीतिक लोग गुरुद्वारा कमेटी के फंड का इस्तेमाल चुनाव में करते हैं। यह गलत है और इसे रोकना होगा। भ्रष्टाचार के आ्रोपों को आधार बनाकर जीके को शिअद बादल ने पार्टी से बाहर कर दिया है।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीपीसी) और शिरोमणि अकाली दल (शिअद-बादल) के दिल्ली इकाई के पूर्व अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने धर्म को राजनीति से अलग करने की मांग की है। इसके लिए वह अभियान भी चलाएंगे। उनका आरोप है कि राजनीतिक लोग गुरुद्वारा कमेटी के फंड का इस्तेमाल चुनाव में करते हैं। यह गलत है और इसे रोकना होगा। भ्रष्टाचार के आरोपों को आधार बनाकर जीके को शिअद बादल ने पार्टी से बाहर कर दिया है। उन्होंने कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के खिलाफ आवाज उठाने, डेरा सिरसा को माफी देने का विरोध करने सहित अन्य पंथक मामले में उन्होंने मुखर होकर आवाज बुलंद की है। इस वजह से उनके खिलाफ साजिश की जा रही है, लेकिन उनका सियासी भविष्य का फैसला सिर्फ संगत कर सकती है। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के जो भी आरोप लगाए गए हैं उसका जवाब वह अदालत में दे रहे हैं। यदि वह दोषी साबित हुए तो सजा भुगतने को तैयार हैं। साथ ही उन्होंने यह आरोप लगाया कि डीएसजीपीसी में हुए सब्जी घोटाले के आरोपित को बचाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में कमेटी और पार्टी से जुड़े कई बड़े नेताओं के कारनामे सामने आएंगे।
उन्होंने कहा कि गुरुद्वारा कमेटी के फंड का राजनीतिक इस्तेमाल गलत है जिसे रोकने के लिए कदम उठाना होगा। कमेटी के चुनाव में राजनीतिक पार्टियों की भागीदारी की वजह से फंड का दुरुपयोग हो रहा है। इस स्थिति को खत्म करने के लिए राजनीतिक पार्टियों को गुरुद्वारा कमेटी का चुनाव लड़ने से रोकना होगा। राजनीतिक जिम्मेदारी संभालने वालों को कमेटी का पदाधिकारी नहीं बनना चाहिए, इसके लिए वह आवाज उठाते रहेंगे। इस मुहिम में संगत की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।