कैंसर से पीड़ित कैदी की Supreme Court से गुहार, 'मां की गोद में मरना चाहता हूं'
राजस्थान हाई कोर्ट से जमानत नहीं मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट में दायर की है याचिका।
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Wed, 29 May 2019 09:31 AM (IST)
नई दिल्ली, प्रेट्र। जेल में बंद एक कैदी ने अपनी मां की गोद में आखिरी सांस लेने की गुहार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल करने कैदी को मुंह का कैंसर होने का पता चला है। उसका कैंसर थर्ड स्टेज में पहुंच चुका है। शीर्ष कोर्ट ने राजस्थान पुलिस से याचिका पर अपनी प्रतिक्रिया सौंपने के लिए है।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की अवकाशकालीन पीठ ने मंगलवार को राजस्थान पुलिस को नोटिस जारी कर पांच जून तक जवाब मांगा है। उसी दिन अगली सुनवाई होगी। याची के पास से जाली मुद्रा बरामद की गई थी और पिछले साल जयपुर में उसके खिलाफ एक मामला दायर किया गया था। राजस्थान हाई कोर्ट द्वारा 24 अप्रैल को अंतरिम जमानत याचिका ठुकराए जाने के बाद उसने शीर्ष कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।अपनी याचिका में याची ने कहा है, ‘ याची को जेल में कैंसर का पता चला और पिछले आठ महीने से हर रोज उसकी रेडियोथेरपी हो रही है। लगातार जमानत अर्जियां इसी आधार पर खारिज की जा रही है कि सवाई मान सिंह अस्पताल जयपुर में उसका इलाज चल रहा है।’ उसने सही इलाज नहीं होने का भी दावा करते हुए अंतरिम जमानत मांगी है। उसने कहा है कि मामले की सुनवाई में काफी समय लगेगा और तब तक उसकी मौत हो जाएगी या सुनवाई की कार्यवाही को समझने में वह अपना मानसिक संतुलन खो देगा। इसलिए उसे अंतरिम जमानत दी जाए। उसने कहा है, ‘कैंसर के मरीज उम्मीद खो देते हैं। मैं भी जीने की उम्मीद खो चुका हूं और अब अपनी मां की गोद में मरना चाहता हूं जिससे आखिरी समय में मां और अपनों का साथ मिल सके।’
देश में आज मुंह का कैंसर विकराल रूप ले चुका है। धूमपान और अस्वास्थ्यकर खान-पान से युवाओं में मुंह, गले और भोजन नली के कैंसर का खतरा दोगुना हो जाता है। आइए जानते हैं इसके लक्षण और इलाज।ये हैं मुख्य कारण
- असंतुलित भोजन
- शराब का अत्यधित सेवन
- दांतों को साफ न रखना
- कमजोर इम्यून सिस्टम
- तम्बाकू, गुटखा, पान और धूम्रपान
क्या हैं इसके लक्षण
विशेषज्ञ डॉक्टर मुंह का निरीक्षण करके टिश्यू का एक छोटा टुकड़ा निकालते हैं, जिसे बॉयोप्सी कहा जाता है। इस टुकडे का सूक्ष्मदर्शी मशीनों से निरीक्षण किया जाता है। इसके बाद कैंसर का फैलाव जानने के लिए एमआरआई और पेट-सीटी कराया जाता है।इलाज के बारे में
सर्जरी: इसमें कैंसर ग्रस्त भाग को ऑपरेशन के जरिये निकाल दिया जाता हैं।
रेडियोथेरेपी: इसमें शरीर के बाहर सेलीनियर एक्सेलरेटर(जिससे रेडिएशन की प्रक्रिया को अंजाम देते हैं) द्वारा फोटॉन और इलेक्ट्रॉन किरणों से कैंसरग्रस्त कोशिकओं को समाप्त कर दिया जाता है। इस उपचार में सामान्य कोशिकाओं को कम से कम नुकसान पहुंचता है।
कीमोथेरेपी: इसमें कैंसररोधी रसायनों का उपयोग कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए किया जाता है।
आधुनिक टार्गेटेड थेरेपी: अत्याधुनिक टार्गेटेड थेरेपी के अंतर्गत कैैंसरग्रस्त कोशिकाओं को ही नष्ट किया जाता है। स्वस्थ कोशिकाओं पर टार्गेटेड थेरेपी का बहुत कम साइड इफेक्ट होता है।लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप
- मुंह से खून आना
- दुर्गंध युक्त सांस छोडऩा
- मुंह या गले में गांठ का होना
- मुंह का छाला जो ठीक नहीं होता
- सांस लेने में या बोलने में परेशानी
- कम समय में वजन का बहुत कम हो जाना
- चबाने, निगलने व बोलने में कठिनाई या दर्द होना
विशेषज्ञ डॉक्टर मुंह का निरीक्षण करके टिश्यू का एक छोटा टुकड़ा निकालते हैं, जिसे बॉयोप्सी कहा जाता है। इस टुकडे का सूक्ष्मदर्शी मशीनों से निरीक्षण किया जाता है। इसके बाद कैंसर का फैलाव जानने के लिए एमआरआई और पेट-सीटी कराया जाता है।इलाज के बारे में
सर्जरी: इसमें कैंसर ग्रस्त भाग को ऑपरेशन के जरिये निकाल दिया जाता हैं।
रेडियोथेरेपी: इसमें शरीर के बाहर सेलीनियर एक्सेलरेटर(जिससे रेडिएशन की प्रक्रिया को अंजाम देते हैं) द्वारा फोटॉन और इलेक्ट्रॉन किरणों से कैंसरग्रस्त कोशिकओं को समाप्त कर दिया जाता है। इस उपचार में सामान्य कोशिकाओं को कम से कम नुकसान पहुंचता है।
कीमोथेरेपी: इसमें कैंसररोधी रसायनों का उपयोग कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए किया जाता है।
आधुनिक टार्गेटेड थेरेपी: अत्याधुनिक टार्गेटेड थेरेपी के अंतर्गत कैैंसरग्रस्त कोशिकाओं को ही नष्ट किया जाता है। स्वस्थ कोशिकाओं पर टार्गेटेड थेरेपी का बहुत कम साइड इफेक्ट होता है।लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप