Move to Jagran APP

Inside Story: क्या मनोज तिवारी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा दिल्ली विधानसभा चुनाव-2020

दिल्ली में रहने वाले पूर्वांचली मतदाताओं का झुकाव पूरी तरह से भाजपा के पक्ष में दिख रहा है। ऐसे में विधानसभा चुनाव से पहले नेतृत्व परिवर्तन का जोखिम नहीं उठाएगी।

By JP YadavEdited By: Updated: Fri, 31 May 2019 08:18 AM (IST)
Hero Image
Inside Story: क्या मनोज तिवारी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा दिल्ली विधानसभा चुनाव-2020

नई दिल्ली [स्वदेश कुमार]। दिल्ली नगर निगम और लोकसभा चुनाव में जीत का सेहरा सिर पर बंधने के बावजूद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल न कर पार्टी ने बड़े संकेत दे दिए हैं। यह तय माना जा रहा है कि अब आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी मनोज तिवारी ही भाजपा का मोर्चा संभालेंगे। एक तरह से पार्टी दिल्ली में अगला चुनाव भी उन्हीं के नेतृत्व में लड़ने की तैयारी में हैं। संभवत: मनोज तिवारी को इसके संकेत पहले ही दे दिए गए थे। पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से मिलना और मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण से एक दिन पहले दलित बस्ती में रात गुजारने को भी इससे जोड़कर देखा जा रहा है।

दो साल पहले निगम चुनाव में प्रतिकूल परिस्थितियों में भी मनोज तिवारी के नेतृत्व में ही भाजपा ने तीनों निगमों में सत्ता हासिल की थी। इसके बाद आम चुनाव में सातों सीटों पर कब्जा जमाया। इसमें उत्तर-पूर्वी दिल्ली सीट पर मनोज तिवारी के सामने कांग्रेस की सबसे मजबूत प्रत्याशी शीला दीक्षित थीं, जो दिल्ली में लगातार तीन बार मुख्यमंत्री रह चुकी थीं। मनोज तिवारी ने उन्हें रिकार्ड मतों से हराया। इसके बाद उनका कद बढ़ना तय हो गया था।

पार्टी के नेता मान रहे थे कि उनका प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल इसी साल नवंबर में पूरा हो रहा है। ऐसे में उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाकर दिल्ली का नेतृत्व किसी और को दिया जा सकता है।

प्रदेश अध्यक्ष के लिए कई नाम भी चल गए, लेकिन बृहस्पतिवार को मंत्री पद के लिए शपथ लेने वाले सांसदों में मनोज तिवारी का नाम नहीं था। ऐसे में यह तय है कि वह नवंबर, 2019 तक प्रदेश अध्यक्ष रहेंगे और इसके बाद उन्हें एक और कार्यकाल दिया जाएगा। पार्टी के नेताओं का कहना है कि दिल्ली में लगातार दो चुनाव में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन मनोज तिवारी के नेतृत्व में ही किया है। पार्टी का जनाधार बढ़ा है।

दिल्ली में रहने वाले पूर्वांचली मतदाताओं का झुकाव पूरी तरह से भाजपा के पक्ष में दिख रहा है। ऐसे में विधानसभा चुनाव से पहले नेतृत्व परिवर्तन का जोखिम नहीं उठाएगी। चुनाव जीतने के दो दिन के भीतर ही अचानक वह शीला दीक्षित से मिलने उनके घर भी पहुंच गए थे। यह संकेत था कि वह दिल्ली की राजनीति से अभी दूर नहीं जाएंगे। इस संबंध में मनोज तिवारी फिलहाल कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं हुए।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।