Move to Jagran APP

बीबी संतोष कौर के निधन से 50 लाख से अधिक श्रद्धालुओं को झटका Hapur News

संत बीबी संतोष कौर के निधन की सूचना पर परिजन सहित उनके अनुयायियों की आंखें नम हो गईं। विदेशों से भी अनुयायी के आने की सूचना के कारण उनकी संस्कार क्रिया दो जुलाई को होगी।

By Edited By: Updated: Mon, 01 Jul 2019 08:37 AM (IST)
Hero Image
बीबी संतोष कौर के निधन से 50 लाख से अधिक श्रद्धालुओं को झटका Hapur News

हापुड़, जेएनएन। मेरठ रोड स्थित गुरुद्वारा संत आश्रम भोरा साहिब की प्रमुख बीबी संतोष कौर (68) का शनिवार रात हृदय गति रुकने के कारण निधन हो गया। उनके निधन की सूचना मिलते ही उनसे जुड़े अनुयायियों की आंखें नम हो गईं। रविवार को बड़ी संख्या में अनुयायियों ने भोरा साहिब गुरुद्वारे पहुंचकर उनके दर्शन किए। दो जुलाई को अंतिम संस्कार क्रिया होगी। वर्तमान में उनके पार्थिव शरीर को फ्रिजर केबिन में रखा गया है। संत बीबी संतोष कौर के भारत सहित विदेशों में भी करीब 50 लाख अनुयायी हैं। उन्होंने समाज हित में बालिकाओं के लिए इंटर कॉलेज और काली नदी पर ग्राम विगास में पुल का निर्माण उनकी देन है।

संत बीबी संतोष कौर के भाई एवं ईशर सिंह महाराज गुरुद्वारा सेवा समिति के उपप्रमुख रघुवर गंज निवासी खेम ¨सह सहारा के मुताबिक संत बीबी संतोष कौर का 22 जुलाई को जन्मदिन था। शनिवार रात गुरुद्वारा परिसर में जन्मदिन को लेकर तैयारियां चल रही थी। इस बीच उनकी तबीयत खराब हो गई। उन्हें हापुड़ स्थित निजी अस्पताल में ले जाया गया। जहां से मेरठ रेफर किया गया, लेकिन इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। संत बीबी संतोष कौर के निधन की सूचना पर परिजन सहित उनके अनुयायियों की आंखें नम हो गईं। बड़ी संख्या में लोगों ने दर्शन किए। विदेशों से भी अनुयायी के आने की सूचना के कारण उनकी संस्कार क्रिया दो जुलाई को होगी। हिमाचल में स्थित विभोर साहिब गुरुद्वारा के निकट उनकी संस्कार क्रिया होगी।

दीन दुखियों की सेवा का दिया संदेश संत बीबी संतोष कौर के भारत के अतिरिक्त दुबई, कनाडा, अमेरिका, इंग्लैंड, कुवैत आदि देशों में करीब पचास लाख अनुयायी हैं। बीबी संतोष कौर लोगों को दीन-दुखियों की सेवा, दान-पुण्य और परमात्मा से जुड़ने के लिए प्रेरित करती थीं। उनकी संगत में लाखों अनुयायी मौजूद रहते थे।

बचपन से थी सेवाभाव की लगन
बीबी संतोष कौर का जन्म 22 जुलाई, 1950 को फैजाबाद स्थित गुलाबवाड़ी में हुआ था। 1958 में वह परिवार के साथ हापुड़ आ गईं थीं। 10वीं तक की पढ़ाई की। परिवार के साथ अक्सर मेरठ रोड स्थित गुरुद्वारा संत आश्रम भोरा साहिब में जाया करती थीं। संतोष कौर की समाज सेवा की भावना को देखते हुए गुरु ईशर सिंह महाराज ने उन्हें भविष्य में शादी न करने को कहा था। वर्ष 1975 से वह लगातार गुरुद्वारा में रहकर सेवा में लग गईं थी और 1980 में वह गुरुद्वारा संत आश्रम भोरा साहिब की प्रमुख बनी। परिवार में चार भाई जगमेल ¨सह सहारा, खेम सिंह सहारा, तारा ¨सह सहारा, जसवीर सिंह सहारा एवं एक बहन अजीत कौर हैं।

समाज हित में किए कार्य
गुरुद्वारा संत आश्रम भोरा साहिब की प्रमुख रहते हुए बीबी संतोष कौर ने पचास लाख की लागत से श्यामपुर से ग्राम विगास तक तीन किमी लंबी सड़क के साथ काली नदी पर पुल का निर्माण कराया। ग्राम विगास में पुल बनने से दर्जनों गांवों के लोगों को लाभ पहुंचा है। ग्राम विगास में बालिकाओं के लिए एक करोड़ की लागत से ईशर ¨सह महाराज कन्या इंटर कॉलेज की स्थापना की। वर्तमान में इस कॉलेज में करीब 400 बालिकाएं हैं। कॉलेज आने-जाने के लिए नि:शुल्क बस सेवा का प्रबंध है। स्कूल का उद्घाटन वर्ष 2002 में बिहार के राज्यपाल रहते हुए सरदार बूटा सिंह ने किया था। इसके अतिरिक्त यात्रियों के लिए सराय (धर्मशाला) का निर्माण कराया गया। वर्तमान में धर्मशाला में 55 कमरे हैं। गुरुद्वारा में दिन-रात लंगर और हर साल पांच अगस्त को कैंसर एवं आंखों से संबंधी चिकित्सा शिविर लगता है। जिसमें परामर्श के साथ नि:शुल्क दवाइयों का वितरण किया जाता है। बीबी संतोष कौर ने अपने जीवनकाल में करीब सौ निर्धन बालिकाओं की शादी कराई है।

 दिल्ली-NCR की ताजा और महत्वपूर्ण खबरों को पढ़ने के लिए यहां पर करें क्लिक

 
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।