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शीला दीक्षित की याद में दिल्ली के पार्कों में लगाए जाएंगे पेड़, RWA करेगा सहयोग

दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस की दिवंगत नेता शीला दीक्षित की याद में राजधानी के बड़े पार्कों में पेड़ लगाया जाएगा।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Mon, 22 Jul 2019 04:27 PM (IST)
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शीला दीक्षित की याद में दिल्ली के पार्कों में लगाए जाएंगे पेड़, RWA करेगा सहयोग
नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस की दिवंगत नेता शीला दीक्षित की याद में राजधानी के बड़े पार्कों में पेड़ लगाया जाएगा। यह फैसला शीला दीक्षित के परिजनों ने लिया है। परिजनों का कहना है कि आरडब्ल्यूए के साथ मिलकर दिल्ली के सभी बड़े पार्कों में पेड़ जाएगा। ताकि दिवंगत शीला की याद बनी रहे।

वहीं निगम बोध घाट पर सोमवार सुबह शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित और बेटी लतिका 'फूल' चुनने के आयोजन में शामिल हुए। शीला दीक्षित के फूलों को प्रयागराज, गंगोत्री और हेमकुंड साहिब में प्रवाहित किया जाएगा।

बता दें कि दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का निधन शनिवार को हो गया था। उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ रविवार को किया गया। दिल्ली के निगम बोध घाट पर मौजूद बड़ी संख्या में लोगों ने उन्हें नम आंखों से अंतिम विदाई दी। शीला दीक्षित को अंतिम विदाई देने के लिए यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, गृह मंत्री अमित शाह समेत कई बड़े नेता निगम बोध घाट पर मौजूद थे।

दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल और सीएम अरविंद केजरीवाल और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ भी शमशान घाट पहुंचकर अपने प्रिय नेता को अंतिम विदाई दी थी। अंतिम संस्करा के दौरान शमशान घाट पर शीला दीक्षित अमर रहे के नारे लगाए गए थे। 

यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रविवार को शीला दीक्षित के निधन पर गहरा दुख जताया। सोनिया ने शीला को अपनी बड़ी बहन और दोस्त बताते हुए कहा कि उनकी कमी पार्टी में हमेशा खलेगी। उन्होंने कहा कि शीला दीक्षित का इस दुनिया से चले जाना कांग्रेस के लिए बहुत बड़ी क्षति है। वह हमेशा हमें याद आती रहेंगी।

शीला दीक्षित के निधन के बाद दिल्ली भाजपा ने शनिवार और रविवार को होने वाले अपने सभी सार्वजनिक कार्यक्रम स्थगित करने की घोषणा कर दी थी। भाजपा नेताओं ने भी शीला के निधन पर गहरा शोक जताया था। नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि शीला दीक्षित के निधन से हमें काफी दुख हुआ है। हमारे उनसे वैचारिक मतभेद भले रहे हों लेकिन दिल्ली के विकास में उनका योगदान अविस्मरणीय है।
 

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