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आखिर क्यों दादा के जिंदा रहते घर का मुखिया बना ऋतिक, पढ़िए- देश का यह अजब मामला !

रेवाड़ी का यह पूरा मामला संज्ञान में आने के बाद मुख्यमंत्री ने इस पर संज्ञान लेते हुए नाबालिग होते हुए भी ऋतिक को राशन कार्ड जारी करने के आदेश दिए थे।

By JP YadavEdited By: Updated: Thu, 25 Jul 2019 04:08 PM (IST)
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आखिर क्यों दादा के जिंदा रहते घर का मुखिया बना ऋतिक, पढ़िए- देश का यह अजब मामला !
रेवाड़ी [महेश कुमार वैद्य]। दिल्ली से सटे हरियाणा के रेवाड़ी स्थित गांव जाटूसाना का ऋतिक 12 वर्ष की उम्र में ही परिवार का मुखिया बन गया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के आदेश पर इसे विशिष्ट केस मानते हुए खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने ऋतिक  का नाम राज्य बीपीएल सूची में शामिल करके उसके लिए विशेष राशन कार्ड जारी किया है।

इस राशन कार्ड में परिवार के सदस्यों की सूची में अकेले ऋतिक का ही नाम है। नाबालिग को परिवार का मुखिया मानकर राशन कार्ड जारी करने का यह हरियाणा में पहला मामला है। संभवतया पूरे देश में भी यह अपने किस्म का पहला ही मामला है।

वहीं, सीएम मनोहर लाल खट्टर के हस्तक्षेप के बाद जाटूसाना निवासी ऋतिक का विशेष बीपीएल कार्ड बनने पर बुधवार को रितिक डीसी यशेंद्र सिंह से मिलने पहुंचा। ऋतिक संग जिला पार्षद और ग्रामीण भी थे। मुलाकात के दौरान उन्होंने प्रशासन और राज्य में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी की सरकार के प्रति आभार जताते हुए कहा कि इस तरह से तुरंत समस्याओं के समाधान से सिस्टम पर विश्वास बढ़ता है।

ऋतिक की दुखभरी कहानी दैनिक जागरण सहित अन्य समाचार पत्र में भी प्रकाशित हुई थी। मामला संज्ञान में आने पर उपायुक्त यशेन्द्र सिंह ने सरकार के पास अपनी संस्तुति भेजी थी। सबसे पहले जिला पार्षद अमित यादव ने ट्वीट कर यह मुद्दा उठाया था।

सीएम मनोहर लाल के कदम की हो रहे देशभर में तारीफ
मुख्यमंत्री ने इस पर संज्ञान लेते हुए नाबालिग होते हुए भी ऋतिक को राशन कार्ड जारी करने के आदेश दिए थे। मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा दिखाई गई मानवता की सर्वत्र प्रशंसा की जा रही है। राशनकार्ड बनाने में आ रही तकनीकी दिक्कतों को लेकर उपायुक्त ने मुख्यमंत्री कार्यालय को स्थिति से अवगत कराया था। इस पर मुख्यमंत्री ने संज्ञान लेते हुए स्पेशल केस बनाकर संबंधित विभाग को तुरंत प्रभाव से राशन कार्ड बनाने के आदेश दिए।

यह है रितिक की कहानी

गांव जाटूसाना के सरकारी स्कूल में कक्षा सातवीं में पढ़ रहा छात्र ऋतिक जब 5 साल का हुआ था, तब मां उसे छोड़कर कहीं चली गईं। जब वह 9 साल का हुआ तब पिता टीबी की बीमारी के कारण चल बसे। दादा-दादी अभी जिंदा है, लेकिन वह खुद इतने बीमार रहते हैं कि उन्हें ही सहारा चाहिए। दो चाचा हैं जो मजदूरी करते हैं। ऐसे जीवन यापन का भी गहरा संकट है।

ऐसे में ऋतिक घर में अकेला रहता है। उसके सामने राशन की समस्या थी। राशन कार्ड बनने से उसे राशन के लिए भटकना नहीं पड़ेगा और वह निश्चिंत होकर अपनी पढ़ाई कर सकेगा।

वहीं, डीसी यशेन्द्र सिंह ने बताया कि 13 जुलाई को रितिक का यह मामला संज्ञान में आया था। इस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए इस बच्चे ऋतिक को बुलाकर राशनकार्ड की कार्रवाई को पूरा करवाया तथा इसके राशनकार्ड बनाने को लेकर आ रही तकनीकी खामियों को लेकर उन्होंने मुख्यालय पर उच्च अधिकारियों से बात की। इसके बाद चरणबद्ध तरीके से उसका राशन कार्ड बना दिया गया। 

जानिए राशन कार्ड के बारे में
बता दें कि राशन कार्ड (Ration card) प्रत्येक राज्य सरकार द्वारा अपने नागरिकों को जारी किया जाता है। इसके जरिये उचित मूल्य की वस्तु खरीदने के लिए देशभर में इस्तमाल किया जा सकता है। राशन कार्ड एक तरह की भारतीय नागरिकता का प्रमाण भी है। 

BPL राशन कार्ड वह राशन कार्ड है जो गरीबी रेखा से निचे आने वाले लोगों के लिए बनाया जाता है जिनकी महीने के आय 8000 रुपये से कम होती है, यह कार्ड उनका बनता है। इस राशन कार्ड का कलर नीला पिला या गुलाबी हो सकता है। यही राशन कार्ड ऋतिक का भी बनाया गया है। 

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