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शाहबेरी अवैध निर्माण मामले में अधिकारियों पर गाज गिरनी तय, 30 बिल्डरों पर लगेगा रासुका

सीएम योगी ने शाहबेरी में अवैध रुप से कॉलोनियां विकसित कर हजारों लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वाले 30 बिल्डरों के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया है।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Thu, 25 Jul 2019 01:17 PM (IST)
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शाहबेरी अवैध निर्माण मामले में अधिकारियों पर गाज गिरनी तय, 30 बिल्डरों पर लगेगा रासुका
लखनऊ/नोएडा, जेएनएन। आम्रपाली मामले में सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले के बाद उत्तर प्रदेश सरकार हरकत में आ गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा है कि शाहबेरी, यमुना एक्सप्रेस-वे, नोएडा और ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण से जुड़े मामले में जवाबदेही तय की जाएगी और लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने शाहबेरी में अवैध रुप से कॉलोनियां विकसित कर हजारों लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वाले 30 बिल्डरों के खिलाफ केस दर्ज कर उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून(रासुका) के तहत जेल भेजने का निर्देश दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि जमीन से जुड़े मामलों में संलिप्त अधिकारियों की सूची तैयार करें, ताकि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके। योगी ने आम्रपाली समेत अऩ्य बिल्डिरों के मामले में अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने का निर्देश दिया है।

जिम्मेदार अधिकारियों पर होगी कार्रवाई
योगी ने बुधवार को लखनऊ के लोकभवन में नोएडा, ग्रेटर नोएडा और शाहबेरी से जुड़े मामलों को लेकर बैठक की। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि कोर्ट के स्टे बावजूद शाहबेरी में निर्माण कैसे हो गए, इसकी जांच कराएं। साथ 2014 के बाद जितने भी अनैध निर्माण हुए हैं, उनके जिम्मेदार अधिकारियों की सूची बनाएं। जिम्मेदार अधिकारियों पर सरकार सख्त कार्रवाई करेगी।

जमीन घोटालों में संलिप्त अधिकारियों की सूची मांगी 
2007 से लेकर 2014 तक प्राधिकरण क्षेत्रों मे हुए जमीन घोटालों में संलिप्त अधिकारियों की सूची मांगी गई है। इन पर अब गाज गिरनी तय मानी जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अवैध इमारतें खड़ी करने वाले कालोनाइजरों और बिल्डरों पर रासुका व गैंगस्टर की कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। प्रदेश सरकार की इस कार्रवाई से अवैध इमारतें खड़ी करने वाले कालोनाइजरों व बिल्डरों में हड़कंप मच गया है।

आम्रपाली ग्रुप पर सुप्रीम कोर्ट का शिकंजा कसने के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार हरकत में आ गई है। मुख्यमंत्री ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण में वर्ष 2007 से 2010 तक तैनात रहे अधिकारियों की जांच के भी आदेश दे दिए हैं। किस अधिकारी का दामन दागदार है और कौन पाक-साफ है यह तो जांच के बाद पता चलेगा, लेकिन फिलहाल सात आइएएस सहित प्राधिकरणों के करीब तीस अधिकारियों की फाइल खुलने जा रही है।

इन अधिकारियों के कार्यकाल के दौरान किन बिल्डर परियोजनाओं के लिए भूखंड आवंटन आवंटित किए गए और किन अधिकारियों ने नियमों से छेड़छाड़ कर बिल्डरों को फायदा पहुंचाया। इसकी जांच होगी। जांच में दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों पर शिकंजा कसेगा।

प्राधिकरण के चेयरमैन 
आम्रपाली ग्रुप के निदेशकों से कई बड़े अधिकारियों की नजदीकी का मामला सामने आने के बाद बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्राधिकरण के चेयरमैन आलोक टंडन और सीईओ रितु माहेश्वरी सहित जिले के तीनों प्राधिकरणों के अधिकारियों को लखनऊ तलब किया था, तभी से शहर में चर्चा थी कि शासन स्तर पर कुछ बड़ा फैसला होने जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने जब बैठक के बाद सपा-बसपा सरकार के कार्यकाल में तैनात रहे तमाम अधिकारियों की जांच के आदेश दिए तो जिले में हड़कंप मच गया। इस आदेश के बाद घोटालों में शामिल अधिकारियों के कई शुभचिंतकों पर भी शिकंजा कसना तय है।

शाहबेरी में भवनों का होगा ऑडिट
योगी ने कहा कि निर्माणों का सुरक्षा ऑडिट होना चाहिए। जो निर्माण असुरक्षित हैं, प्राधिकरण उन्हें गिराने की प्रक्रिया शुरु करे। जिन मकानों में लोग रह रहे हैं उनकी जांच कराई जाए, ताकि पता चल सके कि ये लोग कौन हैं और उन्होंने बिल्डरों से भवन कैसे खरीदे। योगी अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे शाहबेरी प्रकरण में अदालत में बेहतर तरीके से पैरवी करें।

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