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कर्ज के जाल में उलझकर कैसे तबाह हो रहे परिवार, पढ़िए- यह चौंकाने वाली स्टोरी

आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ बताते हैं कि लोगों को वेतन या आय के मुताबिक ही खर्च करना चाहिए लेकिन यहां दिखावे पर लोग अधिक जा रहे हैं। इसके बाद हालत बिगड़ते चले जाते हैं।

By JP YadavEdited By: Updated: Sat, 27 Jul 2019 08:32 AM (IST)
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कर्ज के जाल में उलझकर कैसे तबाह हो रहे परिवार, पढ़िए- यह चौंकाने वाली स्टोरी
नई दिल्ली [स्वदेश कुमार]। कर्ज लेकर घी पीने की कहावत भले ही पुरानी हो गई हो, लेकिन महानगरों में यह प्रवृत्ति बढ़ती ही जा रही है। लोग कर्ज लेकर विलासितापूर्ण जिंदगी जी रहे हैं और जब बाद में उसे चुका नहीं पाते तो घातक कदम उठाने के लिए मजबूर हो जाते हैं।

आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ बताते हैं कि लोगों को वेतन या आय के मुताबिक ही खर्च करना चाहिए, लेकिन यहां दिखावे पर लोग अधिक जा रहे हैं। नतीजतन कर्ज लेकर मकान तो छोड़िए, वाहन, एसी, फ्रिज, टीवी के लोग शौक पूरे कर रहे हैं। इससे वे कर्ज के जाल में फंस जाते हैं। जब कर्ज चुकाने की बारी आती है तो कई लोग बेबस हो जाते हैं।

सावधानी से करें क्रेडिट कार्ड का प्रयोग
आर्थिक मामलों के जानकार बताते हैं कि क्रेडिट कार्ड का प्रयोग करते समय काफी सावधानी बरतने की जरूरत है। सबसे पहले तो यह समझना पड़ेगा कि समय पर नहीं चुकाने या ईएमआई पर क्रेडिट कार्ड में चक्रवृद्धि ब्याज लगता है जो सवा से चार फीसद तक प्रति महीने वसूला जाता है। इसके अलावा वार्षिक शुल्क भी होते हैं। साथ ही सीमा से अधिक नकद निकासी पर भी मोटा ब्याज लगता है।

मेघना यादव (शाहदरा, जिला पुलिस उपायुक्त) के मुताबिक, जांच में आठ लाख रुपये कर्ज की वजह से परिवार के चौथी मंजिल से कूदने की बात सामने आई है। मंजीत के बयान पर सुरेश के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया है।

अनिल गोयल (फाइनेंशियल विशेषज्ञ) का कहना है कि आप मकान के लिए लोन ले रहे हैं तो यह ध्यान रखें कि यह आपकी आय के 40 फीसद से अधिक न हो। जितना आप किराया दे रहे हैं, उससे दोगुने तक ही किस्त हो। साथ ही एक कर्ज चुकाने के बाद ही दूसरे कर्ज की तरफ बढ़ें। अगर कर्ज लेकर विलासिता पर खर्च करेंगे, तो आज नहीं कल आफत आनी तय है।

अंकित गुप्ता (वकील और उपभोक्ता मामलों के जानकार) का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों पर आरबीआइ ने सभी बैंकों को यह निर्देश दे रखा है कि कर्ज का भुगतान नहीं कर पाने वाले उपभोक्ता को परेशान नहीं किया जा सकता है। बैंक न रिकवरी एजेंट को उपभोक्ता के घर भेजेंगे और न ही उन्हें धमकाया जा सकता है। बैंकों द्वारा परेशान किए जाने पर उपभोक्ता पुलिस के पास शिकायत कर सकता है। वह सिविल कोर्ट या उपभोक्ता अदालत जा सकता है। इनके अलावा बैंकिंग ओंबड्समैन (बैंकिंग मामलों से जुड़ी शिकायत सुनने वाली संस्था) का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं। बैंक भी रिकवरी के लिए पुलिस और कोर्ट का सहारा ले सकते हैं।

यहां पर बता दें कि पूर्वी दिल्ली के जगतपुरी इलाके में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां कर्ज से परेशान एक दंपती ने चार साल की बेटी के साथ मकान की चौथी मंजिल से छलांग लगा दी। घटना में पति की मौत हो गई। मृतक की पहचान सुरेश कुमार (34) के रूप में हुई है।

पत्नी मंजीत कौर (31) और बेटी तान्या का जीटीबी अस्पताल में इलाज चल रहा है। दोनों की हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। पत्नी के बयान से पता चला है कि सुरेश के पास नौ बैंकों के क्रेडिट कार्ड थे। इनके बिल का भुगतान नहीं कर पाने से आठ लाख रुपये कर्ज हो गया था। इसे चुकाने में सुरेश असमर्थ था। परेशान होकर परिवार ने यह कदम उठाया। मंजीत के बयान पर पुलिस ने उसके पति के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कर लिया है।

पंजाब के होशियारपुर का है परिवार
होशियारपुर, पंजाब निवासी सुरेश परिवार के साथ गली नंबर-5, न्यू गोविंदपुरा, जगतपुरी में रहता था। वह गुरुग्राम में निजी कंपनी में कंप्यूटर ऑपरेटर की नौकरी करता था। करीब छह साल पहले मंजीत से उसकी शादी हुई थी। दोनों से करीब चार साल की एक बेटी है। सुरेश ससुर कुलवंत सिंह के मकान में भूतल पर रहता था। सुरेश का वेतन कम था और खर्च अधिक। इसी वजह से उसने नौ बैंकों से क्रेडिट कार्ड ले रखा था। वह वेतन से इनका बिल नहीं चुका पा रहा था। एक क्रेडिट कार्ड बंद होता तो वह दूसरा ले लेता था। इस तरह उस पर करीब आठ लाख रुपये का कर्ज हो गया। बिल भुगतान न कर पाने पर बैंक दबाव बना रहे थे। इससे वह परेशान था। रविवार रात को सुरेश ने पत्नी से आत्महत्या की बात की। आधी रात करीब तीन बजे सुरेश सोती हुई बेटी तान्या को लेकर चौथी मंजिल की छत पर जाने लगा। तभी पीछे-पीछे मंजीत भी चली गई। छत पर पहुंचकर वह बेटी को गोद में लेकर नीचे कूद गया। इसके बाद मंजीत ने भी पीछे से छलांग लगा दी। आवाज सुनकर कुछ पड़ोसी बाहर निकले तो तीनों खून से लथपथ पड़े थे। मामले की सूचना पुलिस को दी गई। पुलिस ने तीनों को पहले हेडगेवार अस्पताल पहुंचाया। यहां से उन्हें जीटीबी अस्पताल रेफर कर दिया गया। यहां डॉक्टरों ने सुरेश को मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने मंगलवार को पोस्टमार्टम के बाद सुरेश का शव उसके परिवार को सौंप दिया। बुधवार को मंजीत के होश में आने पर पुलिस ने उनका बयान दर्ज किया।

तीन दिन से मां-बेटी ने एक दूसरे को नहीं देखा
जीटीबी अस्पताल में मंजीत और तान्या अलग-अलग भर्ती हैं। तान्या हड्डी रोग विभाग में आइसीयू में है। उसके दोनों पैरों में फैक्चर था। इसका ऑपरेशन कर दोनों पैरों में रॉड लगाया गया है। मां मेडिसीन विभाग में हैं। उनके सिर में चोट आई है। इसकी वजह से उन्हें बार-बार उल्टी आ रही है। घटना के बाद मां-बेटी ने एक-दूसरे को नहीं देखा है। मंजीत के भाई गुरदीप सिंह अस्पताल में ही मौजूद हैं।

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