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जानें- कैसे बिल्डर्स की गड़बड़ियों का खामियाजा भुगत रहे 1 लाख से अधिक फ्लैट खरीदार Noida News

नोएडा ग्रेटर नोएडा व यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में कुछ नामी बिल्डरों को छोड़ दें तो अधिकांश अभी तक फ्लैटों का निर्माण पूरा नहीं कर सके हैं जिससे निवेशकों का अरबों रुपया फंस गया है।

By JP YadavEdited By: Updated: Sat, 27 Jul 2019 09:37 AM (IST)
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जानें- कैसे बिल्डर्स की गड़बड़ियों का खामियाजा भुगत रहे 1 लाख से अधिक फ्लैट खरीदार Noida News
नोएडा [धर्मेंद्र चंदेल]। नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में अकेले आम्रपाली ने ही खरीदारों की गाढ़ी कमाई नहीं लूटी, बल्कि अन्य बिल्डर भी इसमें शामिल हैं। बसपा शासन काल में प्राधिकरण की दरियादिली का फायदा उठाकर ठेकेदार भी बिल्डर बन गए। उन्होंने बड़े बिल्डरों से सबलीज पर छोटे-छोटे भूखंड अपने नाम आवंटित करा लिए। सबलीज से 90 छोटे बिल्डरों ने बड़े बिल्डरों से जमीन खरीदी।

गिने-चुने बिल्डरों को छोड़ दें तो अधिकांश अभी तक फ्लैटों का निर्माण पूरा नहीं कर सके हैं। कई प्रोजेक्टों में फ्लैटों के ढांचे खड़े हैं। अकेले ग्रेटर नोएडा में करीब सवा लाख खरीदार फ्लैटों पर कब्जा लेने के लिए चक्कर लगा रहे हैं।

यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में भी करीब 10 हजार खरीदारों को उनका आशियाना मिलना बाकी है। सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली के अधूरे प्रोजेक्टों को एनबीसीसी से पूरा कराने के निर्देश दिए हैं। इससे बाकी बिल्डरों की अधूरी परियोजनाओं के खरीदारों को भी घर मिलने की उम्मीद जगी है। इनके निवेशक भी कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

वहीं जानकारों का कहना है कि खरीदारों की इस दशा के लिए प्राधिकरण और तत्कालीन प्रदेश सरकार दोषी है। बिल्डरों को जमीन आवंटन के बाद निर्माण कार्य के दौरान प्राधिकरण निगरानी रखता तो बिल्डर इतनी आसानी से खरीदारों की गाढ़ी कमाई नहीं लूट पाते। सरकार, प्राधिकरण और बिल्डरों की मिलीभगत के कारण हालात बिगड़े।

बिल्डरों ने पहले भूखंड की कुल कीमत की दस फीसद धनराशि पर आवंटन कराकर फायदा उठाया। इसके बाद फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) में बढ़ोतरी कराई। 2008-09 में 1.75 का एफएआर था। 2010 में इसे बढ़ाकर 2.5 कर दिया गया। इससे बिल्डर को अतिरिक्त मंजिल बनाने की छूट मिल गई। ब्याज माफ कराने के लिए जीरो पीरियड का लाभ लिया।

आम्रपाली के हश्र को देखकर अन्य बिल्डरों पर शिकंजा कसेगा प्राधिकरण

आम्रपाली बिल्डर का हश्र देखने के बाद प्राधिकरण की नींद खुली है। प्राधिकरण का पैसा जमा न करने वाले बिल्डरों पर अब शिकंजा कसा जाएगा। अधिकारिक सूत्रों के अनुसार आम्रपाली बिल्डर के विवाद में सबसे ज्यादा प्राधिकरण को नुकसान उठाना पड़ा है। आम्रपाली पर ग्रेटर प्राधिकरण का तीन हजार करोड़ रुपये से अधिक बकाया है।

आम्रपाली की संपत्तियों से पहले खरीदारों को फ्लैट बनाकर दिए जाएंगे। प्राधिकरण आम्रपाली को आवंटित जमीन के खाली हिस्से को भी वापस लेता है तो उससे भी तीन हजार करोड़ रुपये की रिकवरी नहीं होगी। आम्रपाली प्रकरण से सबक लेते हुए प्राधिकरण ने अब बकाया भुगतान न करने एवं निर्माण कार्य पूरा नहीं करने वाले बिल्डरों पर शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है। शुक्रवार को बैठक कर इसकी रूपरेखा तैयार की गई।

भूमिगत बिल्डरों के आवंटन रद कर जमीन ली जाएगी वापस

ग्रेटर नोएडा वेस्ट में 93 बिल्डर ऐसे थे, जिनका ऑडिट कराया जाना था। प्रथम चरण में 48 बिल्डरों का ऑडिट किया गया। इनमें अर्थ इंफ्रास्ट्रक्चर, शुभकामना व अर्थ टाउन समेत 15 बिल्डर गायब हो गए हैं, अथवा इनके निदेशकों को जेल जाना पड़ा। इन बिल्डरों पर प्राधिकरण का करीब एक हजार करोड़ रुपये बकाया है। प्राधिकरण अपनी जमीन वापस लेकर बकाया धनराशि की भी रिकवरी करेगा।

पहले सख्ती बरती जाती तो नहीं होते इस तरह के हालात

प्रदेश में भाजपा सरकार के सत्ता संभालने के बाद बिल्डरों पर सख्ती शुरू की गई। नतीजतन करीब 50 हजार खरीदारों को उनके फ्लैट मिल गए। बसपा शासन काल में 2007 से 2010 तक जमीन की खूब लूट मची। प्रदेश में 2012 में सपा सरकार के सता में आने के बाद भी हालात नहीं बदले। खरीदार राजेश शर्मा, विवेक, जेपी मिश्र आदि का कहना है कि जो सख्ती भाजपा सरकार ने बिल्डरों पर की, यदि इसी तरह पूर्व की सरकारें करतीं तो हालात इतने बदतर नहीं होते। खरीदारों के संगठन नेफोवा के अध्यक्ष अभिषेक कुमार व महासचिव स्वेता भारती का कहना है कि आम्रपाली की भांति अन्य बिल्डर प्रोजेक्टों के फ्लैट खरीदार भी अब कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।

नरेंद्र भूषण (सीईओ, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण) के मुताबिक, प्राधिकरण खरीदारों को उनका आशियाना दिलाने के लिए बिल्डरों पर दबाव बना रहा है। खरीदारों को उनके फ्लैट दिलाए जाएंगे। प्राधिकरण अपनी बकाया धनराशि को भी बिल्डरों से सख्ती के साथ वसूलेगा।

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